लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के मुताबिक प्रदेश में साढ़े 4 वर्षों में किसानों को रिकॉर्ड 1,37,518 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है। इससे 45.44 लाख गन्ना किसानों को फायदा हुआ है। सरकार के मुताबिक योगी सरकार द्वारा किया गया भुगतान समाजवादी पार्टी सरकार से डेढ़ गुना और बसपा सरकार से दोगुना है। हालांकि किसान संगठनों के मुताबिक प्रदेश के किसानों का अभी 10 हजार करोड़ से ज्यादा रुपया चीनी मिलों पर बाकी है।
17 जून को जारी उत्तर प्रदेश सरकार के बयान के मुताबिक बसपा सरकार में गन्ना किसानों को 52,131 करोड़ रुपए का कुल भुगतान किया गया था, जबकि सपा सरकार के पांच साल में गन्ना किसानों को 95,215 करोड़ रुपए का कुल भुगतान किया गया था। अखिलेश सरकार के कार्यकाल में गन्ना किसानों के 10,661.09 करोड़ रुपए के बकाये का भुगतान भी योगी सरकार ने किसानों को किया है।
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गन्ना भुगतान को लेकर यूपी के बुलंदशहर 16 जून को कुछ किसानों ने गाजियाबाद-दिल्ली बॉर्डर पर स्थित धरना स्थल के लिए पैदल मार्च शुरु किया है। ये किसान कृषि कानूनों की वापसी के साथ ही शतप्रतिशत गन्ना भुगतान कराए जाने की मांग कर रहे हैं। पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर समेत कई जिलों में किसान गन्ना बकाया को लेकर आवाज़ उठाते रहे हैं।
भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने गांव कनेक्शन को फोन पर गन्ने का भुगतान और बकाए को लेकर कहते हैं, “प्रदेश के गन्ना किसानों का आज भी करीब 10-12 हजार करोड़ रुपए प्रदेश की चीनी मिलों पर बाकी है। 14 दिन की बात तो दूर हो गई है। पश्चिमी यूपी में मोदीनगर, मलकपुर समेत कई चीनी मिलों में पेराई सत्र का सिर्फ 20 फीसदी ही भुगतान किया है।”
प्रदेश के प्रमुख गन्ना उत्पादक जिलों में शामिल बिजनौर में त्रिसोत्रा गांव के किसान चौधरी कुलवीर सिंह (55 वर्ष) बताते हैं, “मेरा करीब 30 रुपए का गन्ना चीनी मिल को गया था, जिसमें करीब 21 लाख से 22 लाख रुपए का भुगतान हो गया है। जहां मैं गन्ना देता हूं उस मिल में करीब 70 फीसदी भुगतान हो गया है लेकिन जिले के कई मिलों में भुगतान बहुत देरी से चल रहा है।”
वो आगे बताते हैं, “हमारे यहां बिलाई, चांदपुर और बिजनौर चीनी मिलों में बहुत कम भुगतान किया है। प्रदेश में 31 मई तक ही पेराई सत्र चला था।”
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सरकारी बयान के मुताबिक पिछली सरकारों में एक के बाद एक बंद होती चीनी मिलों को योगी आदित्यनाथ सरकार ने न सिर्फ दोबारा शुरू कराया गया बल्कि यूपी को देश में गन्ना एवं चीनी उत्पादन में नंबर वन बनाया है। राज्य सरकार ने तीन पेराई सत्रों एवं वर्तमान पेराई सत्र 2020-21 समेत यूपी में कुल 4,289 लाख टन से अधिक गन्ने की पेराई कर 475.69 लाख टन चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन किया है। वर्ष 2017-18 से 31 मार्च, 2021 तक 54 डिस्टिलरीज के माध्यम से प्रदेश में कुल 280.54 करोड़ लीटर एथनॉल का उत्पादन हुआ है। जो कि एक रिकार्ड है।
सरकारी बयान में कहा गया है कि 25 सालों में पहली बार 267 नई खांडसारी इकाइयों की स्थापना के लिए लाइसेंस जारी किये गए। जिनमें से 176 इकाइयां संचालित हो चुकी हैं। इन इकाइयों में 388 करोड़ का पूंजी निवेश होने के साथ करीब 20,000 लोगों को रोजगार मिलेगा।
