दुनिया के सातवें अजूबे ताजमहल का दीदार करना अब और भी महंगा हो रहा है। जैसे-जैसे ताज का टिकट महंगा हुआ, वैसे-वैसे सैलानियों की दिक्कतें बढ़ती जा रही हैं। ताज महल देखने वाले दर्शकों को अब 10 रुपये अधिक देने होंगे। आने वाले दिनों देश में ताजमहल सहित बाकी इमारतों को देखना महंगा हो जाएगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इस बारे में एक अधिसूचना जारी कर आपत्तियां मांगी हैं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा स्मारकों के प्रवेश शुल्क में वृद्धि को की गई अधिसूचना का विरोध पर्यटन उद्यमियों ने शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि विभाग स्मारकों में पर्यटकों को सुविधाएं उपलब्ध कराने को तो कुछ कर नहीं रहा, लेकिन दोहन निरंतर कर रहा है। स्मारकों में प्रवेश शुल्क बढ़ाने की बजाय सैलानियों के लिए सुविधाएं बढ़ाई जानी चाहिए।
एएसआई ने आगरा व दिल्ली सर्किल के स्मारकों के प्रवेश शुल्क में वृद्धि के लिए 21 दिसंबर को अधिसूचना जारी की है। इस पर 45 दिन में आपत्तियां लोगों से मांगी गई हैं। एएसआई ने 21 माह पहले अप्रैल, 2016 में ही प्रवेश शुल्क बढ़ाया था। इसके बाद स्मारकों पर सुविधाओं की जगह अव्यवस्थाएं बढ़ी हैं।
दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताज पर तो पिछले दिनों सैलानियों ने धक्के खाए, घंटों इंतजार किया और अंत में निराश होकर स्मारक देखे बगैर लौटे। सुविधाएं बढ़ाने की जगह प्रवेश शुल्क में वृद्धि का प्रस्ताव पर्यटन उद्यमियों को पसंद नहीं आया है। वह खुलकर इसकी खिलाफत कर रहे हैं।
इंडियन ट्रैवल ग्रुप के मालिक अनुज रावत बताते हैं, “स्मारकों का प्रवेश शुल्क बढ़ाया जाना, कभी भी समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता है। स्मारकों पर इससे भीड़ कम नहीं होगी, वह निरंतर बढ़ेगी। हमें इसी को ध्यान में रखते हुए स्मारकों पर पर्यटकों के लिए सुविधाएं विकसित करनी चाहिए। प्रवेश शुल्क में वृद्धि गलत है।”
एप्रूव्ड गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय शर्मा बताते हैं, “विदेशी पर्यटकों के लिए स्मारकों का प्रवेश शुल्क बढ़ाना गलत है। 21 माह पहले ही टिकट को 750 रुपये से बढ़ाकर 1000 रुपये कर दिया गया था। उन्हें सुविधाएं भी नहीं मिल रहीं। भारतीय पर्यटकों के लिए मुख्य गुंबद पर जाने का टिकट अलग से होना चाहिए।”
होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश चौहान बताते हैं, “विश्व धरोहरों को संजोकर रखने की जिम्मेदारी सरकार को उठानी चाहिए, लेकिन वह उनका व्यवसायीकरण कर रही है। सरकार को एक कोष बनाकर उससे स्मारकों को बचाने का प्रयास करना चाहिए। स्मारकों के प्रवेश शुल्क में वृद्धि नहीं की जानी चाहिए।”
एसोसिएशन ऑफ इंडियन टूर ऑपरेटर्स की नार्दन रीजन के चेयरमैन सुनील गुप्ता बताते हैं, “शहर में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी से पर्यटन उद्योग पहले ही सिसक रहा है। सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाना चाहिए था, मगर उसने स्मारकों के प्रवेश शुल्क में वृद्धि की अधिसूचना जारी कर दी। सरकार ने घावों पर मरहम लगाने की बजाय नमक छिड़कने का काम किया है।”
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1000 में सुविधा नहीं तो 100 रुपये बढ़ाने से क्या होगा
पर्यटन उद्यमियों का मानना है कि एएसआई जब ताज में विदेशी पर्यटकों को 1000 रुपये के टिकट में कोई सुविधा नहीं दे पा रही तो फिर 100 रुपये बढ़ाकर वह उन्हें क्या सुविधाएं देगी। भारतीय पर्यटकों को तो वैसे भी कोई सुविधा नहीं मिलती। उनका कहना है कि इससे केवल विभाग का रेवेन्यू बढ़ेगा।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण पर्यटकों को नहीं देता कोई सुविधा
विदेशी पर्यटकों के लिए वर्तमान में ताज के 1000 रुपये के टिकट में 500 रुपये एएसआई का प्रवेश शुल्क और 500 रुपये एडीए द्वारा वसूला जाने वाला पथकर है। पथकर के एवज में एडीए विदेशी पर्यटकों को पानी की बोतल, शू-कवर और गोल्फ कार्ट व बैटरी बस उपलब्ध कराता है। एएसआई पर्यटकों को कोई सुविधा नहीं देता। अब वह अपना प्रवेश शुल्क 500 से बढ़ाकर 600 रुपये करने जा रहा है, जिसे पर्यटन उद्यमी गलत बता रहे हैं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का ये है प्रस्ताव
