लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ब्याज भुगतना के मामले में गन्ना कमिश्नर भूसरेड्डी को अवमानना का नोटिस दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने अखिलेश सरकार के उस फैसले को भी खारिज कर दिया है जिसमें मिल मालिकों द्वारा दिए जाने वाले लगभग 2500 करोड़ रुपए का ब्याज माफ कर दिया था।
मंगलवार को हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कहा कि गन्ना किसानों के वर्ष 2012-13, 2013-14, 2014-15 के ब्याज भुगतान के सन्दर्भ में नौ मार्च 2017 के आदेश की अवमानना के लिए क्यों न अदालत की अवमानना का मुकदमा चलाया जाए।
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कोर्ट ने कहा था जैसे वीएम सिंह कह रहे हैं, अगर गन्ना लगाने के लिए किसान ने कर्ज लेकर उसे ब्याज ओर पेनाल्टी सहित वापिस किया है तो मिल मालिकों द्वारा भी गन्ना किसान को ब्याज देना पड़ेगा और उसे सरकार माफ नहीं कर सकती। कोर्ट ने अखिलेश सरकार के उन दो कैबिनेट फैसलों को खारिज किया था जिसमें उन्होंने गन्ना किसानों को मिल मालिकों द्वारा दिये जाने वाले लगभग 2500 करोड़ रुपए ब्याज को माफ किया था। कोर्ट ने मिल मालिकों से गन्ना किसानों को 15 फीसदी ब्याज देने के लिए कहा था। फैसले के बाद किसान नेता वीएम सिंह ने इस फैसले की जानकारी फेसबुक पर दी।
2016 में अखिलेश सरकार ने लिया था फैसला
2016 मई तत्कालीन प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने ब्याज माफ करने के लिए 22 मई 2016 को आदेश पारित किया था। जिसमें चीनी मील द्वारा गन्ना किसानों के बकाए पर दी जाने वाली करोड़ों रुपए के ब्याज की रकम माफ कर दी गई थी। लेकिन हाईकोर्ट ने इस फैसले को अवैधानिक माना। कोर्ट ने कहा कि कैबिनेट के निर्णय लेने की प्रक्रिया में खामी है।
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क्या किसान नहीं चुकाते ब्याज?
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले को स्पष्ट करते हुए पिछले साल कहा था कि क्या किसान बैंक का ब्याज नहीं चुकाते? सरकार को ब्याज माफ करने का अधिकार है लेकिन जब ब्याज माफी का निर्णय लिया जा रहा था तो इस बात पर विचार नहीं किया गया कि किसान भी बैंकों से कर्ज लेते हैं और उनको भी ब्याज चुकता करना पड़ता है। सरकार ने किसानों के हित पर विचार किए बिना चीनी मिलों का ब्याज माफ कर दिया। सरकार के इस फैसले को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाता है।