एंबुलेंस हड़ताल मामला: कन्नौज में एंबुलेंस की चाबियां लेकर नए ड्राइवर लगाए गए, ड्राइवरों का आरोप कार्रवाई का बनाया गया दबाव

एंबुलेंस हड़ताल मामले में कन्नौज में प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए हड़ताली कर्मचारियों से एंबुलेंस की चाबियां ले ली हैं। एंबुलेंस के तकनीकी कर्मचारी और ड्राइवर दो दिन से एंबुलेंस का चक्का जामकर जिलों में प्रदर्शन कर रहे थे।
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कन्नौज (उत्तर प्रदेश)। रविवार रात से हड़ताल पर चल रहे एंबुलेंस हड़ताल मामले में मंगलवार को नया मोड़ गया गया। कन्नौज जिले में प्रशासन ने कार्रवाई की धमकी देकर जिले की सभी 51 एबुंलेंस की चाबियां ले लीं। इससे पहले लखनऊ में हड़ताली कर्माचरियों के संगठन के अध्यक्ष समेत 11 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज की गई थी।

कन्नौज में हड़ताली कर्मचारी तिर्वा मेडिकल कॉलेज में प्रदर्शन कर रहे थे, स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के अधिकारियों ने वहीं पहुंचकर पहले कर्मियों से काम पर लौटने की बात कही, लेकिन बात नहीं बनने कार्रवाई की बात हुई।

मंगलवार की रात कन्नौज के सीएमओ डॉ. विनोद कुमार, सीओ (क्षेत्राधिकारी पुलिस) तिर्वा दीपक दुबे और तहसीलदार अनिल सरोज राजकीय मेडिकल कॉलेज पहुंचे। यहां उन्होंने हड़ताल करने वाले एंबुलेंस ड्राइवरों व अन्य कर्मियों से काम को लेकर बात की लेकिन बात नहीं बनी। कर्मचारियों का आरोप है कि इसके बाद अधिकारियों ने रिपोर्ट दर्ज कर गिरफ्तारी करने की हड़की दी। कार्रवाई की बात सुनकर ड्राइवर सहम गए और चाबियां वापस कर दीं। बाद में गाड़ियां नए ड्राइवरों को देकर जिला अस्पताल के लिए रवाना कर दी गईं।

कन्नौज के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विनोद कुमार ने बताया कि “51 एंबुलेंस की चाबियां वापस ले ली गई हैं। 20 ड्राइवरों का इंतजाम है। 11 गाड़ियां जिला अस्पताल के लिए रवाना कर दी गई हैं। बाकी बुधवार को सुबह व्यवस्था हो जाएगी। हर जिले में कार्रवाई हो रही है। मरीजों की जान बचाना भी जरूरी है, इसलिए थोड़ा दवाब भी बनाया गया है।”

ड्राइवरों के छलके आंसू, बोले दवाब बनाया

जीवन दायिनी एंबुलेस सेवा के एक ड्राइवर राहुल सिंह ने बताया, “हम लोगों पर प्रशासन ने प्रेशर बनाया है। कोरोना संक्रमण काल में बच्चों के पास नहीं गए। संक्रमितों की जान बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की। अधिकारियों ने कार्रवाई की बात कही है, रिपोर्ट दर्ज न हो, इसलिए चाबियां दे दी हैं। उन्होंने बताया कि कोई सुनने वाला नहीं है, हम लोग अपना हक नहीं मांग सकते क्या।”

उधर लखनऊ में हड़ताली कर्मचारियों के संगठन के अध्यक्ष हनुमान पांडेय समेत 11 लोगों के खिलाफ महामारी अधिनियम और आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

ये है पूरा मामला

1.एंबुलेंस सेवा, सर्विस प्रोवाइडर (सेवा प्रदाता) के जरिए संचालित है। पुरानी कंपनी का टेंडर खत्म होने के बाद सरकार ने नई कंपनी को टेंडर दिया, नई कंपनी नए सिरे से भर्ती कर रही है।

2. कर्मचारियों का आरोप है कि जो काम वो करते हैं वही काम सरकार के नियमित कर्मचारी करते हैं तो उन्हें उनसे दो गुनी के करीब सैलरी और कई सुविधाएं मिलती हैं, जबकि उन्हें ठेके पर रखा जाता है सैलरी कम और सुविधाएं नहीं मिलती

3.कर्मचारियों की मांग है उन्हें सरकारी नियमित कर्मचारियों की तरह 23000 रुपए मासिक का समान वेतन दिया जाए।

4.कर्मचारियों का आरोप-नई कंपनी पुराने कर्मचारियों से भी ट्रेनिंग के नाम पर 20 हजार रुपए का ड्राफ्ट मांग रही है, जबकि वो लोग 8 साल से कर रहे हैं। उन्हें उसी काम के लिए प्रशिक्षण की जरुरत नहीं।

5.हड़ताली कर्मचारियों के मुताबिक जीवके कंपनी के अंतर्गत कार्य करते हुए एंबुलेंस के तकनीकी कर्मचारियों को 12734 रुपए मासिक और ड्राइवर को 10200 रुपए मिल रहे थे, अब नई कंपनी 12734 की जगह 10700 रुपए देना चाहती है। कर्मचारियों के मुताबिक सैलरी घटाई और काम के घंटे बढ़ाए जा रहे हैं।

महमारी अधिनियम और आवश्यक सेवा अधिनियम के तहत लखनऊ में  हड़ताली कर्मचारियों के संगठन के 11 लोगों पर रिपोर्ट दर्ज की गई।

 

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