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के प्रस्ताव के अनुसार, ‘ए’ कैटिगरी के स्थलों में एंट्री के लिए 30 की जगह 40 रुपये देने होंगे। विदेशी पर्यटकों को 500 की जगह 600 रुपये देने होंगे। इस कैटिगरी में ताज महल सहित आगरा किला, फतेहपुर सीकरी स्मारक, हुमायूं का मकबरा और कुतुब मीनार आते हैं। दिल्ली के लाल किले में एंट्री फीस 30 से बढ़ाकर 50 करने का प्रस्ताव है। ‘बी’ कैटिगरी के स्मारकों को देखने के लिए 15 की जगह 25 रुपये लगेंगे। एएसआई ने इस बारे में एक अधिसूचना जारी कर लोगों से आपत्तियां मांगी हैं। अगर किसी भी तरह की आपत्तियां नहीं आईं तो फिर इन सभी ऐतिहासिक इमारतों की टिकट दरों में बढ़ोतरी हो जाएगी।
केवल आगरा दिल्ली के ही स्मारक
एएसआई ने पर्यटन सीजन के मध्य में जो अधिसूचना स्मारकों के प्रवेश शुल्क में वृद्धि के लिए की है, उसमें केवल दिल्ली और आगरा के ही स्मारक हैं। इसमें भी दिल्ली के लाल किला में प्रवेश शुल्क पूर्ववत रहेगा। आगरा के सभी स्मारकों में प्रवेश शुल्क में वृद्धि के प्रस्ताव से विभाग की नीयत पर भी सवाल उठ रहे हैं।
बदलने वाला है ताज के दीदार का नियम
एंट्री फीस के अलावा ताजमहल को लेकर जो बड़ा बदलाव होने वाला है वह है परिसर में बिताये जाने वाले समय को लेकर। जानकारी के मुताबिक अब आप ताजमहल परिसर में पूरा दिन नहीं बिता पाएंगे। अब आप ताजमहल में महज कुछ ही घंटे घूम सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक सरकार भारतीय पर्यटकों के लिए ताजमहल में अधिकतम 3 से 4 घंटे का समय निर्धारित करने वाली है। यही नहीं अगर आप ताजमहल परिसर में तय वक्त से ज्यादा समय में निकलते हैं तो आपके ऊपर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
ताज में व्याप्त समस्याएं
- भीड़ प्रबंधन को कोई कदम नहीं उठाया गया
- स्टेप टिकटिंग की कोई बात नहीं की गई
- प्रवेश द्वार पर डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर और एक्सरे मशीन नहीं बढ़ाई गईं
- स्मारक की धारण क्षमता (कैरिंग कैपेसिटी) को लागू करने में निरंतर विलंब किया जा रहा है
कभी 20 पैसे में होता था ताज का दीदार
ताजमहल पर सबसे पहले 1966 में प्रवेश टिकट लगाया गया। तब 20 पैसे का टिकट था। उद्देश्य सैलानियों की संख्या जानना था। तीन साल बाद 1969 में टिकट के दाम 50 पैसे कर दिए गए। मौजूदा रॉयल गेट पर एक ही टिकट काउंटर से टिकट मिलती थी और वाहनों की पार्किंग फोरकोर्ट के अंदर ही होती थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की कमाई होते देख आगरा विकास प्राधिकरण ने स्मारकों पर पथकर लगा दिया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के 50 पैसे के एवज में विकास प्राधिकरण ने 1.50 रुपए वसूलना शुरू कर दिया। इसके बाद 1993 में सूर्योदय और सूर्यास्त के समय दो-दो घंटे के लिए अलग से 100 रुपए का टिकट लगाया गया। तभी से लगातार टिकट दरों में बढ़ोतरी की जा रही है।
ऐसे बढ़ता रहा ताजमहल के टिकट का दाम
वर्ष————–एएसआई————-एडीए——————–कुल टिकट दर
- 1966———20 पैसे———- – ——————————-20 पैसे
- 1969———50 पैसे———– – ——————————-50 पैसे
- 1976———50 पैसे———–1.50 रुपए———————–2 रुपए
- 1993———सुबह 6 से 8 तथा शाम को 5 से 7 तक 100 रुपये
- 1995———50 पैसे———–10 रुपए————————–10.50 रुपये
- 1996———5 रुपए———–10 रुपए—————————15 रुपये
वर्ष 2000
- भारतीय——-5 रुपए———–10 रुपए—————————15 रुपए
- विदेशी——–5 रुपए————500 रुपए————————–505 रुपए
वर्ष 28-10-2000
- भारतीय——10 रुपए———10 रुपए—————————-20 रुपए
- विदेशी——–470 रुपए——–500 रुपए————————–970 रुपए
वर्ष 2001
- विदेशी———250 रुपए——–500 रुपए————————–750 रुपए
- भारतीय——-10 रुपए———-10 रुपए—————————-20 रुपए
वर्ष 2016
- विदेशी———500 रुपए——–500 रुपए—————————1000 रुपए
- भारतीय——-30 रुपए———-10 रुपए—————————–40 रुपए