यूपी में वकीलों के साथ बढ़ते अपराध को लेकर की हड़ताल, कानून व्‍यवस्‍था को लेकर जताई नाराजगी

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उत्तर प्रदेश में सोमवार को वकीलों ने बड़ी हड़ताल की। इस हड़ताल में प्रदेश भर के करीब साढ़े तीन लाख वकील शामिल हुए हैं। यूपी बार काउंसिल के अध्‍यक्ष ने बताया कि बीते दो सालों में 100 से अधि‍क अधिवक्‍ताओं की हत्‍या हुई है लेकिन अधिकांश मामलों में अभियुक्‍तों की गिरफ्तारी नहीं हुई है। और न ही सरकार की तरफ से पीड़‍ित परिजनों को कोई मदद की गई है। इस डर के माहौल में कोई कैसे काम करेगा।   

बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष हरिशंकर सिंह ने कहा क‍ि मृतक वकीलों के परिजन न्याय के लिए भटक रहे है। गौरतलब है कि बार काउंसिल की अपील के बाद समूचे यूपी के वकील एक दिन की हड़ताल पर हैं। इस दौरान उत्तर प्रदेश में तहसील से लेकर उच्च न्यायालय तक की सभी कोर्ट में वकीलों ने न्यायायिक कार्य का बहिष्कार कर दिया है।   

बार काउंसिल अध्‍यक्ष ने कहा कि सरकार अधिवक्ताओं की घोर उपेक्षा कर रही है, वकीलों की विधवाओं को मिलने वाली पेंशन का फंड दो साल का 80 करोड़ रुपये अब तक सरकार जारी नहीं कर पायी है। कचहरी में व्याप्त गंदगी में वकीलों का सांस लेना दूभर है, न साफ पीने का पानी है न बैठने की सही जगह। बार-बार पत्र लिखने के बाद भी सरकार द्वारा संज्ञान में नहीं लिया गया।

यहां तक की कई बार आग्रह के बावजूद मुख्यमंत्री ने यूपी बार काउंसिल को मिलने का समय तक नहीं दिया। मुख्यमंत्री के पास अधिवक्ताओं को छोड़कर सबसे मिलने का समय है। इन मुद्दों को लेकर प्रदेश भर में अधिवक्ता आक्रोशित हैं। जिसके चलते विरोध दिवस मनाया गया। प्रयागराज में कोर्ट के पांचो गेट बंद करवाकर विरोध प्रदर्शन किया गया है साथ ही पूरे प्रदेश में अधिवक्ताओं ने काम न करके विरोध व्यक्त किया है।

लखनऊ बार एसोसिएशन न्यायायिक कार्य का बहिष्कार 

 बार काउंसिल की अपील पर हाईकोर्ट में भी मनाया गया विरोध दिवस 

अवध बार एसोसिएशन हाईकोर्ट लखनऊ के अध्यक्ष आनंदमणि त्रिपाठी ने बताया कि अधिवक्ताओं के लिए सरकार द्वारा उपेक्षापूर्ण व्यवहार उचित नहीं हैं। अधिवक्ताओं के साथ प्रदेश भर में बढ़ रही घटनाओं की वजह से अधिवक्ता स्वयं को सुरक्षित नहीं महसूस कर रहे हैं। अतिसंवेदनशील मामलों में तो कम कम से शासन-प्रसाशन को त्वरित संज्ञान लेना चाहिए।

अधिवक्ता आम लोगों को न्याय दिलाने में न्यायपालिका और जनता के बीच के महत्वपूर्ण कड़ी है और उसे ही न्याय के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। हम बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश के निर्णय के पक्ष में है और काउंसिल की अपील को लागू करते हुए आज उच्च न्यायालय में सभी अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहे हैं।

पांच लाख से ज्यादा मुकदमों की सुनवाई प्रभावित 

प्रदेश भर में वकीलों के न्यायायिक कार्य के बहिष्कार से वादियों को होने वाली असुविधा  के प्रश्न पर पूर्व डीजीसी व् अधिवक्ता राम शरण द्विवेदी का कहना है क‍ि प्रदेश भर में वकीलों के कार्य बहिष्कार से लगभग पांच लाख मुकदमों की सुनवाई प्रभावित होगी। इससे वादियों को असुविधा होती है। पिछले दो वर्षो में अधिवक्ताओं के साथ एक तरफ जहांं घटनाये बढ़ी हैं, वही अधिवक्ताओं के लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाओं के लिए सरकार ने फंड तक रिलीज नहीं किया।

अधिवक्ता कल्याण निधि के लिए 40 करोड़ वार्षिक की निधि मुलायम सिंह द्वारा स्वीकृत की गयी थी और बसपा सरकार में भी ये बराबर मिलती रही। इस सरकार में पिछले दो साल से अधिवक्ता कल्याण निधि का भुगतान नहीं किया गया, जिसके चलते अधिवक्ताओं के परिवारों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। हमारे बार कांउसिल के चेयरमैन के आग्रह के बावजूद के मुख्यमंत्री अधिवक्ताओं की पीड़ा सुनना नहीं चाहते जिसके चलते बार को ऐसे एक्शन लेना पड़ा है। बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश के निर्णय का समर्थन करते हुए लखनऊ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील सिंह शिकरवार के अगुवाई में बार में न्यायिक कार्य का बहिष्कार किया गया है। 

प्रदेश की राजधानी में आज भी वकील टीन के नीचे बैठते है …

लखनऊ बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष अधिवक्ता दिलीप सिंह का कहना है क‍ि प्रदेश में वकीलों की क्या दुर्दशा है ये जानना हो तो प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आकर देखी जा स‍कती है। यहां आज भी अधिवक्ता टीन शेड के नीचे बैठ कर सर्दी, गर्मी, बरसात झेलते हैं। पुरानी जर्जर टीन के चलते आये दिन अधिवक्ता चोटिल होते रहते हैं। साफ पानी, शौचालय या अन्य सुविधाए तो दूर की बात है यहांं इन जर्जर टीन शेड के नीचे बैठने के लिए भी जगह मिलना मुश्किल है।

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