”प्रदेश की 97 कंपनियों द्वारा अब तक 2,01,37,635 ली. सैनिटाइजर का किया गया कुल उत्पादन”#canewebsitehttps://t.co/9NUV4dG4yghttps://t.co/XxBQzs8Rrz
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प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान एक भी चीनी मिल बंद नहीं हुई। सभी 119 चीनी मिलें चलीं। प्रदेश में 45.44 लाख से अधिक गन्ना आपूर्तिकर्ता किसान हैं और लगभग 67 लाख किसान गन्ने की खेती से जुड़े हैं। देश में 47% चीनी का उत्पादन यूपी में हो रहा है और गन्ना सेक्टर का प्रदेश की जीडीपी में 8.45 प्रतिशत एवं कृषि क्षेत्र की जीडीपी में 20.18 प्रतिशत का योगदान है।
पिछली सरकारों में 2007-2017 तक 21 चीनी मिलें बंद की गईं। जबकि योगी सरकार नें बीस बंद पड़ी चीनी मिलों को फिर शुरू कराया। जिसके तहत पिपराइच-मुंडेरवा में नई चीनी मिलें लगाकर शुरू कराईं। संभल और सहारनपुर की बंद चीनी मिल भी अब चलने लगी है। रमाला चीनी मिल की क्षमता बढ़ाकर कोजन प्लांट लगाया गया है। इसके अलावा 11 निजी मिलों की क्षमता में 20,600 टी.सी.डी. की वृद्धि की गयी। करीब 8 साल से बंद वीनस, दया और वेव शुगर मिलें चलवाई गईं। सठियांव और नजीबाबाद सहकारी मिलों में एथनॉल प्लांट लगा।
Idea that blossomed so fast that women self help groups trained 2 prepare seedlings by bud chip tech. 10.98 crore seedlings prepared & sold 9.5 crore & earned Rs.28 crore. Average income: Rs.59,000/woman/season. 9 lakh man-days created. Grt & Wow feeling.https://t.co/3O7Nd9uzl9
— Sanjay Bhoosreddy (@s_bhoosreddy) May 23, 2021
सीडलिंग से स्वयं सहायता समूह की महिलाएं कर रही कमाई
य़ूपी सरकार के मुताबिक प्रदेश के 36 जिलों में 2,111 महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन हो चुका है जिनमें 45,491 ग्रामीण क्षेत्र की महिला उद्यमी पंजीकृत हैं। महिला समूहों द्वारा अब तक 10.86 करोड़ सीडलिंग की स्थापना की गयी है, जिनमें से 8.88 करोड़ सीडलिंग का वितरण महिला समूहों द्वारा किया जा चुका है। वितरित सीडलिंग से महिला स्वयं सहायता समूहों को अब तक 2,560.36 लाख रुपए की आय हो चुकी है।
गन्ना समितियों में फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना
यूपी सरकार के मुताबिक वित्तीय वर्ष में 146 सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियों में फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना की गयी है। फार्म मशीनरी बैंक के अन्तर्गत वर्णित सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियों में फसल अवशेष प्रबन्धन हेतु कुल 438 यंत्र (प्रति समिति 3 यंत्र) खरीदे गये हैं। इन यंत्रों को किराये पर किसानों को उपलब्ध कराने के लिए पूरे प्रदेश में एक समान किराया दर निर्धारित की गई है। इन कृषि यंत्रों का उपयोग किसानों द्वारा फसल अवशेष प्रबन्धन हेतु किया जा रहा है।
गन्ना उत्पादकता बढ़ी
गन्ना विभाग द्वारा गत 2017 से चलाये जा रहे विभिन्न विकास कार्यक्रमों के फलस्वरूप प्रदेश में गन्ने की औसत उत्पादकता 72.38 से बढकर 81.10 टन प्रति हेक्टेअर हो गई है। उत्पादकता में प्रति हेक्टेयर 8.72 टन प्रति हेक्टेयर वृद्धि होने के फलस्वरूप गन्ना किसानों की औसत आमदनी में लगभग 27,904 रुपए प्रति हेक्टेअर बढ़ोतरी हुई है।