बरेली। अभी तक आपने सिर्फ पशुओं के गोबर से गैस बनने के बारे में सुना होगा लेकिन अब जल्द ही मुर्गियों के बीट से भी बायो गैस बनाई जा रही है। बरेली स्थित केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान में मुर्गियों की बीट से बायोगैस तैयार की जा रही है। पक्षी आनुविंशकी और प्रजनन विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ चंद्रहास के साथ कई वैज्ञानिक इस पर शोध कर रहे हैं।
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केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान के कृषि प्रसार विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ एम.पी. सागर बताते हैं, “अभी इस शोध को संस्थान में पली मुर्गियों की बीट से किया जा रहा है अगर यह शोध सफल रहा तो मुर्गीपालकों को इसको बनाने की ट्रेनिंग देंगे।”अभी तक किसान मुर्गी की बीट से जैविक खाद बनाते हैं, इन दिनों अच्छी पैदावार के लिए रसायनिक उर्वरक की जगह किसान प्राकृतिक तौर पर मुर्गी की बीट (मल) से तैयार की गई खाद बना रहे हैं।
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एक मुर्गी से एक दिन में 32 से 36 ग्राम बीट मिलता है। इसमें 40 फीसदी नमी होती है। बायोगैस बनने के बाद बचे अपशिष्ट से भी बढ़िया जैविक खाद बना सकते हैं। डॉ. सागर आगे बताते हैं, “ज्यादातर पशुपालक मुर्गियों की बीट को फेंक देते है लेकिन इस शोध से मुर्गीपालक फार्म में बिजली और गैस तैयार कर सकेंगे, जिससे उनको फायदा भी होगा।”
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