सुमित यादव और वीरेंद्र सिंह
बाराबंकी/उन्नाव (उत्तर प्रदेश)। गर्म और उमस भरी दोपहर में पसीने से लथपथ, 60 वर्षीय रामखिलावन के चेहरे पर हताशा साफ दिखाई दे रही है। वह एक भीड़ भरे टीका केंद्र के बाहर खड़े, ‘करोना टीके’ के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे।
यह पहली बार नहीं था। टीकाकरण शिविर में वह तीन बार आ चुके हैं। तीनों दिन सुबह जल्दी आने के बावजूद उन्हें अभी तक टीका नहीं लग पाया है।
खिलावन गूढ़ा पकारियापुर गांव में रहते हैं जो उत्तर प्रदेश में बाराबंकी जिले के फतेहपुर तहसील के नेशनल इंटर कॉलेज में बने टीकाकरण केंद्र से लगभग पांच किलोमीटर दूर है।
60 वर्षीय खिलावन कम शब्दों में जल्दी जल्दी अपनी बात रखते हैं, “आठ बजे, राईट टाईम आ गए थे हम आज… दस बजे खुला ये… साढ़े दस बजे लगना शुरु हुआ… लाईन में लगे रहे, एक बजे नंबर आया तब भी लग नहीं पाया। ( मैं यहां सुबह आठ बजे पहुंचा। अधिकारी सुबह दस बजे आए और साढ़े दस बजे सेटीका लगना शुरुहुआ। मैं लाइन में खड़ा रहा। दोपहर एक बजे मेरी बारी आई लेकिन अभी तक मुझे टीका नहीं लगा।)
वह बताते हैं,”जब दोपहर एक बजे मेरी बारी आई तो अधिकारियों ने मुझसे मेरा आधार नंबर मेरे आईडी कार्ड पर प्रिंट करवाने के लिए कहा। आधार नंबर प्रिंट करवाने के बाद, मैं फिर से लाइन में खड़ा हूं।”
रामखिलावन खेतों में काम करके अपना गुजारा चलाते हैं और तीन दिन केंद्र में आने का मतलब है उनके तीन दिन के काम का नुकसान।
टीका लगवाने के लिए शिविर तक पैदल चल कर आने वाले रामखिलावन अकेले नहीं हैं। उनके आसपास लोगों की काफी भीड़ है जो कोविड-19 संक्रमण के खिलाफ़ टीका लगाने के लिए यहां तक आए हैं। जिस दिन राम खिलावन टीका लगाने पहुंचते कम से कम हजार लोगों की भारी भीड़ थी। सोशल डिस्टेंसिंग तो दूर की बात है, लोगों के मुंह पर मास्क तक नहीं दिखाई दे रहा थ।
लोग ज्यादा, टीके कम
अजय वर्मा बाराबंकी के फतेहपुर ब्लॉक में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी हैं। बिना टीका लगाए लोगों को वापिस क्यों भेजा जा रहा है, इस बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने गांव कनेक्शन को बताया कि टीकों की सप्लाई कम होने के कारण, केंद्र में आने वाले हर व्यक्ति को टीका नहीं लग पा रहा है।
वर्मा ने गांव कनेक्शन को बताया, “हमें एक दिन के लिए वैक्सीन की 500-600 शीशी मिलती हैं। लेकिन लगभग इससे तीन गुना ज्यादा- तकरीबन 1500 ग्रामीण एक साथ वैक्सीन लगवाने के लिए केंद्रों पर आते हैं। हम इस बारे में कुछ नहीं कर सकते। जितने टीके हमें मिलते हैं उतने लोगों को लगा देते हैं। केंद्र पर आने वाले सभी लोगों को यह टीका लग सके इसके लिए और अधिक टीकों की जरुरत है।”
उन्होंने आगे बताया, “पहले ग्रामीणों को उनके गांव में ही टीका लगाया जा रहा था लेकिन टीके की कमी के चलते अब सिर्फ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जैसे पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) और सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र) में ही टीकाकरण किया जा रहा है। वास्तव में, न केवल हमारे ब्लॉक में बल्कि पूरे राज्य में वैक्सीन की कमी है।”
टीका लगवाने में हिचकिचाहट से लेकर, टीके की कमी तक
