लखनऊ। सब्जियों के राजा आलू के साथ पिछले साल जो हुआ उसे ध्यान में रखते हुए योगी सरकार अभी से सजगता बरत रही है। इसी को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने आलू के उत्पादों को मिड-डे मील में शामिल करने का फैसला लिया है।
इस साल जनवरी में जब विधानसभा लखनऊ के बाहर आलू फेंका गया तो आलू एक नेशनल मुद्दा बन गया। किसानों को आलू की सही कीमत नहीं मिल रही थी, कोल्ड स्टोरेज में जगह नहीं थी। ऐसे में उत्तर प्रदेश में किसानों के पास आलू सड़क पर फेंकने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
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गौरतलब है कि पूरे देश में सबसे ज्यादा आलू उत्पादन उत्तर प्रदेश में ही होता है। देश के कुल उत्पादन में 32 फीसदी हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश की है। यहां 2016-17 के सीजन में 15076.88 मिट्रिक टन आलू का उत्पादन हुआ था। ज्यादा उत्पादन होने के कारण ही किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ा जबकि प्रदेश सरकार ने आलू का एमएसपी 487 भी तय किया था। इससे भी बात नहीं बनी तो इसे बढ़ाकर 566 रुपए कर दिया गया था।
प्रदेश में मार्च से आलू की खरीदी की शुरू हो जाती है। ऐसे में योगी सरकार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। रविवार को भारतीय किसान संघ के सम्मेलन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों का हित चाहती है इसलिए इस बार भी प्रदेश में समर्थन मूल्य पर आलू की खरीद होगी।
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कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश में ही आलू की खपत हो इसके लिए इसलिए इससे बने उत्पादों को सरकार मिड-डे मील योजना में शामिल करेगी। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि गंगा-यमुना के मैदानी क्षेत्र के रूप में दुनिया की सबसे उर्वर भूमि, प्रचुर पानी, भरपूर मानव संसाधन, विविधतापूर्ण जलवायु के रूप में प्रकृति और परमात्मा की उप्र पर खास कृपा है। ऐसे में अगर यहां के किसानों को खेती के अद्यतन तौर-तरीकों और बाजार के अनुसार फसल उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाये तो वह पूरी दुनिया का अन्नदाता बन सकता है।
(खबर अपडेट हो रही है)