मैं 2006 से बच्चों को पढ़ा रहा हूँ, लोगों को लगता है स्कूल में बच्चे पढ़ाई से भागा करते हैं, जितना मैं बच्चों को समझता हूँ, बच्चे पढ़ाई से नहीं भागते, उन्हें पढ़ना अच्छा लगता है। बस उनकी पढ़ाई की तरफ माता पिता को अग्रसर करना होता है, फिर बच्चे ख़ुद पढ़ाई में इन्वॉल्व हो जाते हैं, बस माता पिता को बच्चों को स्कूल भेजना चाहिए।
मेरे स्कूल में 6 वीं कक्षा का बच्चा राजीव बहुत ही शांत स्वभाव है, पढ़ने में पहले थोड़ा कमज़ोर था, लेकिन एक बार हम एनवायरनमेंट को लेकर एक प्रोजेक्ट बना रहे थे, जिसमें हमें कुछ तस्वीरों की ज़रूरत थी। जो हमारे प्रोजेक्ट को अच्छा दिखा सकें, उस समय राजीव ने हमें तस्वीरें लाकर दी जिनकी हमें ज़रूरत थी। वो बहुत दुर्लभ तस्वीरें थी।
सच कहें तो उन तस्वीरों से हमारा प्रोजेक्ट अच्छा बन पाया, यही नहीं उस प्रोजेक्ट की वजह से हमें स्टेट लेवल तक जाने का मौका मिला। ये देखकर सबको अच्छा लगा, क्योंकि वो बच्चा शांत सा रहता था और उसका काम देखकर बहुत अच्छा लगा। इतना शांत बच्चा इतना अच्छा काम करेगा ये देख कर बहुत अच्छा लगा।
पढ़ाई के लिए बच्चों को थोड़ा अलग करने से और भी अच्छा होता है। मैं बच्चों का जो स्टडी मटेरियल होता हैं, उन्हें एक बार विकिपीडिया से थोड़ा उदाहरण लेकर अलग से समझाता हूँ। इसी तरह से वीडियो रिकॉर्ड करके उनके ज़रिए बच्चों को पढ़ाते हैं।
डॉ अनुराग शर्मा ने जैसा गाँव कनेक्शन की इंटर्न अंबिका त्रिपाठी से बताया
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