रामखिलावन जहां पिछले तीन दिन से लाइन में आकर खड़े हो रहे हैं, उस टीकाकरण केंद्र से करीब 120 किलोमीटर दूर उन्नाव जिले में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है। जिले के लोछा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर सुबह 11 बजे तक पांच सौ से ज्यादा लोग जमा हो गए जबकि स्वास्थ्य केन्द्र के टीकाकरण की क्षमता करीब 200 से 220 डोज ही है। 28 साल की सुमन देवी का गांव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से आठ किलोमीटर दूर है। अपनी नवजात बेटी को गोद में लिए टीका लगवाने के लिए वह टीकाकरण शिविर के बाहर खड़ी थीं।
उन्होंने गांव कनेक्शन को बताया, “मैने यहां टेंपो से आने के लिए दस रुपये खर्च किए हैं। मैं यहां सुबह नौ बजे आ गई थी लेकिन अब दोपहर हो गई है और अभी तक मेरी बारी नहीं आई। मेरा बच्चा भीड़ और गर्मी से परेशान हो रहा है। अगर वह रोने लगे तो उसे शांत करना मुश्किल हो जाता है।” वह कहती हैं,” मुझे टीके के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता। हर कोई टीका लगवा रहा है तो मैं भी इसे लगवाने के लिए आ गई हूं।”
टीके को लेकर लोगों के मन में बैठे डर और झिझक दूर करने के लिए मई-जून के दौरान ग्रामीण जिलों में जागरूकता अभियान चलाया गया था। इसके बाद से लोग अब टीका लगवाने के लिए तैयार हुए लेकिन टीकाकरण केंद्र में आने वाले ग्रामीणों की भारी संख्या प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। यह संख्या इन स्वास्थ्य केंद्रों की क्षमता से अधिक है जिससे निपटना उनके लिए मुश्किल हो रहा है।
उन्नाव में ही अचलगंज सीएचसी प्रभारी अमित श्रीवास्तव ने गांव कनेक्शन को बताया,”हमारे पास रोजाना सिर्फ इतने टीके आते है जिससे 200 से 220 लोगों को ही टीका लगाया जा सकता है। लेकिन अक्सर तकरीबन 450 लोगों की भीड़ हमारे केन्द्र तक पहुंच जाती है और उसका परिणाम अक्सर हंगामा होता है।”
55 वर्षीय सरोज त्रिवेदी को कोविड-19 वैक्सीन की पहली डोज सात अप्रैल को लगी थी। उन्होंने गांव कनेक्शन को बताया कि उन्हें दूसरी डोज के लिए मारा मारी करनी पड़ रही है पहली डोज तो आसानी से लग गई थी।
वह बताती हैं, “जब मुझे टीके की पहली डोज लगी, उस समय कोई भीड़ नहीं थी। आसानी से टीका लग रहा था क्योंकि ज्यादा लोग नहीं आ रहे थे। मुझे इंतजार करते हुए छह घंटे से ज्यादा समय हो गया है। मुझे अभी तक टीका लगाने के लिए नहीं बुलाया गया। बहुत से लोग तो बिना टीका लगवाए ही वापस लौट रहे हैं।”
जब मई में अधिकारियों ने टीकाकरण के लिए ग्रामीणों से संपर्क किया तो बाराबांकी जिले में टीकाकरण से बचने के लिए कई लोग तो नदी में कूद गए थे। लेकिन आज स्थिति यह है कि यहां टीकों की कमी हो रही है।
इस बीच उन्नाव के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) सत्यप्रकाश सिंह ने गांव कनेक्शन को बताया, “हमें सीमित मात्रा में कोविड-19 के टीके मिल रहे हैं लेकिन कई बार उपलब्ध टीकों से अधिक लोग केंद्रों पर आ जाते हैं जिसके चलते असुविधा हो रही है। अधिक से अधिक लोग अपने स्लॉट ऑनलाइन बुक कराएं, हम इसका प्रयास कर रहे हैं।”
उत्तर प्रदेश में 2 अगस्त तक 48,217,391 लोगों को टीका लग चुका था। जिसमें बाराबंकी में रिकार्ड 728,715 लोगों और उन्नाव में 581,281 लोगों को टीका लगाया जा चुका है।
अनुवादः- संघप्रिया मौर्य