अरविंद शुक्ला/ दिवेंद्र सिंह
लखनऊ। ‘प्रदेश के विकास के लिए नारी का सम्मान जरूरी है। परिवार और समाज महिलाओं को आगे बढ़ने के समान अवसर दें। हो सके को अपना आधा कारोबार लोग घर की महिलाओं के नाम पर संचालित करें।’ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जब ये विचार रखे तो हॉल में बैठी 150 से ज्यादा महिलाएं खुद को तालियां बजाने से नहीं रोक सकीं।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर प्रदेश की उन महिलाओं को सम्मानित कर रहे थे, जिन्होंने वीरता, जीवटता और संघर्ष के साथ ही शिक्षा, खेलकूद और समाज सेवा के क्षेत्र में नया इतिहास रचा है।
शारीरिक अक्षमता को मात देकर कृत्रिम पैरों के सहारे माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली अंबेडकरनगर की अरुणिमा सिन्हा, दुर्लभ बीमारी का शिकार नोएडा की जीनत आरा, कराटे की होनहार खिलाड़ी इटावा की रेनु गुप्ता, आल्हा गायिका शीलू सिंह, मनचलों को सबक सिखाने वाली प्रतापगढ़ की छात्रा रुबी सिंह, तेंदुए से भाई को बचाने के लिए उससे लड़ने वाली बहराइच की गुलैचा, ट्वीटर वाली प्रधान नितिका शुक्ला समेत 97 महिलाओं को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कन्नौज की सांसद डिप्पल यादव ने रानी लक्ष्मीबाई वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया। इनमें 41 तेजाब की शिकार महिलाएं भी शामिल हैं। पुरस्कार स्वरूप प्रतीक चिन्ह के साथ मेडिकल बोर्ड के सुझाव पर इन्हें 2 से लेकर 10 लाख रुपये तक का चेक भी दिया गया। इसके साथ ही ग्राम पंचायतों में विकास कराने वाली 37 वर्तमान और पूर्व प्रधानों को भी पुरस्कृत किया। नोएडा से लखनऊ तक तक ऑटो से सफर करने वाली 4 विदेशी छात्राओं और प्रदेश के बाहर की भी कई महिलाओ को सम्मानित किया गया।
समारोह में रूबी सिंह, मोहिनी आजाद, रेखा, गुलैचा, शीलू सिंह राजपूत, पुष्पलता राठौर (गुड़िया) और पाणिनी संस्थान को भी पुरस्कृत किया, जिन्हें 2 दिसंबर 2015 को गांव कनेक्शन के पहले स्वयं अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
शिक्षा के क्षेत्र उपलब्धियां हासिल करने वाली कई छात्राओं को भी मुख्यमंत्री ने पुरस्कार देकर सम्मान बढ़ाया। अवॉर्ड लेते हुए गौतमबुद्ध नगर यूनिवर्सिटी की एमएससी की टॉपर मेघा गंगवार ने कहा, ‘महिला दिवस पर सम्मानित होना गौरव की बात है, ये सम्मान उन्हें हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा।’
कानपुर यूनिवर्सिटी से चार बार गोल्ड मेडेलिस्ट और भारतीय प्रबंध संस्थान, अहमदाबाद से एग्री बिजनेस में मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रही अमृता डोकनिया ने बताया, “सरकार का यह सराहनीय प्रयास है। इससे महिलाओं को आगे आने की प्रेरणा मिलेगी। खेती के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और महिलाओं के लिए भी करने को काफी कुछ है।”
इस दौरान मुख्यमंत्री ने बताया कि उनकी सरकार महिला सशक्तिकरण पर जोर दे रही है। उन्होंने कहा, “समाजवादी पेंशन योजना नारी सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम। ये दुनिया की सबसे बड़ी गरीबी उद्धारक योजना है। ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की मिशाल बनी महिला ग्राम प्रधानों का उत्तर प्रदेश का सलाम करती है। इस बार पंचायत चुनाव में काफी महिलाएं चुनी गई हैं। नीचे से लेकर ऊपरी सदन तक जितनी ज्यादा महिलाएं चुनी जाएंगी आधी आबादी उतना ही आगे बढ़ेगी।”
समारोह में कन्नौज की सांसद डिप्पल यादव, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष जरीन उस्मानी, प्रमुख सचिव सूचना समेत कई मंत्री और अधिकारी मौजूद रहे।
इन महिलाओं को किया गया सम्मानित
