लखीमपुर हिंसा केस में तीन दिन की पुलिस रिमांड में आशीष मिश्रा, बचाव पक्ष के वकीलोें ने दिए थे ये तर्क

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में गिरफ्तार मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की आखिरकार सोमवार को 3 दिन की पुलिस रिमांड मिल गई। आशीष को 9 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था।
Lakhimpur kheri

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में सीजेएम कोर्ट ने मुख्य आरोपियों में से एक आशीष मिश्रा “मोनू भइया” को तीन दिन की पुलिस रिमांड में भेज दिया है। 9 अक्टूबर से जेल में बंद आशीष मिश्रा अब 12 से 15 अक्टूबर तक जांच एजेंसी एसाआईटी (पुलिस रिमांड) में रहेगा। अभियोजन पक्ष ने 14 दिन की रिमांड मांगी थी। वहीं बचाव पक्ष के तीन वकीलों ने पुलिस रिमांड देने का विरोध किया लेकिन अभियोजन पक्ष की दलीलें कोर्ट में भारी पड़ी और कोर्ट ने पुलिस रिमांड की अर्जी मंजूर कर ली। 

वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी एस.पी. यादव ने कोर्ट के फैसले के बाद मीडिया से कहा, हमने 14 दिन की पुलिस रिमांड मांगी थी कोर्ट ने 3 दिन की स्वीकृति दी है। आशीष मिश्रा 12 से 15 अक्टूबर तक रिमांड में रहेगा।” कोर्ट ने जांच एजेंसी से कहा है कि आरोपी का मेडिकल कराया जाए और रिमांड के दौरान उसे किसी तरह से प्रताड़ित न किया जाए।” 

आशीष मिश्रा (Ashish Mishra)  की तरफ से 4 वकील कोर्ट में पेश हुए। बचाव पक्ष के वकील रमेश चंद्र मिश्रा ने फैसले के बाद गांव कनेक्शन से बात करते हुए कहा कि, बचाव पक्ष की तरफ से चार वकील कोर्ट में पेश हुए और अपना पक्ष रखा। हमने कोर्ट से कहा कि पुलिस लंबी पूछताछ कर चुकी है। रिकवरी और डिस्कवरी की नहीं होनी है इसलिए रिमांड न दी जाए।” उन्होंने आगे कहा कि इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करेंगे या नहीं ये परिजनों पर निर्भर करेगा। 

4 प्रदर्शनकारी किसानों की गाड़ी से कुचलकर मौत के मामले में आरोपी आशीष मिश्रा को 9 अक्टूबर को 12 घंटे की पूछताछ के बाद 9 अक्टूबर के बाद एसआईटी ने गिरफ्तार कर लिया था। 3 अक्टूबर को लखीमपुर के तिकुनिया में हुई हिंसा में 4 किसानों, 2 बीजेपी कार्यकर्ताओं, एक पत्रकार और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के ड्राइवर समेत 8 लोगों की जान गई थी।

कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?

रिमांड के फैसले को लेकर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चिंता राम ने अपने फैसले में कहा, “अभियुक्त आशीष मिश्रा ऊर्फ मोनू के विरुद्ध धारा 147,148,149,279, 338, 304 A, 302, 120बी भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत अभियोग लगाया गया है। विवेचक (विद्याराम दिवाकर) द्वारा अभियुक्त से घटना के संबंध में षड्यंत के संबंध में उत्तर प्राप्त किया जाना आवश्यक बताया गया है। घटना के संबंध में सभी तथ्य विवेचना के दौरान सामने आना आवश्यक है, ऐसी स्थिति में अभियुक्त को तीन दिन की पुलिस रिमांड में दिया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है।”

पुलिस रिमांड के फैसले से पहले आशीष मिश्रा के वकील रमेश चंद्र मिश्रा ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने जो रिमांड की याचिका डाली है वो बोगस है, क्योंकि इस केस रिमांड का कोई औचित्य नहीं बनता है। इस केस में कानूनी बात ये है कि धारा CRPC की 161 (2) इस बात को बाधित करती है कि दरोगा या पुलिस एजेंसी कोई बात हमको करने के लिए बाध्य करती है। विवेचक पूछताछ के दौरान सारी बातें पूछ ही चुके हैं। कुछ रिकवरी और डिस्कवरी करना नहीं है। मोबाइल, हथियार पहले से ही जमा हैं। किसी भी मृतक के शरीर पर किसी हथियार का कोई निशान नहीं है तो कोई हथियार बरामद करना नहीं है। सीधे कोर्ट में सरेंडर नहीं किया है कि पूछताछ के लिए रिमांड चाहिए। इसलिए रिमांड का औचित्य नहीं इसी पर बहस हुई है। इसलिए हमने कहा कि रिमांड देना न्याय के विपरीत है।”

आशीष मिश्रा की तरफ से इस मामले में 4 वकील बहस कर रहे हैं, जिनमें सीनियर अधिवक्ता अवधेष दुबे, अवधेश सिंह, और रमेश चंद्र मिश्रा शामिल हैं। इस मामले में गठित 10 सदस्यीय एसआईटी के कहना था कि आशीष ने जांच में सहयोग नहीं किया और कई सवालों का जवाब नहीं दिया। इसलिए रिमांड पर लेने की जरुरत है। वहीं बचाव पक्ष का कहना है कि जांच एजेंसी को कोई साक्ष्य नहीं मिला था इसलिए तो कोर्ट ने आशीष को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा है। 

