लखनऊ। प्रदेश में खाद्यान्न की बढ़ती मांग, सिंचाई के साधनों की वृद्धि और रबी फसल कटने के बाद जायद सीजन में धान की खेती को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग काम कर रहा है। दक्षिण भारत ही वह क्षेत्र रहा है जहां पर खरीफ, रबी और जायद सीजन में धान की खेती होती है लेकिन अब उत्तर प्रदेश भी देश के उन राज्यों में शामिल है जहां पर धान की खेती तीनों सीजन में होने लगी है।
इस बारे में जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के निदेशक ज्ञान सिंह ने बताया, ‘उत्तर प्रदेश में रबी और खरीफ के बीच जायद में प्रदेश के चार मंडल बरेली, मुरादाबाद, गोरखपुर और लखनऊ में धान की खेती की जा रही है।’ उन्होंने बताया कि जायद में धान की उपज, खरीफ की तुलना में अच्छी होती है। इस सीजन में रोग और कीट का प्रकोप भी कम होता है और दाने चमकीले और सुडौल होते हैं।
जायद में धान की खेती में कुछ कठिनाइयां भी हैं। प्रदेश में बदलते तापमान के कारण इसकी बुवाई की विधि पर सावधानी बरतनी पड़ती है। जायद में धान की बुवाई के लिए दोनों विधि यानि सीधी बुवाई और रोपाई दोनों से कर सकते हैं। नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक डॉ. एके सिंह ने बताया, ‘जायद में धान की बुवाई के लिए अगर रोपाई विधि से खेती करनी है तो मार्च में धान की बेहन (नर्सरी ) डाल देनी चाहिए। चूंकि इस समय तापमान में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव होता है इसलिए रात में पुआल या पालीथीन से धान की को ढंक देना चाहिए।’
राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक उड़ीसा के एग्रोनामी विभाग के कृषि वैज्ञानिक डॉ. संजय साहा ने बताया, ‘खरीफ में बोई जाने वाली धान की सभी किस्में जायद सीजन में नहीं उगाई जा सकती हैं। ऐसे में जायद सीजन में धान की खेती के लिए शीघ्र पकने वाली ऐसी किस्में इजाद की गई हैं जिनके पौधे में ठंड सहने की क्षमता और बाली बनते, निकलते, और दाना बनते समय पौधों में कड़ाके की धूप सहने की क्षमता होनी चाहिए।’ कृषि विभाग की तरफ से नरेन्द्र- 118, पंत धान-12 जैसी किस्में बेहतर हैं। जायद में धान की अधिक उपज लेने के लिए खरीफ की तुलना में धान की घनी रोपाई या बुवाई करनी पड़ती है। गर्मी में पौधे की गिरने की संभावना कम होती है ऐेसे में एक हेक्टेयर की रोपाई के लिए 30 से 20 किलो धान और सीधी बुवाई के लिए लगभग 60 से लेकर 90 किलो बीज की आवश्यकता होती है।
100 से 120 दिनों में तैयार हो जाती है फसल
डॉ. संजय आगे कहते हैं कि अगर सीधी बुवाई करनी है तो 15 मार्च के बाद से बुवाई शुरू कर देनी चाहिए। यदि खेत उपजाऊ है तो लाइन से लाइन और पौधे से पौध की दूरी 20 से लेकर 15 सेमी रखना चाहिए। जायद में धान की खेती के लिए जो पानी चाहिए उसके लिए पूरी तरह से सिंचाई के साधनों पर निर्भर रहना पड़ता है क्योंकि इस सीजन में बरसात नहीं होती है इसलिए सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था जरूरी है। जायद में धान की फसल 100 से लेकर 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
प्रदेश में इस साल जायद सीजन में आगरा मंडल में 63 हेक्टेयर, बरेली में 17952, मुरादाबाद में 9264, गोरखपुर में 176 और लखनऊ मंडल में 1953 हेक्टेयर में जायद में धान बुवाई की लक्ष्य कृषि विभाग ने रखा है।