अरूणिमा सिंह: राष्ट्रीय स्तर की बॉलीबॉल खिलाड़ी अरूणिमा को चलती ट्रेन से कुछ बदमाशों ने फेंक दिया था, जिससे उनके दोनों पैर काटने पड़े। इतना सब कुछ होने पर भी अरूणिमा ने हिम्मत नहीं हारी और कृत्रिम पैरों के सहारे माउंट ऐवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली दिव्यांग महिला बन गईं।
नितिका शुक्ला (ग्राम प्रधान): मिर्जापुर ज़िले के नगवासी गाँव की प्रधान नितिका ने ट्वीटर के जरिए मुख्यमंत्री तक अपने गाँव की समस्या पहुंचायी। अब नितिका को गाँव आई स्पर्श के लिए चुना गया है। मुख्यमंत्री द्वारा रानीलक्ष्मी बाई वीरता पुरस्कार पाने के बाद नितिका बताती हैं, अभी मुझे प्रधान बने तीन-चार महीने ही हुए हैं, गाँव में बिजली, सड़क, स्कूल जैसी बहुत सी समस्याएं हैं,सबसे पहले उस पर ध्यान दूंगी।
डिम्पी तिवारी (सेल्फ डिफेंस ट्रेनर): रायबरेली के लालगंज बैसवारा की रहने वाली डिम्पी तिवारी विद्यालयों और गाँवों की आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देती हैं। साथ ही महिलाओं के साथ अत्याचार होने पर आवाज भी उठाती हैं। गाँव की लड़कियां कई चुप ही रहती हैं, चाहें उन्हें कोई भी परेशान करें। इसीलिए मैं लड़कियों को ट्रेनिंग देती हैं जिससे वो मुकाबला कर सकेंगी।
नीतू, गीता, राजलीला (एसिड अटैक विक्टिम्स): गीता पर जब एसिड से हमला हुआ तो उन्हें लगा की उनकी जिंदगी खत्म हो गयी, लेकिन अब वो आगरा के शीरोज हैंगआउट कैफे में काम करती हैं। उनके साथ ही उन्हीं की तरह की कई महिलाएं हैं जो अब खुलकर जी रहीं हैं।
शीलू सिंह राजपूत- आल्हा गायिका आल्हा गायन के पुरुष प्रधान क्षेत्र में कदम रखकर आपने सामाजिक बदलाव की एक नई शुरूआत की है। आप की लोकप्रियता दूसरी हजारों लड़कियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनी। गांव कनेक्शऩ स्वयं अवार्ड 2015 की विजेता।
पुष्पलता राठौड़- सोलर दीदी: पति के आकस्मिक निधन के बाद ज़िंदगी में छाए अंधेरे से लड़ते हुए आपने पुरुष प्रधान के कार्यक्षेत्र मैकेनिक जैसी विधा को अपना रोज़गार बनाया। सैकड़ों घरों में रौशनी फैलाने और स्वावलंबन की भावना को बढ़ावा देने के लिए पुरस्कृत किया गया। स्वयं अवार्ड 2015 से सम्मानित
रेखा: रेखा ने जंगल से अगवा कर ले जाए जा रहे दो बच्चों को जान जोख़िम में डालकर मानव तस्करों से छुड़वाया। साथ ही वनग्रामों की समस्याओं के लिए अपने-माता पिता के साथ मिलकर आवाज़ उठाने के लिए सम्मानित किया गया।
वहीदुन निशा (ग्राम प्रधान): संतकबीर नगर के सेमरियावा विकास खंड के भंगुरा ग्राम पंचायत की पूर्व ग्राम प्रधान वहीदुन निशा ने दहेज उत्पीडऩ, भ्रूण हत्या, नशामुक्ति जैसे मुद्दों पर घर-घर जाकर लोगों को जागरूक किया। वहीदुन निशा कहती हैं, “पांच साल में कई काम कराए थे, पहले गाँव वालों ने विरोध भी किया, लेकिन धीरे-धीरे वो समझ गए कि उनके भले के लिए काम हो रहे हैं।”
अनीता यादव (अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी): इटावा जि़ले के भरथना विकास खण्ड के पत्तापुर गाँव की अनीता यादव आगरा के भष्ट्राचार निवारण संगठन में कॉन्सटेबल हैं। अनीता ने एथलीट में मलेशिया में वर्ष 2008 में और 2009 में तीन गोल्ड और सिल्वर, साल 2011 में न्यूयार्क में एक कांस्य, साल 2013 में गोल्ड जीता था। ”मैं चाहती हूं मेरी तरह दूसरी लड़किया भी खेल में आए और सम्मानित हो।” अनीता ने बताया।
निदा रिज़वी: लखनऊ की महिला व्यवसायी निदा रिज़वी को भी सम्मानित किया गया। निदा रिज़वी ने अपने व्यवसायिक कैरियर में बड़ा मुकाम हासिल करते हुए एक स्कूल की फ्रैंचाइज़ी लेकर वहां बतौर प्रधानाचार्य काम करना शुरू किया। उसके बाद रिज़वी ने एक के बाद एक 3 स्कूल और खोले। सामाजिक कार्य में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने वाली निदा रिज़वी को वर्ष 2012 में मास्टर शेफ इंडिया में टॉप 50 प्रतिभागियों में जगह मिली थी। निदा दो बच्चों की माँ हैं।