भूमि सुधार निगम उत्तर प्रदेश ने वर्ष 2010-11 से 29 जनपदों में चलाया भूमि सुधार कार्यक्रम
सेमरौता (रायबरेली)। किसान बसंत (50 वर्ष) की खुशी दोगुनी बढ़ गयी है। दरअसल, पिछले वर्ष गाँव में हुए भूमि सुधार कार्यक्रम की वजह से उनकी 10 वर्ष से खाली पड़ी उसरीली ज़मीन पर इस बार धान की फसल लहलहा रही है।
रायबरेली जिला मुख्यालय से 28 किमी उत्तर दिशा में बल्ला गाँव के किसान बसंत 10 बीघे खेत में दलहन और अनाज (धान-गेहूं) की खेती करते हैं।
बसंत बताते हैं, ”हमारी पंचायत में ज्यादातर खेती की ज़मीन बंजर थी, जिसे उपयोग में लाने के लिए हमने जिला भूमि सुधार निगम की मदद ली। इसका फायदा सिर्फ मुझे ही नहीं बल्कि आस-पास के पचास किसानों ने उठाया।”
प्रदेश में बंजर पड़ी कृषि भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए भूमि सुधार निगम उत्तर प्रदेश ने वर्ष 2010-11 से 29 जनपदों में भूमि सुधार कार्यक्रम चला रखा है। इसके तहत प्रदेशभर में एक लाख से ज़्यादा किसानों को इस अभियान से जोड़ा जा चुका है। यह कार्यक्रम वर्ल्ड बैंक के माध्यम से चलाया जा रहा है।
किसानों के अनुपजाऊ खेतों को कृषि योग्य बनाने की ख़ास मुहिम के बारे में रायबरेली जिले के भूमि सुधार निगम के परियोजना अधिकारी एके तिवारी बताते हैं, ”हमने इस अभियान को गाँव-गाँव तक पहुंचाने के लिए एक ख़ास परियोजना तैयार की है। इसमें हम अपने रिमोट सिस्टम से जिलेभर में बंजर पड़ी ज़मीनों को चिन्हित कर उस पर वहां रहने वाले किसानों की सहभागिता से भूमि सुधार कार्यक्रम करवाते हैं।”
”इस कार्यक्रम में हमारी मदद पारिजात युवा समिति नामक संस्था कर रही है। समिति अपने ट्रेनर्स को गाँवों में भेजकर किसानों को इस कार्यक्रम का लाभ उठाने में मदद करती है।” तिवारी बताते हैं।
रायबरेली जिले में उत्तरप्रदेश भूमि सुधार निगम 85 से ज़्यादा गाँवों में यह भूमि सुधार कार्यक्रम चला रहा है, जिसका लाभ क्षेत्र के 3,000 किसानों को मिल चुका है।
इस कार्यक्रम में ऐसे गांवों को चुना जाता है जहां बंजर ज़मीन ज़्यादा हो। गाँव को चिन्हित कर वहां की भूमि का मृदा परीक्षण होता है। फिर सम्बंधित भूमि के किसानों की सहभागिता से चार वर्षों तक उस भूमि पर सुधार कार्यक्रम होता है। इस अवधि में उस भूमि पर धान, गेहूं और ढैंचा जैसी फसलें उगाई जाती हैं।
इस कार्यक्रम के बारे में पारिजात युवा समिति के क्षेत्रीय अधिकारी सुशील कुमार बताते हैं, ”इस कार्यक्रम में किसानों को सभी सामग्री (जिप्सम, बीज, यूरिया) निशुल्क मुहैया करवाई जाती हैं। बंजर खेत कैसे तैयार करने हैं, इसकी ट्रेनिंग किसानों को समिति से मिलती है।”