उत्तर प्रदेश में धान खरीद को लेकर हंगामा जारी है। किसानों के मुताबिक एक तरफ जहां मौसम की मार ने उनकी कमर तोड़ दी है, वहीं धान बेचने में भी उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। लखीमपुर खीरी की मोहम्मदी मंडी में धान की तौल न होने से नाराज एक किसान ने धान में आग लगा दी। उधर, किसानों को राहत देते हुए योगी सरकार ने धान खरीद के कई नियमों में बदलाव किया है।
उत्तर प्रदेश में लखीमपुर खीरी जिले की मोहम्मदी मंडी में शुक्रवार को एक किसान ने अपने धान के ढेर में पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी। किसान का आरोप था कि हफ्ते भर से मंडी में धान लेकर आए हैं लेकिन तौल नहीं हो रही है। वहीं स्थानीय प्रशासन कहा कि धान में नमी ज्यादा था, फिर दो दिन की छुट्टियां हो गईं और बाद में बारिश के चलते खरीद में दिक्कत हुई किसान के धान की आज से तौल की जा रही थी।
उपजिलाधिकारी मोहम्मदी पंकज श्रीवास्तव ने मीडिया को बताया कि जिन किसान का धान है उनका नाम नरेंद्र सिंह है, वो जब धान लेकर आए थे उसमें नमी ज्यादा थी उनका धान मंडी में सुखवाया जा रहा था। इसी बीच छुट्टी हो गई और फिर भारी बारिश में धान भीग गया। इसके बाद धान को सुखवाया आज (22 अक्टूबर) से खरीद की जा रही थी। पिता से बात हो गई थी लेकिन उनके बेटे ने दबाव बनाने के लिए ऐसा किया है।
यूपी में धान खरीद को लेकर पिछले हफ्ते सीतापुर में जिले की नवीन गल्ला मंडी में किसान प्रदर्शन कर चुके हैं इससे पहले लखीमपुर की पलिया और अलीगंज इलाके में विवाद हो चुका है। गांव कनेक्शन धान खरीद को लेकर लगातार ग्राउंड रिपोर्ट कर रहा है। लखीमपुर, पीलीभीत शाहजहांपुर में धान खरीद 1 अक्टूबर से शुरु हुई थी लेकिन 13 अख्टूबर तक पलिया मंडी में बनाए गए दो केंद्रों पर एक भी किलो धान की खरीद नहीं हुई थी। शाहजहांपुर में भी कई किसानों ने खरीद न करने की शिकायत की थी।
खरीद केंद्र संचालकों के मुताबिक यूपी में धान खरीद को लेकर दो समस्याएं रही हैं पहली समस्या धान में नमी की मात्रा ज्यादा होने की है दूसरी धान मिलों से समझौते को लेकर था। इसी बीच सरकार ने कई किसानों को समस्याओं को देखते हुई कई नियम शर्तों में बदलाव कर दिया है। इससे पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बारिश के बाद स्थितियों की समीक्षा करते हुए अधिकारियों से कहा था कि किसानों को धान बेचने में दिक्कत न हो, खरीद केंद्रों पर ही धान सुखाने के सारे इंतजाम किए जाएं।
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सरकार ने धान खरीद को लेकर बदले नियम, किसानों को ये होगा फायदा
उत्तर प्रदेश सरकार में अब किसान हफ्ते में 6 दिन 50 कुंटल से अधिक धान बेच पाएंगे। इसके साथ ही वो बिना किसी रोकटोक के पड़ोस के जिले में अपन धान बेच सकते हैं। 21 अक्टूबर को राज्य सरकार ने धान खरीद को लेकर 6 बिंदुओं में बदलाव किया है। यूपी सरकार में खाद्य एवं रसद विभाग के विशेष सचिव राकेश कुमार मिश्र ने इस संबंध में आदेश जारी किया है।
अब हफ्ते में 6 दिन 50 कुंटल से ज्यादा की खरीद
खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में मूल्य समर्थन योजना के अंतर्गत धान क्रय की संसोधित नीति के तहत अब हफ्ते में किसान से 50 कुंटल से अधिक धान खरीदा जाएगा। इससे पहले नियम था कि सोमवार से बृहस्पतिवार तक किसानों से 50-50 कुंटल धान खरीदा जाता था शुक्रवार और शनिवार को 50 कुंटल से अधिक खरीद का नियम था। लेकिन अब ये शर्त खत्म कर दी गई है।
पड़ोस के जिले में धान बेचने की आजादी
किसान अब अपनी सुविधा के अनुसार पड़ोस के जनपद के किसी क्रय से टोकन निकालकर वहां धान बेच सकते हैं हालांकि अगर कोई किसान एक बार किसी सेंटर पर अपनी उपज (धान) बेच जाता जाता है तो अगली बार उसे अपना शेष धान उसी सेंटर पर बेचना होगा।
इससे पहले नियम था कि अगर कोई किसान पड़ोसी जिले के अपने पास के केंद्र पर धान की बिक्री करना चाहते हैं, जो जिलाधिकारी की परमिशन जरुरी होती थी, यानि किसानों की सुविधा के लिए जिले के डीएम को पड़ोस के जिलाधिकारी से बातकर विक्रय की अनुमति देनी होती थी, अब ऐसा नहीं है।
सीतापुर में समय से पहले खरीद
संसोधित नियम के तहत अब सीतापुर धान की खरीद 12 अक्टूबर से जारी है अब 11 फरवरी 2022 तक चलेगी, इससे पहले यहां 1 नवंबर से खरीद शुरु होनी थी जो 28 फरवरी तक जारी रहती।
