10 महीनों से घर में कैद है परिवार

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स्वाती शुक्ला

भिखारीलाल पुरवा (बाराबंकी)। एक पक्का कमरा, उसके आगे एक छप्पर। आंगन के आगे तालाब है। बाकी तीन तरफ पड़ोसियों के घर हैं। इंद्रपाल यादव पत्नी और चार बच्चों और 4 जानवरों के साथ अपने ही घर में 10 महीने से कैद हैं। जिंदगी भर जिस रास्ते से निकलते रहे पड़ोसी ने उस पर पक्की दीवार बना ली है। घर में आने-जाने के लिए अब बांस की सीढ़ी ही एक मात्र रास्ता है।

पूरा देश 15 अगस्त को आजादी की 69वीं वर्षगांठ मना रहा था, बाराबंकी जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर पूरब दिशा में भिखारीलाल पुरवा के इंद्रपाल यादव (60 वर्ष) अपने घर ही मिली कैद से आजादी की दुआ कर रहे थे।

इंद्रपाल बताते हैं, ”बाबा-परदादा के जमाने से हम यहां रहते हैं, परिवार में बंटवारा हुआ तो घर छोटे हो गए थे, लेकिन रास्ते की दिक्कत नहीं थी। 10 महीने पहले पड़ोसी सालिगराम के बेटे बलराम ने पक्का घर बनवाया तो हमारे ढाई मीटर चौड़े रास्ते पर भी दीवार बना ली।”

वो आगे बताते हैं, ”नींव खोदने के दौरान हमने रोका तो मारने की धमकी देकर कहा-जमीन हमारी है। प्रधान से लेकर तहसीलदार और डीएम तक गुहार लगाई। पुलिस भी कुछ नहीं बोली और हमारे दरवाजे के सामने दीवार उठाकर घर बना लिया।”

जिस दौरान दीवार उठाई जा रही थी, इंद्रपाल की दो गाएं और उनके दो बछड़े भी अंदर बंधे हुए थे। इसलिए वो भी घर में कैद हो गए।
घर के अंदर बंधी गाय को सहलाते हुए मायूस इंद्रपाल की पत्नी पार्वती देवी (55 वर्ष) बताती हैं, ”जिंदगी नरक होई गई है, आदमी तो दूर ये हमार तीन ठो जानवर भी घर मा बंद हैं। हम लोग तो सीढ़ी लगाकर किसी तरह बाहर चले जाते हैं, इन्हें कैसे ले जाएं।”

आंखों में आंसू लिए पार्वती देवी बताती है, ”तीन महीने पहले ठीक से चारा-पानी नहीं मिलने से एक बछड़ा मर गया। कई दिनों तक घर में पड़ा रहने के बाद जब बदबू फैली तो उसे घर में गड्ढा खोदकर दफनाना पड़ा। गाय भी एक ही जगह पर बंधे-बंधे बीमार हो गई है। अगर ये मर गई तो हमका बहुत पाप पड़ी। भगवान इनकी मौत से पहले हमें उठा लेना।”

पूरे घर में भीषण बदबू आज भी फैली हुई है। इंद्रपाल का दर्द समझने के लिए भिखारीलाल पुरवा पहुंची गांव कनेक्शन संवाददाता का इस घर में कुछ देर खड़े होना मुश्किल हो रहा था। सीढ़ी से चढ़-उतर कर इंद्रपाल पूरे परिवार के साथ कई बार तहसील दिवस के चक्कर लगा चुके हैं। पिछले बुधवार को बाराबंकी में आयोजित किसान मेले में इंद्रपाल ने जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्र के सामने फरियाद लगाई। गांव कनेक्शन के संवाददाता के सामने इंद्रपाल के हाथ से डीएम ने शिकायती पत्र ले लिए लेकिन कार्रवाई आज तक नहीं हुई।

इंद्रपाल बताते हैं, ”पहले भी कई बार हुआ है, अधिकारियों ने कहा- आज कार्रवाई होगी कल होगी, लेकिन 10 महीने बीत गए।”
उपजिलाधिकारी नवाबगंज तहसील नीलम यादव बताती है, ”ये आबादी के बीच का मामला है, आपस में बंटवारे को लेकर विवाद है। दीवार के बारे में हमें पता है, फिर भी हम देखते हैं उनकी कैसे मदद कर सकते हैं। जल्द ही कार्रवाई करेंगे।”

इंद्रपाल का रास्ता रोके जाने पर सूर्यपुर ग्राम पंचायत की प्रधान मंजू देवी बताती हैं, ”बलराम ने पहले उस जमीन पर छप्पर रखा था तो हमने उसे हटवा दिया था, मामला पुलिस और कचहरी तक भी ले गए थे, लेकिन दो-तीन महीने बाद उसने पुलिस से मिलीभगत कर पक्का घर बनवा लिया।”

एक तरफ जहां पीडि़त इंद्रपाल और गांव की प्रधान विवादित जमीन को ग्राम पंचायत की बता रही रही हैं, वहीं आरोपी बलराम के परिजनों का कहना है, जमीन का पट्टा उनके नाम है। बलराम की पत्नी रेनू यादव 26 वर्ष बताती हैं, ”हम अपनी ज़मीन पर दीवाल बनाए हैं कोई दूसरे की ज़मीन पर नाहीं, हमार मूल कांटा है। यहां पर कोई ग्राम प्रधान की जमीन नहीं है।”

पक्की दीवार के उस पार इंद्रपाल की तमाम जरूरी चीजें भी कैद हो गई हैं। खेत में धान लगाए हैं लेकिन अब सिंचाई न होने से वो सूख रहे हैं। मायूस इंद्रपाल बताते है, ”इंजन भी घर में ही रखा है, अब उसे बाहर कैसे लाएं जब रास्ता ही नहीं हैं।”

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