हर नुक्कड़ पर नशा

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लखनऊ। सर्द सुबह में एक चाय के ठेले के पास लोग चाय की चुस्कियां ले रहे हैं, तभी एक आदमी पचास का नोट पकड़ाता है, इसके बदले दुकानदार उसे एक पुड़िया दे देता है। दरअसल इस छोटी सी पुड़िया में स्मैक है। जो उत्तर प्रदेश के लाखों लोगों की जि़ंदगी तबाह कर रही है।

चारबाग में रविन्द्रालय के सामने खड़ा यह चाय का ठेला नशेड़ियों का खास अड्डा है। लखनऊ समेत पूरे यूपी में न जाने कितने ऐसे अड्डे हैं जो पुलिस की नाक के नीचे युवाओं की जि़ंदगी में ज़हर घोल रहे हैं। कितना आसान है प्रदेश में ड्रग्स को खरीदना? इसकी पड़ताल के लिए गाँव कनेक्शन के प्रतिनिधियों ने जब नशे की पुड़िया खरीदनी चाही तो बाराबंकी, मैनपुरी, कानपुर, उन्नाव और बहराइच में बड़ी आसानी से मिल गई। 

संसद में पेश की गई एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2011 से 2013 के बीच करीब पांच गुना लोग नशे के आदी हो गए और 1.05 लाख कुंतल नशीला पदार्थ इन तीन वर्षों में बरामद किया गया। 

”मैंं अपनी चार बीघा ज़मीन स्मैक के चक्कर में गंवा चुका हूं। मेरे दोस्त ने पहली बार यह कहकर सुंघाया कि इससे उत्तेजना बढ़ती है। इसके बाद दो बार मैंने इसका प्रयोग किया और फिर मेरी आदत बन गई।” बाराबंकी में नशेड़ियों के अड्डे धनोखर मंडी के पीछे एक झोपड़ी से स्मैक की पुड़िया खरीद रहे दशहरा बाग निवासी सुनील श्रीवास्तव ने बताया, ”अब सुबह शाम स्मैक न मिले तो मेरे हाथ-पैर ऐंठने लगते हैं, गला सूख जाता है।”

उत्तर प्रदेश में मारफीन और स्मैक के गढ़ बाराबंकी के हरख ब्लॉक के गाँवटिकरा उस्मा में गाँव के किनारे आम के बागों में नशेड़ियों के झुंड दिख जाएंगे। यहीं पुलिया के पास खड़े एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ”यहां जमकर नशीला पदार्थ बनता है।”  

बाराबंकी में मॉरफीन और स्मैक के कारोबार के फलने-फूलने की वजह बताते हए नारकोटिक्स विभाग के अफसर भी कहते हैं, ”जब हम लोग छापा मारने जाते हैं तो स्थानीय पुलिस को साथ लेना मजबूरी है। इससे इससे जुड़े कारोबारियों को पता लग जाता है और नशीला पदार्थ गायब कर दिया जाता है। इसमें पुलिस भी मिली रहती है।” 

कानपुर में बड़ा अड्डा अनवरगंज थाने के पास नशे का करोबार जमकर होता है। एक ड्रग कारोबारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ”यहां हैदरगढ़, दादरी और कन्नौज से माल आता है। हम इसे पुड़िया बना कर बेचते हैं। इसकी कीमत नशे की डिग्री (असली माल कितना) के हिसाब से 50 से 300 रुपए होती है।” 

प्रदेश में नशीले पदार्थ के खिलाफ चले अभियान में लखनऊ में 11 जनवरी को 11 किलो नशीला पदार्थ बरामद हुआ। जबकि नारकोटिक्स कन्ट्रोल ब्यूरो ने 12 जनवरी को रामपुर में तीन को गिरफ्तार कर 30 किलो चरस बरामद की। प्रदेश में सितंबर से दिसंबर, 2015 के बीच अभियान चलाकर करीब 300 किलो मादक पदार्थ पकड़ा गया।

इस बारे में अपर पुलिस महानिदेशक, कानून व्यवस्था उत्तर प्रदेश दलजीत सिंह चौधरी ने कहा, ”अभियान चलाकर ऐसे लोगों को पकड़ा जा रहा है। इनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।” जब उनसे बाराबंकी में खुलेआम हो रहे धंधे के बारे में पूछा गया तो कह दिया, ”अभी मैं व्यस्त हूं, बाद में बात करते हैं।”

मैनपुरी में मदार दरवाजा, देवी रोड और घंटाघर के पास गुटखा के पाउच में स्मैक और हीरोइन की बिक्री खुलेआम मिल जाएगी।  

”स्मैक सबसे पहले मानसिकता पर असर करती है, फिर फेफड़े और लीवर पर इसका प्रभाव पड़ता है। रोग अवरोधक क्षमता खत्म हो जाती है। दौरे पड़ने लगते हैं, हाथ-पैर टेढ़े हो जाते हैं, कभी ठंड तो कभी गर्मी लगने लगती है। गंभीर बीमारियां टीवी आदि भी रोगियों में हो जाती हैं।” राजीव कुमार श्रीवास्तव, प्रबल नशा उन्मूलन एवं मानसिक अस्पताल, लखनऊ बताते हैं।

परिवार का साथ ही छुड़ा सकता है लत

“ड्रग्स से दिमाग सुप्ता अवस्था में आ जाता है। सोचने-समझने की शक्ति कम हो जाती है। जब नशे की जरूरत होती है, नशा करने वाला इस समय नशे के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। केवल मनोवैज्ञानिक ढंग से इससे मुक्ति पाई जा सकती है। परिवार के लोग रोगियों के साथ रहें। जब उसे नशे की जरूरत हो तो उसे पानी पिलाएं। मनोबल बढ़ना बहुत जरूरी है।” डॉ. दीपक आचार्य, हर्बल विशेषज्ञ बताते हैं

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