बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी जिले में इस बार समय से पहले ही बाढ़ ने दस्तक दे दी है। सरयू नदी का जल स्तर बढ़ने से अब तक बाराबंकी के 34 गाँव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं।
मूसलाधार बारिश और नेपाल की ओर से पानी छोड़े जाने से सरयू नदी (पूर्व में घाघरा) का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। नदी खतरे के निशान से 60 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। ऐसे में गाँव के लोग सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करने को मजबूर हुए हैं।
गांवों में पानी भरने से कई जगह संपर्क मार्ग कट गए हैं और किसानों की फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। कोरोना वायरस को लेकर उत्तर प्रदेश में दो दिन की बंदी के बीच बाराबंकी के जिलाधिकारी समेत तमाम अफसरों ने आज बाराबंकी के बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा किया।
जिले की तहसील सिरौलीगौसपुर के सनावा और कहारनपुरवा गाँव में बाढ़ से हालात ज्यादा गंभीर बने हुए हैं। ग्रामीणों के घरों में पानी घुसने से इन गांवों से लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया जा रहा है। इसके अलावा रामसनेहीघाट और राम नगर तहसील के भी गाँव बाढ़ से प्रभावित हैं।
सनावा गाँव के अमर सिंह कहते हैं, “गाँव में पानी काफी बढ़ चुका है, कई लोग गाँव से पलायन कर चुके हैं और अब हम लोग भी सामान लेकर बंधे पर जा रहे हैं, अगर ऐसे ही पानी बढ़ता रहा तो पूरा गाँव डूब जायेगा।”
सरयू नदी अभी खतरे के निशान से 60 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। बाराबंकी के उपजिलाधिकारी (एसडीएम) सिरौलीगौसपुर के अनुसार नेपाल द्वारा छोड़े गए पानी से हर घंटे लगभग तीन सेंटीमीटर की रफ़्तार से नदी का पानी बढ़ रहा है। ऐसे में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में हालात नियंत्रण में करने के प्रयास किये जा रहे हैं।
एसडीएम सिरौलीगौसपुर प्रतिपाल सिंह चौहान ‘गाँव कनेक्शन’ से बताते हैं, “कहारनपुरवा और सनावा गाँव के लोगों को पहले ही हमने विद्यालय में शिफ्ट करा दिया था, मगर अब ऊपर बन्धे पर शिफ्ट करा रहे हैं। हमारी कई बाढ़ की चौकियां सक्रिय हैं। इसके अलावा हमने 200 नावों की भी व्यवस्था कर रखी है, जहाँ जरूरत होती है वहां उसे भेजा जाता है। चौकियों पर बाढ़ से निपटने के लिए हर जरूरी सामान की व्यवस्था की गयी है।”
अब तक दो गांवों के 52 परिवारों को सुरक्षित स्थानों में पहुँचाया गया है। इसके अलावा इन परिवारों के लिए राहत सामग्री की व्यवस्था प्रशासन की ओर से की जा रही है।
दूसरी ओर बाढ़ प्रभावित अन्य गाँवों में भी पानी तेजी से बढ़ रहा है। कई जगह गाँवों के संपर्क मार्ग कट गए हैं और किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा है।
जिले की तहसील सिरौलीगौसपुर के तिलवारी गाँव के ग्रामीण राजकुमार बताते हैं, “हर साल बाढ़ आती है, गाँव के संपर्क मार्ग कट जाते हैं, हर बार हम अफसरों से शिकायत करते हैं, मगर सड़क पक्की करने के नाम पर बस एक ट्रॉली मिट्टी गिरा दी जाती है, इसके अलावा कोई सुनवाई नहीं होती, हमारा गाँव पानी से चारों तरफ से घिरा है, गाँव के लोग बहुत परेशानी उठाते हैं।”
इसी गाँव के प्राथमिक अस्पताल के डॉक्टर संजय सिंह बताते हैं, “बाढ़ में हमारा अस्पताल पानी में पूरी तरह डूब चुका है, हर साल बाढ़ के कारण ऐसा होता है, इस समय कोविड-19 एवं संचारी रोग का भी प्रकोप ज्यादा है इसलिए फिलहाल हम लोग बंधे पर बैठकर स्वास्थ्य सेवाएं लोगों को दे रहे हैं।”
जायजा लेने पहुंचे डीएम, नोडल अधिकारी
दूसरी ओर बाढ़ से निपटने की तैयारियों को लेकर बाराबंकी के जिलाधिकारी आदर्श सिंह और नोडल अधिकारी एस. राधा चौहान, मुख्य विकास अधिकारी मेधा रूपम और पुलिस अधीक्षक डॉ. अरविंद चतुर्वेदी के साथ प्रभावित गांवों का जायजा लेने के लिए पहुंचे।
इस बीच नोडल अधिकारी राधा चौहान ने तटबंध पर रुके हुए ग्रामीणों की राहत सामग्री को लेकर अधिकारियों से चर्चा की। इसके अलावा ग्रामीणों से भी उनकी समस्याओं को लेकर बातचीत की। नोडल अधिकारी ने बाढ़ को लेकर अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
वहीं डीएम आर्दश सिंह ने बताया, “प्रभावित परिवारों को राहत सामग्री जैसे तिरपाल, पन्नी आदि का वितरण करवा दिया गया है और बाढ़ पीड़ितों की हर सम्भव मदद की जा रही है ताकि इन्हें किसी प्रकार की परेशानी न हो। इसके लिए हमारी टीम लगातार मोनिटरिंग कर रही है।”
“इसके अलावा बाढ़ से संचारी रोगों का भी खतरा बढ़ गया है। ऐसे में अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि कैसे ग्रामीण सावधानी बरतें और खुद को इन रोगों से बचाएं, सीएचसी सिरौलीगौसपुर की ओर से ग्रामीणों को दवाएं भी वितरित की जा रही हैं,” डीएम आदर्श सिंह बताते हैं।
(रिपोर्टिंग सहयोग : वीरेन्द्र सिंह)
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