लखनऊ। देश में मानव तस्करी को ग्राफ दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। अमेरिका के विदेश विभाग की वर्ष 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत बच्चों की तस्करी रोकने में असफल रहा है। 90 फीसदी तस्करी के मामले भारत के अंदर ही हो रहे हैं।
पुलिस और प्रशासन के होश उड़ाने वाली इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत-नेपाल सीमा के अलावा दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और गुजरात से सबसे अधिक तस्करी हो रही है। एनसीआरबी की ओर से हाल में ही वर्ष 2014 में देश में मानव तस्करी के आंकड़े जारी किए गए हैं। आंकड़ों के अनुसार बीते पांच वर्षों में मानव तस्करी की घटनाओं में 38.7 फीसदी की वृद्घि हुई है।
24 जनवरी को अमरोहा की छात्रा को उस समय शाहजहांपुर में पुलिस ने बरामद किया जब उसको गाजियाबाद के एक व्यापारी के पास बेचने के लिए तस्कर ले जा रहे थे। शाहजहांपुर में पकड़े गए तीन तस्करों के बारे में जानकारी देते हुए एसएसपी नितिन तिवारी बताते हैं, “अमरोहा में रहने वाली छात्रा का गाजियाबाद के एक व्यापारी से इन तीन तस्करों नईम, रुखसाना और मुस्कान ने ढाई लाख में सौदा किया था। ये तीनों यहां से गाजियाबाद के मोहन नगर निवासी व्यापारी के यहां ट्रेन से जा रहे थे। तब पुलिस ने इनको यहां से पकड़ लिया।” वो आगे बताते हैं, “अमरोहा की हसनपुर की रहने वाली किशोरी को रुकसाना ने अच्छी शादी और नौकरी का झांसा दिया था। आरोपियों के पास कई युवतियों के फोटो और शादियों के फर्जी प्रमाणपत्र भी बरामद हुए हैं। गैंग के दो सदस्य रेशमा और संजय अभी फरार हैं।”
नेपाल में मानव तस्करी को रोकने के लिए काम कर रही माइती संस्था के कम्युनिकेट अधिकारी अच्युत कुमार बताते हैं, “हाल में ही असम की 12 लड़कियां नेपाल में बरामद हुई थीं। वर्ष 2015 में भारत-नेपाल बार्डर पर संस्था ने 3800 लड़कियों को तस्करी से बचाया है। ये लड़कियां नेपाल से भारत आ रहीं थीं।” एनसीआरबी के मुताबिक वर्ष 2014 में साढ़े 21 हजार से अधिक लोग तस्करी के मामले में देश में पकड़े गए। साथ ही 64 हजार से अधिक आरोपी अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं।
बाल अधिकारों को लेकर काम करने वाली संस्था चाइल्ड लाइन की बाराबंकी जिला निदेशक नाहिद अकील बताती है, “वर्ष 2015 में करीब 12 सौ ऐसे मामले सामने आए जो मानव तस्करी से जुड़े थे। 18 जनवरी को जौनपुर से भोपाल जा रहे तीन बच्चों को बाराबंकी रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ ने पकड़ा था।” चाइल्ड लाइन बाराबंकी के मुताबिक इन बच्चों को आजमगढ़ के अशोक और जौनपुर के मंजू कुमार ले जा रहे थे। दोनों को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इन तीन बच्चों के नाम छोटू सात वर्ष, अमित 12 वर्ष और छह वर्ष का सूरज है। सभी बच्चे जौनपुर जि़ले के रहने वाले थे। नौकरी का झांसा देकर ले जाए जा रहे मासूम अमित के चाचा त्रिभुवन बताते है, “अमित के मां-बाप नहीं हैं। जब अशोक ने बताया कि अमित को भोपाल में नौकरी मिलेगी तो उसे भेज दिया गया। चाइल्ड लाइन से पता चला कि इसको फैक्ट्री में काम करने के लिए ले जा रहे थे और सुबह सात से रात 11 तक इसको वहां छाता की तीली बनाने का काम करवाते और पैसे के नाम पर केवल दो हजार रुपए प्रतिमाह देते।”
बाल अधिकार समेत इस दिशा में काम करने वाली सामाजिक संस्थाओं की माने तो ये तो आंकड़े सरकारी हैं जबकि कई हजार मामले वो भी होंगे जो सामने ही नहीं आ पते हैं।
साल दर साल बढ़ी मानव तस्करी
वर्ष मामले
2009 2846
2010 3422
2011 3517
2012 3554
2013 3940
2014 5466
(आंकड़े नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार हैं)