यूपी : लखनऊ और गौतम बुद्ध नगर में अब पुलिस कमिश्नर प्रणाली, जानिए क्या होंगे बदलाव

उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को मजबूत करने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने 13 जनवरी को बड़ा फैसला लेते हुए कैबिनेट बैठक में लखनऊ और गौतम बुद्ध नगर जिलों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली के लिए मंजूरी दे दी है।
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को मजबूत करने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने 13 जनवरी को बड़ा फैसला लेते हुए कैबिनेट बैठक में लखनऊ और गौतम बुद्ध नगर जिलों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली के लिए मंजूरी दे दी है।

पिछले 50 वर्षों से उत्तर प्रदेश में स्मार्ट पुलिसिंग के लिए पुलिस कमिश्नर प्रणाली की मांग की जा रही थी और अब राज्य सरकार ने लखनऊ और गौतम बुद्ध नगर में सबसे पहले यह प्रणाली लागू करने का फैसला लिया है। इस फैसले के बाद अब जिलाधिकारी के अधिकार कम हो जाएंगे।

इन दोनों ही जिलों में अपर पुलिस महानिदेशक स्तर (ADG) के अधिकारी पुलिस आयुक्त (Police Commissioner) बनेंगे। लखनऊ में सुजीत पांडेय और गौतम बुद्ध नगर में आलोक सिंह पुलिस कमिश्नर होंगे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, “आज ऐतिहासिक दिन है। काफी समय से नगर की आबादी को देखते हुए यह प्रणाली लागू करने पर विचार किया जा रहा था, मगर राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में इसे नजरअंदाज किया गया। मगर अब कैबिनेट बैठक में प्रदेश के लखनऊ और गौतम बुद्ध नगर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली को मंजूरी दे दी गई है।” 

इसलिए है जरूरी

♦ पुलिस आयुक्त प्रणाली की व्यवस्था भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 और दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 में दी गई है जो मूल रूप से 10 लाख से अधिक जनसंख्या के नगरों के लिए है। वहीं वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार लखनऊ नगर की जनसंख्या 29,02,920 है और गौतम बुद्ध नगर की जनसंख्या 16,48,000 हो चुकी है।

 अपराधियों के काम करने का तरीका लगातार जटिल और आधुनिक होता जा रहा है और संगठित अपराधों में अब मानव तस्करी, ड्रग्स के अलावा साइबर अपराध, नकली कॉल सेंटर, ऑनलाइन ठगी, स्कैम चलाना भी शामिल हो गए हैं। ऐसे में वर्तमान तकनीक अपर्याप्त सिद्ध हो रहीं हैं।

 देश के 15 राज्यों के 71 शहरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली पहले से ही लागू है। चेन्नई, कोलकाता और मुंबई में यह प्रणाली अंग्रेजों के समय से लागू है। इसके बाद दिल्ली, राजकोट, अहमदाबाद और हैदराबाद जैसे शहरों में भी बढ़ती जनसंख्या और अपराध की प्रवृत्ति को देखते हुए लागू किया गया।

 राज्य सरकार का तर्क है इस प्रणाली के लागू होने के बाद जिलों की कानून व्यवस्था बेहतर होगी और स्मार्ट पुलिसिंग के जरिए नागरिकों की सुरक्षा मजबूत होगी।

जिलाधिकारी के अधिकार घटे

अब तक कानून व्यवस्था को लेकर जिलाधिकारी के पास अधिकार होते थे लेकिन अब जिलाधिकारी के अधिकार घट जाएंगे। अब पुलिस कमिश्नर को कानून व्यवस्था से जुड़े अधिकार मिल जाएंगे और जिलाधिकारी के पास मनोरंजन कर, होटल, सराय कानून से जुड़े अधिकार शामिल होंगे। अब पुलिस कमिश्नर के पास शहर में धारा 144 लागू करने (किसी क्षेत्र में सुरक्षा संबंधित खतरे की आशंका को देखते हुए पांच या उससे अधिक व्यक्ति उस क्षेत्र में एक साथ एकत्र नहीं हो सकते), कफ्र्यू लगाना, जिला बदर करना, धारा 151 (संज्ञेय अपराधों को किए जाने से रोकने के लिए गिरफ्तारी और अपराध की गंभीरता को रोकना), गैंगस्टर, पाबंदी की कार्रवाई, असलहा लाइसेंस देने जैसे अधिकार शामिल होंगे।

ये होंगे बदलाव

 अपर पुलिस महानिदेशक (ADG) स्तर के अधिकारी को पुलिस कमिश्नर बनाया जाएगा जिनको कार्यकारी मजिस्ट्रेट के विधिक अधिकार दिए जाएंगे।

 पुलिस कमिश्नर पद के नीचे दो संयुक्त पुलिस कमिश्नर होंगे। ये आईजी रेंज के अधिकारी होंगे जो कानून व्यवस्था और प्रशासनिक स्तर की जिम्मेदारी संभालेंगे।

 पुलिस कमिश्नर और संयुक्त पुलिस कमिश्नर की मदद के लिए लखनऊ में 09 और गौतमबुद्ध नगर में 05 डीसीपी रैंक के अधिकारी तैनात किए जाएंगे। इन्हें विशेष कार्यकारी मजिस्ट्रेट के विधिक अधिकार दिए जाएंगे।

 महिला सुरक्षा के लिए लखनऊ और गौतम बुद्ध नगर में पुलिस कमिश्नर पद के नीचे एक-एक महिला आईपीएस अधिकारी की विशेष रूप से तैनाती की जाएगी। इनके साथ एक एएसपी महिला अधिकारी की भी तैनाती की जाएगी।

 इन दोनों जिलों में यातायात व्यवस्था को मजबूत करने के लिए पुलिस अधीक्षक स्तर के एक-एक अधिकारी अलग से तैनात किए जाएंगे।

 उत्तर प्रदेश में यह व्यवस्था पहली बार लागू की जा रही है। इस नयी व्यवस्था के बाद कानून व्यवस्था, अपराध नियंत्रण, महिला अपराध नियंत्रण और यातायात प्रबंधन पर हर 06 माह में समीक्षा की जाएगी और नई व्यवस्था का मूल्यांकन किया जाएगा।

 लखनऊ ग्रामीण क्षेत्र में पांच थाने और एक एसपी अधिकारी होगा। थानाध्यक्ष और सिपाही को वही अधिकार रहेंगे, जो उन्हें मिले हुए हैं।

संवाददाता सम्मेलन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “प्रदेश में पुलिस सुधार का यह सबसे बड़ा कदम उठाया गया है। हम प्रदेश के अन्य शहरों में भी बेहतर कानून व्यवस्था के लिए जो भी कदम उठाने होंगे, हम उठाएंगे।”

वहीं उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने पर कहा, “इस नई प्रणाली की मदद से अब स्मार्ट और संवेदनशील पुलिस को मजबूती मिलेगी। यह अपराध नियंत्रण में और मदद करेगा।” 

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