प्रशासन ने नहीं दिया ध्यान तो बच्चों की पढ़ाई के लिए ग्रामीणों ने मिलकर बनाया लकड़ी का पुल

बरसात के बाद पुलिया बह गई जिससे आवागमन पूरी तरह से बंद हो गया था। इससे आम लोगों को परेशानी तो हो ही रही थी, उस पार के स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे एक महीने से स्कूल नहीं जा पा रहे थे
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सोनभद्र। सोनभद्र में ग्रामीणों ने जन प्रतिनिधियों और सरकारी तंत्र की अनदेखी से त्रस्त आकर खुद 30 मीटर लकड़ी का अस्थाई पुल बना दिया। पुलिया टूटने की वजह से 100 से ज्यादा बच्चे पिछले एक महीने से स्कूल नहीं जा पा रहे थे।

सोनभद्र जिले से 140 किमी दूर म्योरपुर ब्लॉक के रिहंद जलाशय के किनारे एक गांव है नगराज। ये ग्राम पंचायत पिण्डारी में आता है। गांव से ही सटी बिच्छी नदी का पुलिया पिछले तीन वर्षों से टूटा था। पहले तो किसी तरह काम चल जाता था लेकिन इस बरसात के बाद पूरी पुलिया बह गई जिससे आवागमन पूरी तरह से बंद हो गया था। इससे आम लोगों को परेशानी तो हो ही रही थी, उस पार के स्कूल में पढ़ने वाले १०० से ज्यादा बच्चे एक महीने से स्कूल नहीं जा पा रहे थे। जनप्रतिनिधयों और सरकारी अधिकारियों ने जब इस ओर ध्यान नहीं दिया तो ग्रामीणों ने खुद पहल की और 30 मीटर लकड़ी का पुल बना डाला।

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गांव के ही इंद्रदेव यादव, राम प्रीत, रवि चंद आदि ने बताया कि उन्होंने कई बार इस सस्मया के बारे में ब्लॉक अधिकारियों से शिकायत की, नेताओं से गुहार लगाई, लेकिन उन्होंने बस आश्वासन देकर मामला चलता कर दिया। बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही थी। ऐसे में हमने खुद कुछ करने के बारे में सोचा।


इस बारे में बनवारी लाल कहते हैं “बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे थे, हम लोगों को परेशानी तो थी ही। इसके लिए हमने गांव के बुजुर्गों से बात की और खुद पुल बनाने का फैसला लिया। उन्होंने सलाह दी कि जंगल से मजबूत लकड़ी लाकर पुल बनाया जा सकता है।”

वहीं पिछले काफी दिनों से स्कूल न जा पाने वाले छात्र सुरेश, बबलू और सूनीत बताते हैं कि उनकी तो पढ़ाई ही छूट गयी थी। हम घरों पर बकरियां चराते थे। लेकिन अब लकड़ी का पुलिया बन जाने के बाद हम फिर स्कूल जाने लगे हैं।

वहीं एक दूसरी छात्रा मंजू ने बताया “करीब तीन वर्ष पहले इस नदी पर बनी पुलिया टूट गयी थी। ठंडी और गर्मी में तो किसी तरह काम चल जाता था लेकिन इस बात ज्यादा बारिश होने के कारण उस पार स्कूल जाना बंद हो गया था। लेकिन मेरे पापा और गांव के अन्य लोगों ने लकड‍”

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वहीं ग्राम प्रधान धीरेंद्र जायसवाल ने कहते हैं “ये पुलिया तीन साल से खराब थी। लगभग दो हजार लोग इससे प्रभावित हो रहे थे। हम लोगों ने तहसील दिवस, जिलाधिकारी, मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी इसकी शिकायत की थी। लेकिन अधिकारियों ने कभी इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। पुलिया न होने से गांवों में शौचालय कनने का भी काम रुका पड़ा था।”

वहीं इस मामले में जिला विकास अधिकारी रामबाबू त्रिपाठी कहते हैं ” मामले के बारे में अभी जानकारी नहीं है। वीडीओ को सर्वेक्षण के लिए बोला है। ये भी देखा जाएगा कि किस विभाग ने पुलिया बनाया था। अगर ब्लॉक स्तर पर बनने लायक होगा तो ठीक है और ज्यादा खर्च हुआ तो आगे बात की जाएगी।”

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