लखनऊ। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ये जानना चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश कैसे बीजों पर मिलने वाली सब्सिडी सीधे किसानों के खाते में पहुंचा रहा है।
उत्तर प्रदेश सरकार इस रबी फसल में 10 लाख किसानों को बीजों पर मिलने वाली सब्सिडी डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) योजना के ज़रिए सीधे उनके खातों में भेज रही है। ऐसा करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है।
प्रदेश ने इस योजना को कैसे सफल बनाया ये समझाने के लिए प्रमुख सचिव (कृषि) अमित मोहन प्रसाद दिल्ली जा रहे हैं। ”अरुण जेटली जी ने प्रज़ेंटेशन के लिए आमंत्रित किया है, वो ये जानना चाहते हैं कि हमने डीबीटी से कैसे सफलता से किसानों का पंजीकरण करके बीजों की सब्सिडी सीधे उनके खातों में पहुंचाया,” प्रमुख सचिव ने गाँव कनेक्शन से कहा।
उत्तर प्रदेश सरकार ने खरीफ 2015 में पहली बार हाईब्रिड बीजों पर मिलने वाली सब्सिडी से डीबीटी की शुरुआत की थी। किसानों की खतौनी व उनके बैंक खाते जैसी जानकारियों के साथ उन्हें पंजीकृत कर एक विशिष्ट किसान संख्या उपलब्ध कराने के लिए पूरे प्रदेश भर में अभियान चलाया गया था। वर्तमान में चल रही रबी फसल से डीबीटी का दायरा सभी बीजों और कृषि उपकरणों तक बढ़ा दिया गया।
”अगला वर्ष भी यूपी किसान वर्ष ही है तो हम सभी योजनाओं को और विस्तार से किसानों तक पहुंचाने के साथ-साथ इस बार एक करोड़ किसानों को पंजीकृत करने का लक्ष्य रखेंगे अपने लिए” प्रमुख सचिव ने कहा।
उत्तर प्रदेश में लगभग दो करोड़ किसान हैं जिनमें से पिछले सात-आठ महीनों में 38 लाख किसानों को पंजीकृत कर विशिष्ट किसान संख्या जारी कर दी गई है।
सब्सिडी सीधे अपने खाते में पाने के लिए किसान को बीज सरकारी बीज केंद्रों से पूरा दाम देकर खरीदना होता है और उसकी रसीद लेनी होती है। बीज केंद्र इंचार्ज किसानों से जमा सारे पैसे सरकार के द्वारा अधिकृत राष्ट्रीयकृत बैंक में जमा कर देता है साथ ही वो बीज खरीदने वाले किसानों की एक सूचि उनके विशिष्ट नंबर व सब्सिडी की जानकारी के साथ ऑनलाइन तैयार करता है। इस सूचि को जि़ला कृषि अधिकारी व जि़ला उपकृषि निदेशक अपने स्तर पर स्त्यापित करने के बाद कोष से किसानों को पैसे भेजने के लिए जारी कर देते हैं।
डीबीटी योजना का फायदा ज़रूरतमंद प्रदेश के 85-90 प्रतिशत सीमांत, छोटे व मंझोले किसानों तक पहुंच पाए इसका भी उपाए किया गया है। इसके लिए प्रति किसान पांच एकड़ तक की सब्सिडी की सीमा निर्धारित कर दी गई है। इससे ज्यादा ज़मीन वाले किसान अपनी बाकी की खरीद का खर्च उठाने में सक्षम हैं, पहले सरकारी सब्सिडी का बड़ा भाग इन बड़े किसनों तक ही सीमित हो जाता था, जिससे ज्यादा किसान लाभान्वित नहीं हो पाते थे।
”डीबीटी की संभावनाएं केवल सब्सिडी तक ही सीमित नहीं हैं, पंजीकरण के बाद पहली बार इतने सारे किसानों से हम सीधे संपर्क कर सकते हैं, न सिर्फ उन तक सरकारी सहायता बल्कि योजनाओं की जानकारी भी पहुंचा सकते हैं” प्रमुख सचिव (कृषि) अमित मोहन प्रसाद।