ऐसे पढ़ा कर तो देखिए हर बच्चा होगा अव्वल

गोरखपुर के एक गाँव की स्कूल टीचर के लिए, परफॉर्मेंस ट्रैकर एक शानदार शिक्षण सहायता है, जिसके जरिए वे अपने छात्र-छात्राओं पर नज़र रखती हैं। वह हमेशा इस बात का ध्यान रखती हैं कि बच्चा किस विषय में अच्छा कर रहा है और किस विषय से दूर भाग रहा है। स्कूल के बाद क्लास से लेकर वह बच्चों की पढ़ाई में मदद करती हैं और उनकी प्रतिभा को सामने लाती हैं। परफॉर्मेंस ट्रैकर में वह अपने हर छात्र की प्रगति का रिकॉर्ड रखती हैं।
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भुसवल, गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)। नव्या ने जब उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के भुसवल बुजुर्ग गाँव के प्राइमरी स्कूल में कक्षा एक में दाखिला लिया तो उन्हें गणित के सवाल हल करना काफी पसंद था। लेकिन उसकी हिंदी कमज़ोर थी। उसे इस विषय में काफी मेहनत की ज़रूरत थी। वह यह नहीं जानती थी कि उसकी क्लास टीचर मीनाक्षी त्रिपाठी को भी ये बात पता है। दरअसल वह नव्या पर अपनी नज़र रखे हुए थीं। उन्हें पता था कि नव्या को किस विषय में दिक्कत आ रही है और किन विषयों पर उसकी पकड़ मज़बूत है।

त्रिपाठी के लिए ट्रैकर एक बेहद शानदार शिक्षण सहायता है जो उन्हें अपने छात्रों की निगरानी करने और उनके सीखने के परिणामों तक पहुँचने में मदद करता है। उन्होंने गाँव कनेक्शन को बताया, “परफॉर्मेंस ट्रैकर एक डेटाबेस की तरह है जो मुझे यह पहचानने में मदद करता है कि किसी छात्र को किस विषय या टॉपिक को समझने में परेशानी आ रही है।”

कुछ दिनों तक नव्या का निरीक्षण करने के बाद, त्रिपाठी ने उसे ‘ग्रुप ए’ में रखा। इस समूह के बच्चों को स्कूल के बाद एक घंटे तक रुकना पड़ता है। जिस विषय में वे पिछड़ रहे हैं या उनकी पकड़ कमज़ोर है उस पर विशेष ध्यान दिया जाता था। यह एक रेमेडियल (सुधारात्मक) क्लास है।

दो सप्ताह तक रेमेडियल क्लास लेने के बाद नव्या की हिंदी काफी हद तक सुधर गई। बहुत जल्द ही उसने काफी कुछ सीख लिया। अब उसे स्कूल के बाद अतिरिक्त घंटे रुकना नहीं पड़ता है।

त्रिपाठी 2020 में इस स्कूल में सहायक शिक्षक के रूप में शामिल हुईं थीं। उन्हें अक्सर एक बड़े रजिस्टर का बारीकी से अध्ययन करते हुए देखा जा सकता है। दरअसल यह बड़ा सा रजिस्टर उनकी कक्षा का परफॉर्मेंस ट्रैकर है। वह इसे नियमित रूप से अपडेट करती रहती हैं। ट्रैकर जुलाई 2021 में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए निपुण (छात्रों में मूलभूत साक्षरता और नंबरों को समझने के कौशल को मजबूत करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी योजना) के तहत राज्य सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा दिए गए ‘शिक्षक गाइड’ का हिस्सा है।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य बुनियादी स्तर पर, खासतौर पर सरकारी प्राथमिक स्कूलों में कक्षा एक, दो और तीन में पढ़ने, लिखने और अंकगणित में प्रारंभिक शिक्षा और दक्षता पर ध्यान केंद्रित करना है।

ट्रैकर को रेमेडियल क्लास से जोड़ना

त्रिपाठी ने समझाया, “हमें मिले इन शिक्षक दिशानिर्देशों ने बच्चों को सिखाने का काम काफी आसान कर दिया है। एक विशेष मॉड्यूल हमें गाईड करता है और हमें कम समय में बेहतर परिणाम देने में मदद करता है। ट्रैकर से मुझे अपने छात्रों की समय-समय पर वास्तविक प्रगति के बारे में पता चलता रहता है।”

ट्रैकर के आधार पर ही कक्षा में छात्रों को रेमेडियल क्लास में बुलाया जाता है।

शिक्षक के अनुसार, रेमेडियल क्लास इस तरह से चलाई जाती हैं कि इसमें शामिल होने वाले छात्रों को यह न लगे कि वे बाकी बच्चों से पीछे हैं।

त्रिपाठी ने कहा, “हम यह सुनिश्चित करते हैं कि बच्चे किसी भी तरह से अपमानित महसूस न करें या अन्य बच्चों से अपने आपको कमतर न माने। अगर सही तरीके से काम किया जाए, तो हमने देखा है कि इन कक्षाओं के बाद बच्चे आश्वस्त हो जाते हैं और कक्षा में पढ़ाई से जुड़े किसी भी तरह के सवालों को पूछने पर हिचकते नहीं हैं। वे टीचर के साथ खुल जाते हैं।”

नाटकों से बहुत कुछ सीखते हैं छात्र

छात्रों को कक्षा में होने वाली गतिविधियों में भाग लेने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है।

अंश यादव और उनके सहपाठी रौनक सिंह, दोनों सात साल के हैं। उन्हें अपनी क्लास में टीचर द्वारा निर्देशित नाटकों में भाग लेना बेहद पसंद हैं।

अंश ने गाँव कनेक्शन को बताया, “मुझे चतुर लोमड़ी की भूमिका निभाना पसंद है। मुझे दूसरों को मात देना अच्छा लगता है।”

रौनक को बिल्लियाँ पसंद हैं। फिलहाल वह खासा उत्साहित नज़र आ रहा है क्योंकि उसे एक नाटक में बिल्ली का रोल निभाने के लिए मिला है। उसने गाँव कनेक्शन को बताया, “मुझे बिल्ली बनना पसँद है क्योंकि यह बहुत तेज़ होती है। इसके अलावा यह छतों पर यहाँ से वहाँ कूद-फाँद कर सकती है और दीवारों पर भी बहुत आसानी से चढ़ जाती है।”

मनोरंजन के साथ-साथ रोल प्ले बच्चों को अच्छे-बुरे, सही-गलत के बारे में भी बारीकी से बताते हैं। ये छात्रों के विभिन्न प्रदर्शन मापदंडों को ट्रैक करने का एक शानदार तरीका भी है।

त्रिपाठी ने कहा, “ये छोटे-छोटे नाटक हमें शिक्षा विभाग से अध्ययन सामग्री के रूप में मिले पाठ योजनाओं और शिक्षक गाइडों द्वारा रिकमंडेड हैं। ये गतिविधियाँ छात्रों को उनकी शर्मीलेपन से बाहर आने में मदद करती हैं।” ये सभी तथ्य त्रिपाठी के प्रदर्शन ट्रैकर में दर्ज़ किए जाते हैं।

नव्या की माँ बिंदू देवी ने गाँव कनेक्शन को बताया, “मुझे लगता है कि गाँव में सरकारी स्कूल उन निजी स्कूलों से बेहतर है जो हाल-फिलहाल में यहाँ खुले हैं। नव्या को स्कूल जाते हुए अभी महज़ तीन महीने हुए हैं लेकिन उसने काफी कुछ सीख लिया है। यह देखकर अच्छा लगता है।” 

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