लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अब वाणिज्यिक और औद्योगिक उपयोग के लिए भूजल के अंधाधुंध दोहन पर लगाम लगेगी। प्रदेश सरकार मनमाने तरीके से भूजल के उपयोग पर लगाम के लिए एक विधेयक लाएगी।
विश्व जल दिवस के मौके पर ‘गाँव कनेक्शन’ से विशेष बातचीत में उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त राज प्रताप सिंह ने बताया, “विधेयक के तहत जो नियमावली आएगी, उसमें वाणिज्यिक, औद्यौगिक और कंज्यूमर को रेग्युलेट (नियमन) करने के लिए प्रबंध किया जाएगा। इसके तहत आरओ प्लांट, पेय पदार्थ बनाने वाली कंपनियां आदि शामिल होंगी, जो अंधाधुंध भूजल का दोहन करती हैं।”
केन्द्रीय भूजल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कुल भूजल के उपयोग का करीब 70 प्रतिशत कृषि में खर्च होता है, जबकि दूसरे नंबर पर औद्योगिक इकाइयों द्वारा भूजल का दोहन किया जाता है। प्रस्तावित विधेयक में उत्तर प्रदेश में भूजल के उपयोग और नियमन के संबंध में कानून बनाकर इसका दुरुपयोग रोका जाएगा।
“हमें सप्लाई साइड मैनेजमेंट (उपलब्धता आधारित प्रबंधन) करने से गरीबों का नुकसान होगा, जबकि मेरा मानना है कि डिमांड साइड मैनेजमेंट (उपभोग आधारित प्रबंधन) होना चाहिए। ताकि गरीबों का हक न मारा जाए। इसके लिए हर पब्लिक या औद्योगिक बिल्डिंग में अनिवार्य रूप से जल की बर्बादी रोकने के लिए सेंसर लगाए जाने चाहिए,” कृषि उत्पादन आयुक्त राज प्रताप सिंह ने कहा।
प्रदेश में अधिक से अधिक पूंजीपतियों को आकर्षित करने के लिए भी जरूरी है कि उन्हें उद्योग लगाने के लिए हर संभव मदद आसानी से उपलब्ध कराई जाए। इसके लिए भी इस तरह के नियमन की जरूरत है।
“चीजों के दुरुपयोग को राकने के लिए उसकी कीमत लगाई जाती है, ताकि कंपनियां दुरुपयोग करने से बचें। प्रदेश में कॉर्मिशयल उपभोग के लिए मुफ्त पानी की सुविधा खत्म होने पर भी विचार किया जा सकता है,” कृषि उत्पादन आयुक्त राज प्रताप सिंह ने कहा।
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