दया नदी के तेज़ उफान ने सड़क के ठीक बीच में 100 फीट गहरी खाई बना दी थी, जिससे ओडिशा में पुरी जिले के कनासा ब्लॉक में कई गाँवों का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क टूट गया था।
वह 26 अगस्त, 2022 का दिन था, और जब हर कोई लगातार बारिश से बचने के लिए घर के अंदर था, सहसपुर स्वास्थ्य उप-केंद्र में सहायक नर्स और मिडवाइफ (एएनएम) 35 वर्षीय मंजुलता महराना अपनी स्कूटी से अपने घर सहसपुर से लगभग 1.5 किलोमीटर दूर स्थित दंडासाहिया पाड़ा गाँव तक जाने के लिए निकली। महराना का उपकेंद्र कनासा ब्लॉक के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत आता है।
दंडासाहिया पाड़ा में, सुमित्रा सेठी, जिन्हें असहनीय प्रसव पीड़ा हो रही थी, लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर स्वास्थ्य उपकेंद्र में ले जाने का इंतजार कर रही थीं। सुमित्रा की चाची, अनीता सेठी ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से एम्बुलेंस के लिए फोन किया, लेकिन एम्बुलेंस फंसी हुई थी, गहरी खाई की वजह से नहीं सकती थी।
मंजुलता ने एक शॉर्टकट अपनाया, दंडासाहिया पाड़ा पहुँची और सुमित्रा और अनीता को अपने साथ स्वास्थ्य उप-केंद्र ले गईं। वहाँ पहुँचने पर उन्हें कोई डॉक्टर या नर्स उपलब्ध नहीं मिला। समय न बर्बाद करते हुए एएनएम ने सुमित्रा को इक्जामिन टेबल पर लिटाया और उनकी मदद से सुमित्रा ने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया, जिसका वजन लगभग 2.75 किलोग्राम था।
इस साल 23 जून को मंजुलता को नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से 2023 का राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार मिला।
यह पुरस्कार भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से साल 1973 में नर्सों और नर्सिंग पेशेवरों द्वारा समाज को प्रदान की गई सराहनीय सेवाओं के सम्मान में दिया जाता है। ये फ्लोरेंस नाइटिंगेल के सम्मान में दिए जाते हैं जिन्हें आधुनिक नर्सिंग के संस्थापक के रूप में जाना जाता है।
पिछले अगस्त में भयानक मानसूनी बारिश में 12 दिनों के अंतराल में, एएनएम मंजुलता ने तीन अन्य गर्भवती महिलाओं को जन्म देने में मदद की और उनकी जान बचाई।
सुमित्रा ने गाँव कनेक्शन को बताया, “मंजुलता दीदी एक ईश्वरीय वरदान थीं, जिन्होंने सही समय पर मुझे और मेरे बच्चे को बचा लिया।”
यह सब नहीं है अगस्त 2022 और मई 2023 के बीच, एएनएम ने पुरी जिले में 105 महिलाओं को डॉक्टर या नर्स की उपस्थिति के बिना, उनके बच्चों को सुरक्षित रूप से जन्म देने में सफलतापूर्वक मदद की।
मंजुलता ने गाँव कनेक्शन को बताया, “मैंने 2013-14 में पुरी में स्किल अटेंडेंट बर्थ पर 21 दिवसीय वर्कशॉप में ट्रेनिंग ली थी, जहाँ मैं प्रतिनियुक्ति पर काम कर रही थी।” इस ट्रेनिंग के बदौलत उन्होंने कई लोगों की जान बचाई है। उन्होंने 2008 में पुरी जिले के गदाबासाही स्वास्थ्य उप-केंद्र में एएनएम के रूप में अपना करियर शुरू किया।
“मंजुलता ने एक बार एक महिला को एंबुलेंस में बच्चे को जन्म देने में मदद की थी। यह बाधित प्रसव का मामला था जहाँ बच्चा जन्म मार्ग से आसानी से बाहर नहीं आ पा रहा था है। आमतौर पर, यह भ्रूण के आकार और माँ के पेल्विस के बीच बेमेल के कारण होता है। ” कनासा ब्लॉक के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी अरबिंद महापात्रा ने गाँव कनेक्शन को बताया।
मंजुलता और उनकी टीम समय-समय पर संकट में फँसे लोगों की मदद के लिए आगे आती रही है। जब 2019 में चक्रवात फानी ने पुरी को प्रभावित किया, तो उन्होंने सहसपुर में प्रभावित लोगों को न केवल चिकित्सा सहायता प्रदान की, बल्कि उनके लिए खाना भी खरीदा।
“मंजुलता दीदी ने 2019 में चक्रवात फानी के तुरंत बाद बहुत बड़ी मदद की। मेरी पत्नी अर्चना पिछले साल बाढ़ के दौरान गर्भवती थी। उन्होंने मेरी पत्नी का मनोबल बनाए रखा और उनकी सहायता की। ” सहसपुर उपकेंद्र के अंतर्गत आने वाले कौड़ी खानी निवासी प्रशांत महापात्र को याद आया।
पुरी की मुख्य जिला चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारी सुजाता मिश्रा ने गाँव कनेक्शन को बताया। ” जब इस साल 23 जून को दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में मंजुलता को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से 2023 का राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार मिला, तो मुझे गर्व महसूस हुआ।”
मंजुलता के साथ, नबरंगपुर जिला मुख्यालय अस्पताल की नर्स सेबती साहू को भी 2022 के लिए राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार मिला। यह जोड़ी उन 30 लोगों में से थी, जिन्हें इस अवसर पर प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला।
कनासा ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधक धनेश्वर स्वैन ने गाँव कनेक्शन को बताया, “मंजुलता के तहत सहसपुर स्वास्थ्य उपकेंद्र को राज्य सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 2022 में प्रतिष्ठित कल्पतरु पुरस्कार भी मिला।”
“उनके कुशल नेतृत्व के कारण, सहसपुर उप-केंद्र को कल्पतरु पुरस्कार के साथ-साथ 1 लाख रुपये के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया गया, ”उन्होंने समझाया।
मंजुलता ने उपकेंद्र के तहत आने वाले चार गाँवों सहसपुर, कौड़ीखानी, सनौरा और बदौरा की आशा प्रभारी के साथ महामारी के दौरान चौबीसों घंटे काम किया।
मंजुलता के नेतृत्व में टीम ने गाँव में आने वाले लोगों की संख्या का रिकॉर्ड बनाए रखा, कोविड पॉजिटिव मामलों की संख्या पर डेटा दर्ज किया और क्वारंटाइन में रहने वालों पर नज़र रखी। उन्होंने लोगों को आगे आने और वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित करने में भी अहम भूमिका निभाई।