दुद्धी (सोनभद्र)। धान की फसल में इस वक्त यूरिया की जरूरत है, लेकिन सोनभद्र में किसानों को यूरिया नहीं मिल पा रही है। सरकार का दावा है कि प्रदेश में यूरिया की कोई किल्लत नहीं है लेकिन किसान घंटों लाइन में लगने के बाद खाली हाथ वापस जा रहे हैं।
अपनी धान की फसल में यूरिया डालने के लिए किसान सुनीता 26 अगस्त को सुबह ही दुद्धी तहसील की सहकारी खाद विक्रय केंद्र पर पहुंच गई थीं। उनके साथ दो बच्चियां थी, जिसमें से एक करीब एक साल की दूसरी 7-8 वर्ष की थी। सैकड़ों महिलाओं के साथ लाइन में लगी सुनीता बताती हैं, “घर के पुरुष काम करने के लिए बाहर चले जाते हैं इसलिए यूरिया लेने हमें आना पड़ा है। डेढ़ एकड़ धान लगाया है, लेकिन समय से पानी और यूरिया दोनों नहीं मिल पा रहे हैं।” सुनीता का गांव दुद्धी की सहकारिता समिति लैम्पस से करीब 7 किलोमीटर दूर और सोनभद्र के जिला मुख्यालय राबर्टगंज से करीब 100 किलोमीटर दूर है।
26 अगस्त को यहां पर सुनीता की तरह सैकड़ों महिलाएं और पुरुष यूरिया लेने पहुंचे थे, जिनमें ज्यादातर को मायूसी हाथ लगी। दुद्धी तहसील में ही धनौरा गांव के किसान मदन तिवारी कहते हैं, “धान रोपाई के 15 दिनों बाद उर्वरक का प्रयोग किया जाता है। लेकिन यहां तो 40 दिनों बाद भी उपलब्ध नहीं हो पाई है। क्रय विक्रय केंद्र दुद्धी पर तीन बार यूरिया आई। हर बार 300-400 बोरी यूरिया आती है लेकिन खरीदने वाले किसान हजारों होते हैं।”
दुद्धी के किसान रामसेवक बघाडू कहते हैं, “सुबह से शाम तक लाइन में खड़े रहे। जैसे ही मेरा नम्बर आया पता चला यूरिया खाद खत्म हो गई। मेहनत बेकार हो गई। ऐसे ही रहा तो धान की फसल बर्बाद हो जाएगी।”
यूरिया संकट को लेकर बात करने पर खाद विपणन के लिए उत्तरदायी संस्था के मुताबिक ऊपर से ही इस वर्ष जिले को कम यूरिया की आपूर्ति हुई है। सोनभद्र में सहायक निबंधन सहकारी समिति त्रिभुवन सिंह कहते हैं, “पिछले वर्ष से इस साल अब तक 3031 मीट्रिक टन खाद कम मिली है। जिससे ये समस्या बनी हुई है। पिछले वर्ष 9303 मीट्रिक टन यूरिया मिली थी, जिसके अनुपात में 2021 अगस्त तक 6193 मीट्रक टन की ही आपूर्ति हुई है।”
इस संबंध में बात करने पर इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) के राज्य विपणन प्रबंधक अभिमन्यु राय गांव कनेक्शन को लखनऊ से बताते हैं, “प्रदेश में यूरिया की किल्लत नहीं है। पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध है। सोनभद्र और मिर्जापुर जिलों के लिए 2 दिन पहले ही 2 रैक (1 लाख से ज्यादा बोरी) भिजवाई गई हैं। विपणन की रिपोर्ट अभी नहीं आई है। स्टॉक अगर जीरो हो गया होगा तो तुरंत भिजवाई जाएगी।”
गांव कनेक्शन ने अगस्त के दूसरे हफ्ते में उत्तर प्रदेश में यूरिया संकट को लेकर कई जिलों से ग्राउंड रिपोर्ट की थी कि कैसे 266.50 पैसे वाली यूरिया 300-400 में लेने को मजबूर हैं। इसके अलावा निजी कंपनियों के डीलर और दुकानदार उन्हें एक बोरी (45किलो) यूरिया के साथ 100 रुपए की जिंक भी लेने को मजबूर कर रहे हैं।
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कृषि विभाग के मुताबिक प्रदेश में औसतन 58-59 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती है। कृषि विभाग उत्तर प्रदेश के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019-20 में प्रदेश में 59.41 लाख हेक्टेयर धान की खेती हुई थी और 171.36 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ था। जबकि प्रति हेक्टेयर (2.50 एकड़) उत्पादकता 28.04 कुंटल थी।
प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने 3 अगस्त को लखनऊ में कृषि विभाग के अधिकारियों, उर्वरक निर्माता कंपनियों के साथ समीक्षा बैठक के बाद कहा कि प्रदेश में यूरिया, डीएपी, एनपीके पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, कहीं भी खाद की कोई कमी नहीं है। उन्होंने आगे कहा था अगर कोई यूरिया वितरक किसान को यूरिया के साथ कोई अतिरिक्त उत्पाद (जैसे जिंक) बेचता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी, जरुरत पड़ने पर लाइसेंस भी निरस्त किया जाएगा।
इस बैठक में कृषि मंत्री ने बताया था कि प्रदेश में अगस्त माह के निर्धारित 33.50 लाख मीट्रिक टन यूरिया के सापेक्ष में अब तक 30.61 लाख मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध कराई जा चुकी है। कुल उपलब्ध यूरिया के सापेक्ष में खरीफ सीजन में अब तक 20.09 लाख मीट्रिक टन यूरिया का वितरण हो चुका है, 10.41 लाख मीट्रिक टन बाकी है।
अगस्त का महीना धान किसानों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है लेकिन जिसमें उर्वरक की जरुरत होती है लेकिन सोनभद्र के किसान लगातार खाद के लिए परेशान हो रहे हैं।
यूरिया की किल्लत को लेकर कृषि अधिकारी कहते हैं कि यहां के ज्यादातर किसान इफको की यूरिया ही इस्तेमाल करते हैं इसलिए भी भीड़ है। सोनभद्र के जिला कृषि अधिकारी एच. के. मिश्रा कहते है, “जिले में सहकारी समितियों के कुल 78 क्रय केंद्रों पर इफ्को यूरिया खाद की सप्लाई किया जा रही है। जनपद में किसान सबसे ज्यादा इफ्को यूरिया का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए किसान की भीड़ लगी हुई है। इफको की तरल यूरिया लिक्विड खाद की सप्लाई शुरू नहीं हुई है।
सोनभद्र में दुद्धी जिले के बुजुर्ग किसान प्रयाग यादव कहते हैं, “हमारी कोई नौकरी या बिजनेस तो है नहीं। जो भी है यही किसानी है। यह भी नही होगा तो हम जैसे किसानों की क्या स्थिति होगी। हमारे परिवार सड़क पर आ जाएंगे।”