लखनऊ। पिछले हफ्ते शुक्रवार (20 अप्रैल) को ललितपुर जिले के नाराहट गांव के लोग उस वक्त काफी हैरान रह गए, जब कुछ डॉक्टर उनके गांव पहुंच गए। छप्पर के नीचे क्लीनिक खुला और फिर कई मरीजों की जांच कर मुफ्त में आयुर्वेदिक डॉक्टरों ने दवाएं दीं।
उत्तर प्रदेश में आयुष मिशन के तहत गांव-गांव आयुर्वेदिक चिकित्सा शिविर लगाए जा रहे हैं। यहां पर आयुर्वेदिक और यूनानी पद्धति से इलाज किया जा रहा है, बल्कि स्वस्थ रहने के लिए योग के लिए प्रेरित किया जा रहा है। आयुष्मान मिशन के तहत अभियान को आयुष मंत्रालय,भारत सरकार और यूपी सरकार मिलकर चला रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में आयुष विभाग के सचिव मुकेश मेश्राम ‘गांव कनेक्शन’ को बताते हैं, “आयुष समय की मांग है, ताकि बिना साइड इफेक्ट के सस्ता इलाज मिल सके। इससे ग्रामीण लोगों को सबसे अधिक लाभ होगा। इसके लिए जागरूकता अभियान भी हम लोग शुरू कर रहे हैं। ‘आयुष आपके द्वार’ के जरिए हमारे डॉक्टर सीधे पहुंचेंगे और संपर्क करेंगे, जो सर्दी जुकाम, मधुमेह, ब्लड प्रेशर, गठिया आदि बीमारियों की जांच कर दवाएं देंगे।”
एक अप्रैल 2018 के बाद यूपी के लगभग सभी जिलों में शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। ललितपुर, गोरखपुर, रायबरेली, बुलंदशहर, मऊ, अमरोहा समेत कई जिलों में चिकित्सकों की टीम का काफी अच्छा रिस्पांस मिला है।
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गांव में भी डायबिटीज का खतरा बढ़ा
मुकेश मेश्राम आगे बताते हैं, “शहरों में रह रहे लोगों की दिनचर्या ज्यादा खराब है, गांवों में लोग अभी भी खेती-बाड़ी और अन्य कार्यों में लगे रहते हैं। इससे कई योगासन तो उनके हो जाते हैं, लेकिन अब गांवों में भी मधुमेह (डायबिटिस) और रक्त चाप (ब्लड प्रेशर) जैसी गंभीर बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। गांवों में डायबिटिस की बीमारी के केस 4 प्रतिशत तक पाए जाते थे, वो बढ़ कर 10 प्रतिशत हो गए हैं।“
मोबाइल ऐप और निगरनी समितियों से हो रही निगरानी
आयुष सचिव गांव कनेक्शन को बताते हैं, “रिसर्च से पता भी चला है कि जो लोग दवाई के साथ-साथ योग भी करते हैं तो उसकी बीमारी में सुधार जल्दी होता है। कैंप सही जगह लगें और लोगों को उसका लाभ मिले, इसके लिए ऐप और निगरानी समितियां बनाई गईं हैं।“ ये निगरानी समितियां जिलाधिकारी के अध्यक्षता में काम करेंगी।
ये नि:शुल्क है…
आयुष के डॉक्टर चार दिन अस्पताल में बैठेंगे और दो दिन अस्पताल के आठ किमी की रेंज के गांवों में जाकर उनकी मांग पर आधारित कैंप लगाएंगे। कैंप सरकारी स्कूलों और पंचायत भवनों में लगेंगे। कैंप में दवाएं देने के साथ लोगों को आयुर्वेदिक औषधियों के लिए जागरुक भी किया जा रहा है। इसके साथ ही हर जिले में ‘योग वेलनेस सेंटर’ खोले गए हैं। इन सेंटर्स में योगाचार्य और उनकी मदद के लिए एक व्यक्ति को रखा गया है, ये नि:शुल्क हैं। यहां रोजाना योग और किसी बीमारी को दूर करने के लिए योग दोनों व्यवस्थाएं होंगी।
मुकेश मेश्राम बताते हैं, “आयुष विभाग ने अपनी फार्मेसी को सक्रिय कर दिया है। पीलीभीत और लखनऊ की फार्मेसी में दवाइयों का निर्माण कर आयुष मिशन और राज्य के बजट से दवाइयां भेजी जा रही हैं।”
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मोदी सरकार का महत्वाकांक्षी मिशन
मोदी सरकार ने सितंबर 2015 में राष्ट्रीय आयुष मिशन की शुरुआत की थी। मिशन का उद्देश्य आयुष अस्पतालों और औषधालयों की संख्या बढ़ाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को ये दवाएं उपलब्ध कराना था। भारत में सदियों से आयुष (आयुर्वेद, योग, यूनानी और होम्योपैथी) जैसी प्राचीन विधियां प्रचलित हैं। ये दवाएं एलोपैथी (अंग्रेजी) की तुलना में काफी सस्ती हैं और जबकि उनका प्रतिकूल असर भी नहीं पड़ता है।