उन्नाव गैंगरेप केस में आरोपी विधायक कुलदीप सेंगर को सीबीआई ने शुक्रवार सुबह लखनऊ में उनके आवास से हिरासत में ले लिया। इसी बीच पीड़ित ने कहा विधायक को सख्त सजा मिले, इससे पहले विधायक पर केस दर्ज होने और गिरफ्तारी में देरी पर लगातर सवाल उठ रहे थे।
लखनऊ। दो महीना पहले कन्नौज की सदर तहसील में एक बच्ची से रेप हुआ, पुलिस ने तुरंत एक बाबा को जेल भेज दिया था, बाद में पुलिस ने गलती मानी और मुख्य आरोपी को गिरफ्तार किया। लेकिन उन्नाव गैंगरेप केस में पुलिस को सिर्फ एफआईआर दर्ज करने में ही महीनों लग गए। ऐसे में अब सरकार और पुलिस को लोगों को गुस्से का सामना करना पड़ रहा है।
मामला कोर्ट, मुख्यमंत्री आवास, मीडिया और सोशल मीडिया में पहुंचने के बाद गुरुवार को जिन धाराओं (आईपीसी 363, 366, 376, 506 ) के तहत केस दर्ज हुआ है, अगर उनमें आरोप सिद्ध हुए तो आरोपी विधायक को 26 साल की सजा हो सकती है, क्योंकि इसमें पॉस्को भी शामिल है।हाईकोर्ट के जवाब-तलब में सरकार ने कहा कि आरोपी विधायक के खिलाफ इतने सबूत नहीं है कि तत्काल गिरफ्तार किया जा सके। डीजीपी कह चुक हैं कि मामला सीबीआई के हवाले है।
कितना भी ताकतवर हो, तुरंत गिरफ्तार होना चाहिए
केस दर्ज होने और गिरफ्तारी में देरी पर लगातार सवाल उठे। महिला मुद्दों पर काम करने वाली े संस्था आलीसोसिएशन फॉर एडवोकेसी एंड लीगल) से जुड़ी अभिवक्ता रेनू मिश्रा बताती हैं, “भारतीय दंड संहिता की धारा 197में अमेंडमेंड (सुधार) में कहा गया है कि यौन हिंसा से जुड़े अपराधों में अपराधी कोई भी, कितना भी ताकतवार क्यों न हो, उसे तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए। नियमत: तो 166 A और पॉस्को की 21 बी के तहत एफआईआर दर्ज करने वाले पुलिसकर्मियों पर भी केस होना चाहिए।”
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लेकिन हाई कोर्ट में यूपी सरकार ने कहा कि आरोपी विधायक के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं। अपने समर्थन में पुलिस ने पीड़िता की दो शिकायतों को ही आधार बनाया है। बीती 11 जून को जब पीड़िता गायब हुई थी, बरामद होने के बाद पीड़िता ने कोर्ट में विधायक का नाम नहीं लिया था। जबकि 17 अगस्त 2017 को दी गई शिकायत में विधायक का नाम लिखा है, चूंकि पहले के बयान में नाम नहीं था, इसलिए पुलिस ने कार्रवाई नहीं की।
मामला तब शुरू हुआ जब…
ढौड़िया खेड़ा में जमीन के नीचे खजाना दबे होने की घटना के बाद उन्नाव दोबारा सुर्खियों में है। एक युवती के अपरहण और गैंगरेप केस की शिकायत उस वक्त सुर्खियों में आई जब युवती के पिता को पुलिस ने गिरफ्तार किया, जेल में मारपीट हुई। पीड़िता ने मुख्यमंत्री दफ्तर के बाहर आत्मदाह की कोशिश की, इसी दौरान अस्पताल में बुरी तरह जख्मी पिता की मौत हो गई। हिरासत में हुई मौत के बाद हंगामा खड़ा हो गया। मामले में आरोपी विधायक कुलदीप सेंगर के भाई अतुल सेंगर समेत 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है।
विधायक के गांव का ही सुरेंद्र
जिस शख्स की मौत हुई पप्पू उर्फ सुरेंद्र, वो पीड़िता का पिता और उन्नाव के उसी गांव माखी का रहने वाला था, जो इस मामले के आरोपी और बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का गांव है। पिता की मौत के बाद एक्शन में आई योगी सरकार ने न सिर्फ एसआईटी का गठन किया, बल्कि दो अन्य जांचें भी कराईं, जिनमें पप्पू उर्फ सुरेंद्र से मारपीट मामले में विधायक को आरोपी माना।