इसके अलावा पहले नियम था कि किसी जिले में धान की उत्पादकता का आंकलन कृषि विभाग द्वारा वर्ष 2021-22 में प्रति हेक्टयर अनुमानित औसत उत्पादन के आधार पर किया जाता था, इससे ज्यादा की खरीद के लिए या मांग के लिए जिलाधिकारी को प्रस्ताव बनाकर खाद्य आयुक्त को दिया जाता था, परीक्षण के बाद उस जिले में उत्पादकता में संसोधन किया जाता था लेकिन अब इससें भी सरकार ने थोड़ी छूट दी है।
नई खरीदी नीति के तहत किसानों की उपज की मात्रा का आंकलन कृषि विभाग द्वारा 2021-22 में प्रति हेक्टेयर औसत अनुमानित उत्पादकता के 120 फीसदी के आधार पर किया जाएगा। इससे अधिक की मांग या जरुरत पर जिलाधिकारी प्रस्ताव बनाकर खाद्यायुक्त को देंगे, परीक्षण के बाद जिले की उत्पादकता संसोधित की जाएगी।
60 लाख हेक्टेयर में धान की खेती 70 लाख मीट्रिक टन खरीद का है लक्ष्य
उत्तर प्रदेश में लगभग 60 लाख हेक्टेयर में धान की खेती की गई थी। सरकार ने साल 2021-22 के लिए 70 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य रखा है। यूपी में लखीमपुर, पीलीभीत समेत कई जिलों में 1 अक्टूबर से धान खरीद शुरु हुई है, सीतापुर में 12 अक्टूबर से जबकि बाकी जिलों में 1 नवंबर से धान की खरीद शुरु होगी। खाद्य एवं रसद विभाग की वेबसाइट के मुताबिक 22 अक्टूबर तक प्रदेश में वर्तमान में चालू 2405 खरीद केंद्रों के माध्यमों से 3264 किसानों से 13983.377000 मीट्रिक टन धान की खरीद हुई है। जिसके बदले किसानों को 271564825.80 रुपए का भुगतान किया जाएगा।
प्रदेश में धान बिक्री के लिए खाद्य एवं रसद विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइऩ पंजीकरण कराना होता जिसके बाद टोकन जनरेट होता और फिर संबंधित खरीद केंद्र पर तौल होती है। 22 अक्टूबर तक प्रदेश में करीब 3 लाख (296909) किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है, जिसमें से 3264 किसानों से खरीद हो चुकी है।
सरकारी के नियमों के अनुसार धान खरीद में सबसे अहम नमी की मात्रा है। सरकार ने 17 फीसदी नमी तय की है। इससे ज्यादा की नमी होने पर मंडी या क्रय केंद्र पर धान सुखाकर तौल का नियम है। खरीद केंद्र के अधिकारियों के मुताबिक इस साल ज्यादा समय़ तक बारिस होने और 17-19 अक्टूबर के बीच भारी होने के चलते में धान की नमी की मात्रा ज्यादा है।
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किसानों के मुताबिक बेमौसम बारिश ने किया बर्बाद
किसानों का कहना है धान बेचने में पहले ही नमी की सबसे ज्यादा समस्या था और अब तो इस भीषण बारिश (17-19 अक्टूबर) की बारिश में धान भीग गया है। कई जगह धान काला पड़ गया है तो कई जगह मंडी या खरीद केंद्र के बाहर, किसान के घर और खेत में ही कटा हुआ धान अंकुरित हो गया है। जिसके बाद सरकारी खरीद तो दूर व्यापारी भी धान का औने-पौने रेट लगाने लगे हैं।
यूपी के बाराबंकी जिले में अभी सरकारी धान खरीद शुरु नहीं हुई है। लेकिन आलू की बड़े पैमाने पर खेती के लिए भारी संख्या में किसानों की फसलें कट चुकी हैं। भारी बारिश के चलते खेत में कटे पड़े धान से लेकर घर-आंगन में लगे ढ़ेर तक भीग गए हैं। बारांबकी जिले में सूरतगंज ब्लॉक के किसान किसान शैलेंद्र शुक्ला ने 16 तारीख को करीब 4 एकड़ धान कटवाया था और 70-80 कुंटल धान पैदा हुआ है। धान बेचकर वो आलू बोने वाले थे और दिवाली मनाते लेकिन कटाई के अगले दिन भीषण बारिश का दौर शुरु हो गया। किसी तरह परिवार ने मिलकर द्वारा पड़े धान को समेटा लेकिन काफी नुकसान हो गया। अब उनका धान काला भी हो गया है और जमाव भी हो गया है।
शैलेंद्र कहते हैं, “बारिश की आशंका को देखते हुए धान कटवाया था लेकिन बिकने से पहले बारिश हो गई। तीन दिन तक बारिश हुई में धान खराब हो गया। अब कोई उसे लेने वाला नहीं। व्यापारी 1000 रुपए कुंटल का रेट दे रहे हैं।”
सीतापुर जिले में मिश्रिख तहसील में बेहड़ा गांव के महावीर (30वर्ष) कहते हैं, “बारिश के बाद किसी तरह धान काट तो लिया लेकिन ये सड़ जाएगा, इसका भाव मिलना मुश्किल है। बहुत नुकसान हो गया।”
पीलीभीत में एक चावल मिल के मालिक अजीम खान गांन कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, “मिल तो चालू हैं। धान की कूटा जा रहा है लेकिन इस बार नमी थोड़ी ज्यादा है। तो ड्रायर में सुखाना पड़ता है।” सरकार और चावल मिल मालिकों के समझौते को लेकर वो कहते हैं, धान की कुटाई तो जारी है लेकिन हम लोग की मांगों पर सरकार ने कोई फैसला नहीं मिला है।” चावल मिल संचालक धान की कुटाई की लागत बढ़ाने समेत कई मांगे कर रहे हैं।