एक से पांचवीं तक मैंने इसी स्कूल में पढ़ाई की थी और साल 2018 से इसमें टीचर हूं, इसलिए ये स्कूल मेरे लिए बहुत खास है। जब मैं पढ़ती थी तब जो सुविधाएं हमारे पास नहीं थीं, वो मैंने बच्चों के लिए उपलब्ध कराईं हैं।
पहले की चीजों को देखते हुए मैंने अपने स्कूल के नियमों मे काफी बदलाव किया है। उस समय सारे बच्चे चटाई पर बैठते थे, हर कोई यूनिफार्म में न आता, तब मैंने सोचा कि जो मेरे समय में नहीं हो पाया वो आज करूंगी
बदलाव के लिए मैंने ने अपने स्कूल को अनुशासन मे ढालना शुरु किया, जिससे बच्चे जिज्ञासा के साथ पढाई करें और बच्चों को पता चले कि पढ़ाई का जिन्दगी में सबसे अहम रोल है। बच्चे अक्सर पढाई से भागते थे जिसको देखते हुए मैंने बच्चों को उनके अनुसार पढ़ाना शुरू किया, अपने मोबाइल फोन के जरिए बच्चों को तरीके वीडियो दिखाकर पढ़ाती हूं।
बच्चों को गाना गाकर उन्हें डांस कराकर उनके अन्दर की प्रतिभाएं भी बाहर लाती हूं। खेल खेल के माध्यम से बच्चों को पढ़ाती हूं और नयी चीजे भी सिखाती हूं। बच्चों को एक ग्रुप बनाकर साथ में बैठाकर पढ़ाना, स्पीकर के साथ पढ़ाना, बच्चों को कहानियों के जरिए पढ़ाना, जिनसे बच्चे सुनने के साथ-साथ सीखते भी हैं, जिन बच्चों को लिखना नहीं आता उन्हें अपने हाथों से लिखवाकर लिखना सिखाती हूं।
बच्चों के साथ घुल मिलकर उन्हें अपना दोस्त बनाकर पढ़ाती हूं , जिससे बच्चे अपनी बातें कहने मे या कुछ पूछने में झिझक महसूस नहीं करते हैं। मैं गाँव में ही रहती हूं तो बच्चों के माता-पिता से भी मुलाकात होती रहती है।
पहले स्कूल में पैरेंट्स-टीचर मीटिंग नहीं होती थी, अब वो भी मैंने स्कूल में शुरू कर दिया है। अब तो बच्चे छुट्टी लेने के लिए खुद से हिंदी में अप्लीकेशन भी लिखकर देते हैं। अब किसी एक दिन स्कूल न जाओ तो बच्चे कहते हैं कि मैम स्कूल क्यों नहीं आयी थी।