लखीमपुर हिंसा का मामला पूरे देश में लोगों की जुबान पर है। मामले में किसान संगठनों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रहा है तो विपक्ष को भी बैठे-बिठाए एक मुद्दा मिल गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने 10 सीनियर अधिकारियों को लखीमपुर में कैंप करने को बोला है। 10 अक्टूबर को एसआईटी और पुलिस ने मिलकर तिकुनिया (घटनास्थल) के आसपास पड़ताल की। जहां से घटनाक्रम हुआ वहां से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और आशीष के पिता का गांव महज 3-4 किलोमीटर की दूरी पर है। पुलिस ने तिकुनिया से उनके गांव के बीच लगभग हर पहलू की पड़ताल शुरु की है।

9 अक्टूबर की देर रात हुई थी गिरफ्तारी

9 अक्टूबर को आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस के डीआईजीा उपेंद्र अग्रवाल ने रात करीब 11 बजे आशीष की गिरफ्तारी की पुष्टि की थी। उन्होंने मीडिया से बताया था कि लंबी पूछताछ के दौरान हमने पाया कि वो जांच में सहयोग नहीं कर रहे। कई सारी बातें नहीं बताना चाह रहे। सहयोग नहीं करने पर हम उन्हें गिरफ्तार कर रहे हैं।” विशेष जांच दल ने गिरफ्तारी के बाद रात को उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जहां से रात करीब 12.50 पर उसे 3 दिन की न्यायिक हिरासत में जिला कारागार भेज दिया गया था ।

वहीं आशीष मिश्रा के वकील अवधेश कुमार सिंह ने बताया था कि SIT ने 12 घंटे की पूछताछ में 150 सवाल पूछे। इस दौरान उन्हें कोई साक्ष्य नहीं मिला इसलिए मजिस्ट्रेट ने 3 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा है। सोमवार के फिर पुलिस उन्हें कोर्ट के सामने लाएगी।

आशीष मिश्रा 9 अक्टूबर शनिवार की सुबह करीब 11 बजे पुलिस लाइन में क्राइब ब्रांच के दफ्तर पहुंचा था, जहां करीब 11-12 घंटे की लंबी पूछताछ हुई। क्राइम ब्रांच ने आशीष मिश्रा को 2 बार पूछताछ के लिए समन भेजा था।

यूपी पुलिस ने 4 किसानों की गाड़ियों से कुचलकर हत्या के मामले में समन जारी किया था। 3 अक्टूबर को तिकुनिया में हुए हिंसा और विवाद के मामले में आशीष मिश्रा मुख्य आरोपी है, उसके खिलाफ 302 समेत 8 धाराओं में मामला दर्ज है। इस संबंध में दर्ज रिपोर्ट में आशीष नामजद है बाकि 15-20 अन्य लोग हैं। उनके परिजन दावा करते रहे हैं कि आशीष का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। इस हिंसा में 4 प्रदर्शनकारी किसानों, 2 बीजेपी कार्यकर्ताओं, केंद्रीय मंत्री के एक ड्राइवर और एक पत्रकार की जान गई है। 

तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में क्या हुआ था?

लखीमपुर खीरी के तिकुनियां में 3 अक्टूबर को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के गांव में यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या का कार्यक्रम था, जिसमें तिकुनिया इलाके में डिप्टी सीएम का हेलीकॉप्टर उतरना था लेकिन केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के एक बयान से नाराज किसानों ने हेलीपैड पर कब्जा कर रखा था। जिसके बाद डिप्टी सीएम ने प्रोग्राम बदलकर सड़क मार्ग से जाने का फैसला किया।

इसी दौरान आरोप है कि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे ने प्रदर्शनकारी किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी, फायरिंग की, जिसमें 4 किसानों की मौत हो गई। जिसके बाद की हिंसा भड़क उठी। प्रदर्शनकारी किसानों ने गाड़ियों से उतरने वाले तीन लोगों की लाठी डंडों से पिटाई कर दी। जिसमें बीजेपी के 2 कार्यकर्ताओं और एक ड्राइवर की मौत हो गई। इस संबंध में कई वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हैं।

केंद्रीय मंत्री ने अपने बयान में कहा कि घटना के वक्त उनका बेटा गाड़ियों में नहीं था और गाड़ियां डिप्टी सीएम की अगवानी के लिए जा रही थीं, इस दौरान प्रदर्शकारियों ने पत्थरबाजी की। इस मामले में कई प्रत्यक्षदर्शी सामने आए हैं, को थार जीप में सुमित मिश्रा के साथ सवाल थे उन्होंने कहा कि मुख्य अतिथि की अगवानी के लिए जाते वक्त प्रदर्शनकारियों ने उनकी कार पर हमला किया। इस संबंध में बीजेपी कार्यकर्ता शुभम मिश्रा के पिता की तरफ से लखीमपुर कोतवाली में दी गई तहरीर में भी लिखा गया है कि शुभम ड्राइवर हरिओम के साथ मुख्य अतिथि की अगवानी के लिए जा रहा था इसी दौरान तिकुनिया में कुछ अराजक तत्वों ने गाड़ी पर हमला किया। और लाठी डंडों से तलवारों से हमला किया, जिसमें डाइवर, शुभम मिश्रा और श्याम सुंदर की मौत हो गई। जबकि स्थानीय प्रदर्शनकारियों का कहना था कि गाड़ियां जानबूझकर कर इधर लाई गईं और हमला किया गया।

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