सीतापुर। सीतापुर के सिधौली क्षेत्र से रहस्यमयी बुखार के मौत ख़बरें आ रही हैं। पिछले कुछ दिनों में हुई मौतों के कारण लोग भयभीत हैं। ऐसे में जब गांव कनेक्शन की टीम ने ग्राउंड पर जाकर पड़ताल की तो जो बातें सामने आयीं वो चौंकाने वाली हैं।
सिधौली से लगभग 20 किमी दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गोंडलामाउ क्षेत्र के गाँव नटवल ग्रंट (जमुनापुर) में तेज़ी सफ़ाई चल रही थी। सड़क किनारे, नालियों किनारे, जहाँ भी गंदगी दिख रही थी वहाँ चूना डाला जा रहा था। सफ़ाईकर्मी में बड़ी तेजी में थे।
जहाँ सफ़ाई हो रही थी वहीं पर गमछा बांधे और बानियान पहने एक व्यक्ति इस काम को बहुत ध्यान से देख रहा था। 50 वर्षीय इस व्यक्ति का नाम रामखेलावन है। वे बताते हैं “भैया पता है यह सब क्यों हो रहा है? यहाँ पर कल एक दवाई बाँटने वाली टीम आयी थी जिसे गाँव के लोगों ने बंधक बना लिया और उन्हें जाने नहीं दे रहे थे। थोड़ी देर बाद इतने अधिकारी यहाँ आ गये कि पूछो मत।” अपना हाथ दूर तक दिखाते हुए कहा, ” वहाँ तक सब चार पहिया की गाड़ी खड़ी थी। उसमें सीएमओ (मुख्य चिकित्सा अधिकारी), एसडीएम ( अपर ज़िला अधिकारी) और बहुत अधिकारी थे। उन लोगों ने सबसे बात की तब जाकर उन्होंने उस टीम को छोड़ा।”
दवाई बाँटने वाली टीम को बंधक बनाने की वजह पूछने पर उनकी आवाज़ थोड़ी धीमी हो गयी और बोले, “भैया इस गाँव में चार लोगों की मौत हो गयी है, इसलिए लोग बहुत डरे हुए हैं।” मौतों की वजह रहस्यमयी बुखार है तो उन्होंने बताया, ” नहीं बुखार तो किसी को नहीं था। हाँ चार लोगों में से एक लोग बहुत बुज़ुर्ग थे उन्हें बुखार आ रहा था काफ़ी दिनों से। उनकी उम्र भी काफ़ी थी। रामलाल चाचा की 85 वर्ष के थे।”
गाँव में काफ़ी गंदगी थी। देखकर ऐसा लग रहा था कि शायद सफाईकर्मी यहाँ आते हों। सड़क किनारे कूड़ा पड़ा हुआ जिसपर सफ़ाईकर्मी ने चूना डाल रहा था।
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रहस्यमयी बुखार की और सच्चाई के हम गांव के ही एक और लोग से मिले। दिनेश (45) हमें गाँव के उन दो घरों में ले गये जिनमें रहस्यमयी बुखार से मौत बतायी जा रही थी। दिनेश ने बताया, “यह घर सुषमा (छः वर्ष) का है जिसकी मौत हुई थी। वह कई दिनों से बीमार थी। उसके घर में लगभग सभी लोग बीमार रहते हैं, लेकिन कभी इलाज करवाने नहीं जाते। इसी वजह से लड़की की मौत भी हो गयी।” हमने पूछा लड़की को बुखार नहीं था तो उन्होंने बताया, “वह पहले से ही बहुत बीमार थी, अब क्या पता उसे क्या हुआ था?”
सुषमा के घर के बगल से एक गली गयी है, वहीं के एक घर में पिछले दिनों रामलाल (85) की मौत हो गयी थी। घर पर एक दम शांति है। दिनेश ने बताया, यह भी अस्पताल नहीं जाते थे बीमार रहते लेकिन दवाई नहीं खाते थे।
घर का महौल देखकर हम उस तीसरे घर नहीं गए जहां दो मौतें हो गयी थीं। दिनेश उनके घर के बार पूछने पर बताते हैं, “रमेश (50 वर्ष) की बहू आशा (30 वर्ष) को बच्चा होना था। उसकी डिलीवरी के लिए उसे अस्पताल ले गये थे लेकिन वहाँ पर उसकी मौत हो गयी। रमेश भैया को शायद ग़म हो गया और वो इसे झेल नहीं पाए। यहीं बगल वाली दुकान पर बिस्किट लेने आए थे। बिस्किट ले लिया लेकिन खा नहीं पाए। उसी दुकान पर गिर गये फिर उठ नहीं पाए।” रमेश को हार्ट अटैक आया था।
“गाँव में चार मौतें हो गयी, लोग बहुत ज़्यादा डरे हैं। पिछले एक हफ़्ते से यहाँ दवाई भी बंट रही है। शुक्रवार को टीम जब दवाई बाँटने के लिए आयी तो लोगों ने उसे बंधक बना लिया। उन्हें छुड़ाने के लिए कई अधिकारी आए, जिसमें सीएमओ और एसडीएम भी आए। उन्होंने लोगों को समझाया तब जाकर टीम को छोड़ा। उन लोगों ने यहाँ पर प्रधान को भी डराया तभी आज देखो सफ़ाई चल रही है।” दिनेश ने बताया।
गाँव कनेक्शन ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी सीतापुर डॉ राजकुमार नैय्यर से बात की उन्होंने कहा “आप उस गाँव में हैं तो आपको सच्चाई पता चल ही गयी होगी। लोगों ने मौतों के लिए इसे रहस्यमयी बुखार को कारण बता दिया जिससे लोग और भयभीत हो गये हैं। गाँव में हुयी चारों मौतें अलग-अलग बीमारी के कारण हुयी हैं। रहस्यमयी बुखार जैसा कुछ नहीं है।”
“मैं आर्मी में भी काम कर चुका हूँ देश की सेवा मेरा धर्म है और मैं वही कर रहा हूँ। लोग स्वास्थ्य विभाग को दोषी बता रहे हैं। गाँव में इतनी गंदगी है। यह सफ़ाई का काम तो प्रधान होता है। वह सफ़ाई नहीं करवाता है। प्रधान को 10,000 रुपए प्रति वर्ष ग्रामीण स्वास्थ्य के लिए मिलते हैं और इस गाँव के प्रधान अब तक खाता ही नहीं खुलवाया है। हम पूरे जिले पर कड़ी निगरानी बनाए हुए हैं। किसी को भी स्वास्थ्य से जुड़ी कोई परेशानी न हो यही हमारा लक्ष्य है। गाँव में लोगों को पानी उबालकर पीने की सलाह दी है।दवाई लगातार बाँटी जा रही है।” सीएमओ ने कहा।
सीएमओ आगे कहते हैं “रमेश (50 वर्ष) की मौत हार्ट अटैक से हुई है। उनकी बहू आशा (30 वर्ष) की मौत क्रिटिकल डिलीवरी के समय हुई। सुषमा (छः वर्ष) काफ़ी समय से बीमार चल रही थी। रामलाल (85 वर्ष) बुज़ुर्ग भी काफ़ी समय से बीमार थे और अस्पताल जाने को तैयार नहीं थे। अब इन सब में रहस्यमयी बुखार कहाँ है समझ नहीं आया।”