शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश। आदित्य सिंह बिना हेलमेट पहने अपनी मोटरसाइकिल चला रहे थे, तभी उनका एक्सीडेंट हो गया और उनकी मौत हो गई। साल था 2009 और आदित्य की उम्र 29 साल थी।
उनकी मृत्यु से उनके छोटे भाई अभय प्रताप सिंह पर गहरा असर पड़ा। 2021 में, जब अभय प्रताप को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में नियामतपुर की ग्राम पंचायत के ग्राम प्रधान के रूप में चुना गया, तो उन्होंने सबसे पहले मोटरसाइकिल चलाते समय हेलमेट पहनने के महत्व पर जागरूकता अभियान चलाया, जिसमें पीछे बैठे व्यक्ति भी शामिल थे। भारत दुनिया के उन देशों में से एक है जहाँ सड़क दुर्घटनाओं के कारण सबसे अधिक मौतें होती हैं।
पिछले दो सालों से, अभय प्रताप अपना योगदान दे रहे हैं और अपने गाँव में हेलमेट बाँट रहे हैं , वे लोगों से अपील करते हैं कि बिना हेलमेट दोपहिया गाड़ी नहीं चहलायें। गाँव के लगभग हर घर को उनसे एक हेलमेट मिला है।
अभय प्रताप सिंह ने गाँव कनेक्शन को बताया, “मैंने अपने गाँव में लगभग 150 हेलमेट दान किए हैं और मेरे घर में 500 और हेलमेट रखे हैं, जिन्हें मैं बाँटने की योजना बना रहा हूँ।”
“मैंने अपना भाई खो दिया। पूरा परिवार उन्हें याद करता है; मैं नहीं चाहता कि मेरे गाँव में किसी और को मेरे परिवार की तरह कष्ट झेलना पड़े।” 27 साल के अभय ने कहा।
उनकी 65 साल की माँ लज्जावती सड़क दुर्घटना में अपने बड़े बेटे को खोने के गम में अब भी गमगीन हैं। “मुझे मेरे बेटे की दुर्घटना की याद मत दिलाओ; जब भी मैं इसके बारे में सोचती हूँ तो दुख होता है और गुस्सा भी आता है।” उन्होंने कहा, ”लड़कों को मोटरसाइकिल पर बैठते समय अपने परिवार के बारे में भी सोचना चाहिए।”
सड़क यातायात चोटें विश्व स्तर पर मौत का प्रमुख कारण हैं। सबसे अधिक मौतों के मामले में दुनिया की लगभग 11 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ भारत ऊपर है – भारत में सड़क दुर्घटनाओं में प्रति घंटे 19 लोगों की जान चली जाती है।
पिछले साल यानी 2022 में कुल 461,312 सड़क दुर्घटनाएँ हुईं, जिनमें 168,491 लोगों की जान चली गई, जबकि 443,366 लोग घायल हुए। सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक प्रभावित आयु वर्ग 18-45 साल है, जो कुल आकस्मिक मौतों का लगभग 67 प्रतिशत है।
शाहजहाँपुर में सहायक सड़क परिवहन अधिकारी शांतिभूषण पांडे ने कहा, “लगभग 70 प्रतिशत चोटें और मौतें इसलिए होती हैं क्योंकि दोपहिया वाहन चालक बिना हेलमेट के थे।”
“मुझे ख़ुशी है कि ग्राम प्रधान अभय प्रताप सिंह लोगों को अपने दोपहिया वाहनों पर हेलमेट पहनने के लिए प्रेरित करने के इस अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं; अधिक लोगों को आगे आना चाहिए और जागरूकता बढ़ाकर समाज की मदद करनी चाहिए।”
लक्ष्मी इस साल की होली को कभी नहीं भूल सकतीं। उस दिन उनके पति, अरविंद सिंह, एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गए और सिर में गंभीर चोट लगने के कारण एक सप्ताह बाद उनकी मौत हो गई।
नियामतपुर गाँव की निवासी 32 वर्षीय लक्ष्मी, जो अब अकेले ही अपनी दो बेटियों का पालन-पोषण कर रही हैं, ने कहा, “अगर उसने हेलमेट पहना होता तो शायद वह अभी भी ज़िंदा होते।”
लक्ष्मी ने कहा, “हमने उनके इलाज के लिए अपनी दो भैंसें, अपने गहने बेच दिए और अपने परिवार के लगभग सभी लोगों से पैसे उधार लिए लेकिन फिर भी उन्हें नहीं बचा सके,मुझे नहीं पता कि मैं अपना सारा कर्ज़ कैसे चुकाऊँगी। ” चिंतित होकर कहा।
ग्राम प्रधान अभय प्रताप के मुताबिक हेलमेट के लिए अभियान का कुछ असर हुआ है। “मैं अपने गाँव में लोगों को लगातार हेलमेट पहनने के लिए कह रहा हूँ; मैं उनसे कहता हूँ कि यह उनकी जान बचा सकता है, सिर की चोट लोगों को अगर मौत नहीं तो जीवन भर के लिए अपाहिज बना सकती है; अगर मैं किसी को भी बिना हेलमेट के देखता हूँ, तो मैं उनसे घर जाकर अपना हेलमेट लेने के लिए कहता हूँ। ” उन्होंने कहा।
ग्रामीणों को खुशी है कि उनके ग्राम प्रधान को उनकी सुरक्षा की चिंता है।
“मैं लगभग 20 किलोमीटर बाइक से यात्रा करता हूँ; प्रधान जी सड़क सुरक्षा और हेलमेट पहनने को लेकर बहुत सजग हैं, उन्होंने मुझे एक हेलमेट भी दिया है। ” गाँव के 29 साल के दूध का व्यवसाय करने वाले आदेश यादव ने गाँव कनेक्शन को बताया।
उनका छोटा भाई, निखिल यादव, अभी 18 साल का हो गया है और अपने ड्राइविंग लाइसेंस का इंतज़ार कर रहा है। उन्होंने वादा किया, “जब मैं बाइक चलाऊँगा तो हमेशा हेलमेट पहनूँगा। ”
“हमारे आसपास में, शायद हमारा ही इकलौता गाँव है जहाँ के सभी लोग हेलमेट पहनते हैं; यह सब प्रधान जी द्वारा फैलाई गई जागरूकता के कारण है। :” 24 साल के अजनीश सिंह ने गर्व से कहा।