सराय मानिक (रायबरेली), उत्तर प्रदेश। इस स्कूल में बच्चों को सिर्फ बुलाया ही नहीं जाता, बल्कि नियमित रूप से आने के लिए प्रेरित भी किया जाता है। इसका श्रेय जाता है प्राथमिक विद्यालय, सराय मानिक के सहायक अध्यापक रवि प्रताप सिंह को।
26 वर्षीय रवि प्रताप सिंह साल 2021 में उत्तर प्रदेश के रायबरेली के डीह ब्लॉक में स्थित प्राथमिक विद्यालय में नियुक्त हुए, और उन्होंने पाया कि सिर्फ कुछ बच्चे हर दिन स्कूल आते हैं वो भी बिना मन के। रवि प्रताप सिंह गाँव कनेक्शन को बताते हैं, “उपस्थिति कम थी और स्कूल में माहौल सीखने के अनुकूल नहीं था।”
अन्य लोगों के साथ, रवि प्रताप सिंह ने स्कूल को छात्रों के लिए अधिक आकर्षक बनाने के लिए कुछ करने का फैसला किया। उन्होंने स्कूल में दैनिक गतिविधियों जैसे मिट्टी के खिलौने बनाने, नृत्य, संगीत की मदद से बच्चों को सीखाना शुरू किया। उन्होंने नृत्य और गायन के बीच-बीच में पाठ्य पुस्तकों से कविताओं और पाठों को बनाना शुरू किया। ऐसा ही हुआ और अधिक से अधिक बच्चे इसमें आने लगे।
“बच्चे जो शायद ही कभी स्कूल में कदम रखते थे, अब क्लास में आने लगे और पूरे टाइम रहते थे। उनकी रुचि को देखते हुए, हम उनके साथ जुड़ने के तरीके में और अधिक नया करने के लिए प्रेरित हुए, “सिंह ने कहा।
2021 में जब सहायक शिक्षक ने ज्वाइन किया था तब स्कूल में 146 बच्चे नामांकित थे। आज कक्षा एक से पांच तक नामांकन लगभग 220 हो गया है। स्कूल में चार कमरे और चार शिक्षक हैं।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्नातक, रवि प्रताप सिंह ने रायबरेली में जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) से बुनियादी प्रशिक्षण पाठ्यक्रम किया। उन्होंने प्रयागराज संगीत समिति से संगीत में डिग्री भी हासिल की।
इससे उन्हें स्कूली पाठ्यक्रम में भारतीय शास्त्रीय नृत्य कथक को भी शामिल करने में मदद मिली, जिसे बच्चों के बीच काफी पसंद किया जाने लगा।
“बच्चों को कथक की शिक्षा देने के पीछे हमारा उद्देश्य था हमारे बच्चे हमारी संस्कृति से जुड़े रहे और इसे आगे बढ़ाए। कथक नृत्य की एक ऐसी विधा है जिसे बच्चे चाहे तो अपने कैरियर के रूप में भी अपना सकते हैं, ”सहायक शिक्षक ने कहा। कक्षा तीन से ऊपर के लगभग 40 छात्र हैं, जो स्कूल में कथक सीखते हैं।
“स्कूल में बच्चों के लिए ऐसा वातावरण होना चाहिए कि बच्चों को यह लगे कि स्कूल में कल क्या होगा ? बच्चों के मन मे यह विचार पैदा कर सकने में अगर हम सफल हो गए तो फिर बच्चे स्कूल से दूर भागना छोड़ देंगे, ”उन्होंने कहा।
बच्चों को स्कूल में रुचि रहे और बच्चे नियमित स्कूल आए इसके लिए हम स्कूल के आखिरी के घंटे में कुछ अलग गतिविधियां करते हैं जैसे खेल-कूद, कथक सीखना, गीत सीखना, कहानियां या फिर कोई नाटक जो इनकी पढ़ाई से जुड़ा हो।
“जबसे हमारे यहां नृत्य और गीत के साथ शिक्षा शुरू की गई काफी बदलाव हुआ है। शिक्षा के स्तर में सुधार हुआ है, बच्चों की उपस्थिति में भी बड़ा अंतर देखने में मिला है। “स्कूल की प्रधानाध्यापिका सुनीता देवी ने गाँव कनेक्शन को बताया।
उन्होंने गर्व के साथ कहा, “हमारे विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के साथ उनके अभिभावक भी हमारी शिक्षा पद्धति से काफी प्रभावित है। और अब वह अपने बच्चों को निजी स्कूल से हमारे यहां भेज रहे हैं।”
“हमने कथक नृत्य के बारे में सुना भी नहीं था लेकिन सर के आने के बाद हम लोग कथक सीखने लगे हैं और अब तो हम सब कथक नृत्य में कई ताल सीख गए हैं, “कक्षा चार की नौ साल की छात्रा काजल देवी ने गांव कनेक्शन को बताया। “रवि सर कथक नृत्य के साथ कहानी कविताएं सिखाते हैं।इसलिए अब हमें स्कूल अच्छा लगने लगा है, ”उसने कहा।
एक अभिभावक नीतू देवी ने कहा कि यहां का माहौल बहुत बदला है अगर अब एक दिन बच्चा स्कूल न जाए तो स्कूल से फोन या फिर रबी सर खुद घर जाते हैं बच्चे को बुलाने। रबी सर खेल खेल कर बच्चों को पढ़ाते हैं जिससे बच्चे बहुत खुश रहते हैं, बच्चों को अगर किसी काम से घर मे रुकने के लिए कहो तो रोते हैं ।
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सिंह अपने छात्रों को उस दिन के ऐतिहासिक या सांस्कृतिक महत्व के बारे में बताने के लिए हर त्योहार या विशेष दिन का पूरा उपयोग करते हैं। वह कहानियों, संगीत, नाटक और नृत्य के माध्यम से बच्चों को उस दिन का महत्व बताते हैं।
“अगर किसी कारण से हमें घर पर रहने के लिए कहा जाता है तो हम अब हंगामा करते हैं। हमें स्कूल छूटने से नफरत है, “कक्षा पांच के छात्र रवि किशन ने गाँव कनेक्शन को बताया। उन्होंने कहा कि रवि सर हर पाठ को मनोरंजक बनाने में माहिर है । “वह हमें हर पाठ का अभिनय करवाते हैं या हमें गाने और नृत्य की मदद से सिखाते हैं। इस तरह से सीखे हुए पाठ को हम कभी नहीं भूल सकते हैं।