लखनऊ। ”छुट्टा गाय कहीं किसी का धान चर रही, कहीं किसी का गेहूं। अगर सरकार रोज तीस रुपए दे रही है तो इससे तो हमको बहुत लाभ होगा। इस बार सरकार ने बेहतरीन स्कीम निकाली है। अगर गाँव में सब एक-एक बांध लें तो किसी के खेत बर्बाद नहीं होंगे।” अपने घर के बाहर तख्त पर बैठे 70 वर्षीय बर्जुर्ग अब्बास खान बताते हैं।
बाराबंकी जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर गोरासेलाक गाँव में रहने वाले अब्बास सरकार के फैसले से काफी खुश हैं। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने छुट्टा जानवरों की समस्या से निपटने के लिए ‘बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना’ को मंजूरी दी।
इस योजना के तहत छुट्टा गायों को पालने वाले लोगों को प्रति पशु के हिसाब से 30 रुपए यानि महीने के 900 रुपए मिलेंगे। ये पैसे हर तीन महीने में दिए जाएंगे। इस पर 109.50 करोड़ रुपए होने का अनुमान है।
उत्तर प्रदेश में पिछले कई वर्षों से छुट्टा गाय मुद्दा बनी हुई हैं। इसके लिए योगी सरकार ने गांवों में गोशालाएं खुलवाई, लाखों गायों को इनमें रखा गया, लेकिन समस्या खत्म नहीं हुई। अब यूपी सरकार लोगों से ही कह रही है वो गाय पालें और उसका खर्च सरकार उठाएगी। सरकार के इस फैसले से किसानों को काफी राहत मिली है।
यह भी पढ़ें- छुट्टा जानवरों से परेशान लोगों ने मिलकर निकाला हल, 3 करोड़ जोड़ कर खुलवाई नंदीशाला
बाराबंकी जिले के फतेहपुर तहसील के गद्दीपुर गाँव में रहने वाले गुड्डू सिंह ने गाँव कनेक्शन को बताया, ”जब हर महीने सरकार 900 देगी तो लोग जानवर बांध लेंगे छोड़ेंग नहीं क्योकि उनको लगेगा कि कुछ खर्चा सरकार दे रही है तो कुछ खुद अपनी तरफ से कर लेगा। और जो खेती करता है उसके यहां थोड़ा बहुत चारा रहता ही है।” गुड्डू एक किसान हैं। अपनी फसलों को बचाने के लिए खेतों में रात-दिन रखवाली करते हैं। वह आगे कहते हैं, ” खेत के चारों तरफ तार खींचे हुए है। रात -दिन देखने के बाद भी जानवर फसल का नुकसान कर देते हैं। अगर इस योजना सही से शुरू किया गया तो किसान को बहुत फायदा होगा।”
बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के तहत पहले चरण में एक लाख छुट्टा गायों को इच्छुक लोगों को दिया जाएगा। यूपी सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने एक बैठक में इस योजना को मंजूरी देते हुए कहा कि गाय पालने वाले लोगों को यह भुगतान हर तीन माह पर किया जाएगा। जल्द ही इस भुगतान को मासिक किया जाएगा।
19वीं पशुगणना के अनुसार पूरे भारत में छ्ट्टा जानवरों की संख्या 52 लाख से भी ज्यादा है। उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग द्वारा किए गए सर्वे के मुताबिक 31 जनवरी वर्ष 2019 तक पूरे प्रदेश में निराश्रित पशुओं (छुट्टा पशुओं) की संख्या सात लाख 33 हज़ार 606 है। इनमें से लाखों पशुओं को यूपी सरकार द्वारा बनाई गई अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल में संरक्षित भी किया गया है वहीं कुछ अभी सड़कों और खेतों में समस्या बनी हुई है।
यह भी पढ़ें- छुट्टा पशुओं से परेशान है ग्रामीण भारत, सर्वे में हर दूसरे किसान ने कहा- छुट्टा जानवर बड़ी समस्या
”एक महीने में एक गाय पर 900 रुपए मिल रहे है तो यह सही है। क्योंकि अभी जो नुकसान हो रहा है वो बंद हो जाएगा। जो पैसा मिलेगा उससे किसान चारा-पानी लाएगा। वो गायों को बांधकर अपनी जिम्मेदारी निभाएगा। और जो गरीब है खिला नहीं सकते वो इन्हें पालेंगे फिर छोड़ेंगे नहीं। ” ऐसा बताते हैं, बरेली जिले से 58 किमी दूर मीरगंज ब्लॉक के नगरिया गाँव में रहने वाले राकेश सिंह।
छुट्टा जानवरों से निपटने के लिए सरकार के इस फैसले से जहां किसान खुश है वहीं कुछ किसान इस समस्या के हल को ऊंट के मुंह में जीरा बता रहे हैं। किसानों का मानना है कि सरकार द्ववारा जो राशि दी जा रही है वो काफी कम है। ”सरकार ने फैसला ले लिया लेकिन यह नहीं सोचा कि कुछ महीने बाद खेत जोत दिए जाऐंगे जानवरों को चराने की कोई व्यवस्था नहीं रह जाएगी। और भूसे की कीमत 800 रुपए से लेकर 1000 रुपए तक है। तो क्या इतना मंहगा भूसा जानवरों को किसान खिला पाऐंगे?” बाराबंकी जिले के जैतीपुर गाँव में रहने वाले मनोज कुमार (35 वर्ष) ने बताया, ”सरकार को राशि बढ़ानी चाहिए आश्रय स्थलों में रखने की अपेक्षा किसानों को राशि देने का यह फैसला ज्यादा सही है।”
समय पर मिले राशि तो होगी समस्या हल
सीतापुर के बिसवां ब्लॉक में रहने वाले महेंद्र गुप्ता किसान है। वह बताते हैं, ”सरकारें बड़े-बड़े एलान कर देती है। टीवी चैनलों और अखबारों में रोज गोशालाओं में गायों के मरने की खबरें होती है। सरकार को किसान को समय से पैसा देना होगा वरना लोग फिर छोड़ और समस्या बनी रहेगी। इसके लिए सरकार को किसानों के खाते में सीधे राशि देनी चाहिए।”
यह भी पढ़ें- पशुओं में किलनी, जूं और चिचड़ खत्म करने का देसी इलाज, घर पर बनाएं दवा
छुट्टा गायों को पालने वाले लोगों की होगी मॉनिटरिंग
इस योजना के तहत जो भी व्यक्ति छुट्टा गायों को पालेंगे सरकार उनकी मॉनिटरिंग भी करवाएगी। जिलाधिकारी और मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को यह देखने की जिम्मेदारी होगी कि इस योजना का लाभ उठा रहा व्यक्ति पशुओं का ठीक से ख्याल रख रहा है या नहीं।