इसके बाद बुधवार रात आईपीसी की धारा 363, 366, 376, 506 और पॉस्को एक्ट में मामला दर्ज किया। एसआईटी की रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार ने मामले में सीओ सफीपुर और उन्नाव जिला अस्पताल के दो डॉक्टरों को बर्खास्त किया गया। साथ ही मामले की जांच सीबीआई की सौंपी गई।
विधायक बोले, मेरी गलती हो तो दोगुनी सजा दी जाए
इससे पहले बुधवार रात लाव लस्कर के साथ लखनऊ एसएसपी आवास पहुंचे आरोपी बांगरमऊ विधायक ने कहा कि मीडिया जहां कहे वो चलने को तैयार हैं। इस पूरे मामले में मेरी कोई भूमिका नहीं है, ये राजनीतिक साजिश है, अगर मेरी गलती निकले तो दोगुनी सजा दी जाए।’ इससे पहले बुधवार दोपहर रेप मामले के ही एक और आरोपी शुभम की मां शशि सिंह ने कहा, “पीड़िता झूठ बोल रही है और ये पूरा केस फर्जी है।“ शशि सिंह पर रेप पीड़िता को बहला फुसलाकर कुलदीप सेंगर के पास ले जाने का आरोप है।
पीड़ित परिवार का आरोप है कि केस वापसी का दबाव बना रहे विधायक के भाई अतुल सिंह, विनीत और उसके दूसरे साथियों ने पिता से मारपीट की। पुलिस में शिकायत करने पर माखी पुलिस ने अवैध तमंचा दिखाकर उन्हें जेल भेज दिया, मारपीट और इलाज न होने से उनकी मौत हो गई।
मामले की जांच बड़े अधिकारियों के पास
गांव कनेक्शन से बात करते हुए बृहस्पतिवार को माखी थानाध्यक्ष राजेश सिंह ने कहा, “मामले की जांच बड़े अधिकारी कर रहे हैं, मारपीट वाले दिन हमारे पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार मृतक सुरेन्द्र सिंह की पत्नी की तरफ से अतुल सिंह विनीत, शैल, बौवा व अन्य के खिलाफ तहरीर दी थी, जिस पर इन आरोपियों के खिलाफ 323, 504, 506 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
और सुरेंद्र को जेल भेज दिया गया
वहीं इसी माह दूसरे पक्ष से टिंकू सिंह पुत्र जंग बहादुर सिंह ने सुरेंद्र सिंह के खिलाफ तहरीर दी। जिस पर मृतक सुरेंद्र सिंह पर 323, 504, 25/63 का मुकदमा दर्ज कर सुरेन्द्र सिंह को जेल भेज दिया गया था व रिकार्ड के अनुसार, दूसरे पक्ष का कोई भी आरोपी जेल नहीं भेजा गया था। सुरेंद्र सिंह की जेल में हुई मौत के बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर मुकदमे की धाराएं हत्या में तरमीम की गयी हैं और नामजद आरोपियों को जेल भेज दिया गया है।
घटना से जुड़े वीडियो और ऑडियो हुए वायरल
इस घटना को लेकर कई ऑडियो और वीडियो वायरल हो चुके हैं। एक कथित वीडियो में विधायक कहते नजर आ रहे हैं कि मृतक सुरेन्द्र सिंह और उनके भाईमहेश सिंह अपराधी हैं और उनसे पुरानी रंजिश रखते हैं, जिसके चलते फर्जी आरोपों के तहत उन्हें फंसाया जा रहा है। विधायक खुद इस मामले में नार्को टेस्ट व सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। वहीं दूसरे वीडियो में गैंग रेप के आरोप में पांच माह जेल में रह चुके शशि सिंह के बेटे शुभम ने खुद को व अपनी मां को निर्दोष बताते हुए पूरे मामले की जांच की मांग की है।
दोस्त से बन बैठे दुश्मन
पीड़िता व उसके चाचा महेश सिंह का 20 जून का वीडियो व पीडिता एवं गैंग रेप के आरोपी नरेश तिवारी का एक आडियो भी वायरल हुआ है। 20 जून के वीडियो में पीड़िता व उसके चाचा ने जो कहानी बताई, उसमें विधायक का नाम नहीं हैं, वहीं वायरल आडियो नरेश तिवारी से बात कर रही युवती को पीड़िता बताया जा रहा है। हालांकि इनकी किसी ने पुष्टि नहीं की है। कुलदीप सेंगर के मुताबिक मामला प्रधानी और जिला पंचायत चुनाव से जुड़ा है। सेंगर परिवार और पीड़ित परिवार कभी अच्छे दोस्त हुआ करते थे, लेकिन बाद के कई वर्षों से लगातार एक दूसरे के खिलाफ आरोप प्रत्यारोप और मुकदमे लिखवाए गए।