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छत्तीसगढ़: बदलने लगी नक्सली इलाकों की तस्वीर, खाली पड़े बीएसएफ कैंप में चलने लगे हैं हॉस्टल और स्कूल

कभी नक्सलवाद के लिए बदनाम छत्तीसगढ़ में इन दिनों आदिवासी बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलने लगी है; क्योंकि अब उन्हें अब उनकी क्लास बीएसएफ के खाली पड़े कैम्प में चलने लगी है।

नौंवी कक्षा में पढ़ने वाली कुँवरवती नेताम आजकल हर स्कूल जाने लगीं हैं, आखिर उनके नए स्कूल में हर तरह की सुविधाएँ जो हैं। लेकिन पहले ऐसा नहीं था, क्योंकि कभी पंचायत भवन में क्लास चलती तो कभी यात्री प्रतीक्षालय में।

कुँवरवती गाँव कनेक्शन से बताती हैं, “अब खाली पड़े बीएसएफ कैम्प में हमारा स्कूल चल रहा है। यह खेलने के लिए बहुत बड़ा मैदान है। पेड़ पौधे भी हैं छाया रहती है, यहाँ ढेर सारी जगह हैं।”
छत्तीसगढ़ के बस्तर की तस्वीर अब बदलने लगी है। फोर्स और पुलिस जवानों की तैनाती के बाद इलाका नक्सल मुक्त हो रहे हैं।

कुँवरवती छत्तीसगढ़ के उत्तर बस्तर कांकेर जिले के कढाईखोदरा बीएसएफ कैम्प में संचालित हो रहे स्कूल में पढ़ती हैं। उत्तर बस्तर काँकेर जिले के वह गाँव है, जहाँ कभी नक्सलियों की दहशत पर अंकुश लगाने के लिए कैम्प की स्थापना की गई थी। वह कैम्प अब खाली हो चुके हैं। इन कैम्पों में अब स्कूल और आश्रम संचालित हो रहे हैं। जहाँ रहने और पढ़ने वाले बच्चों को हर सुविधाएं प्रशासन मुहैया करा रहा हैं।

जिले के बोंदानार, कढाईखोदरा और भैसाकन्हार में स्कूल और आश्रम संचालित हो रहे है। बच्चे यहाँ रह भी रहे है और पढ़ाई भी कर रहे हैं। एक समय यह इलाका नक्सलियों का गढ़ हुआ करता था। नक्सली यहाँ छोटी-बड़ी वारदातों को आजमा दिया करते थे। विकास के कार्यों को रोका करते थे, जिनके बढ़ते प्रभाव को रोकने के बीएसएफ कैम्प खोले ग। जवानों ने नक्सलविरोधी अभियान चलाया और आज इलाके में नक्सल मुक्त हो चुका है।

बोदानार बीएसएफ कैम्प में बालक छात्रवास संचालित हो रहा है, वहाँ के छात्र रमनु नरेटी बताते हैं, “यह मजबुत लोहे के बने रूम है। यहीं हम लोग रहते हैं, हमारा नया छात्रवास पूरा तारों से घिरा है। यहाँ रहने में अच्छा लगता है।”

जानिए कब आए कैम्प और कब से चलने लगे स्कूल

जिले के अंतागढ़ क्षेत्र का ग्राम बोदानार नक्सल समस्या से ग्रसित था। वर्ष 2016 में यहाँ बीएसएफ कैम्प की स्थापना की गई। 7 सालों तक जवानों ने नक्सल उन्मूलन के नाम पर काम किया। इलाके में शांति आई और फरवरी 2023 में यह कैम्प खाली हो गया। जवानों को दूसरे जगह शिप्ट किया गया। अब वर्तमान में डेढ़ साल से प्री मैट्रिक छात्रवास संचालित हो रहा है। यहाँ कक्षा 6वीं से 12वीं तक के कुल 75 छात्र रह कर पढ़ाई कर रहे है।

अन्तागढ़ क्षेत्र के ही कढ़ाई खोदरा में वर्ष 2015 में कैम्प का स्थापना की गई। इलाका नक्सल मुक्त हुआ, विकास के कार्यो को गति मिली। साल 2023 में कैम्प को खाली कर जवानों को दूसरे जगह भेजा गया। अब यहाँ स्कूल संचालित किया जा रहा है। स्कूल में कक्षा नौंवीं और कक्षा दसवीं के कुल 33 छात्र हैं। लगाए जा रहे स्कूल में कुछ असुविधाएं जरूर है, जिन्हें दूर करने प्रशासन प्रयास कर रहा है।

वहीं भानुप्रतापपुर क्षेत्र के भैसाकन्हारगांव (क) में वर्ष 2014 में एसएसबी कैम्प की स्थापना की गई। छह साल यहाँ एसएसबी के जवानों के रहने के बाद वर्ष 2020 में बीएसएफ जवान इस कैम्प में पहुंचे। शांति स्थापित कर वर्ष 2023 में जवान यहाँ से दूसरे इलाके में लौट गए। खाली पड़े कैम्प में विभिन्न स्कूली बच्चो को जेई, नवोदय सहित अन्य की कोचिंग भी दी है। 30 अगस्त 2024 को खाली पड़े इस कैम्प में स्कूल संचालित का संचालन शुरू किया।

भैसाकन्हार के छात्रावास के अधीक्षक सुखलाल नवगो गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “पहले जहाँ छात्रावास लगता था, वहाँ बच्चो को रहने में दिक्कत होती थी, लेकिन अब छात्रावास बीएसएफ के खाली पड़े कैम्प में लग रहा है। बच्चों को यहाँ मौजूद सुविधाएं भी मिल रही है, जिससे बच्चे भी खुश है। यह प्रशासन के सहयोग से ही संभव हो पाया है। इलाके में अब नक्सल मामलों से शांति मिली है।”

वहीं कढाईखोदरा के प्राचार्य बीआर निषाद बताते हैं, “इलाके में पहले नक्सली हमले होते थे, इसके लिए बीएसएफ कैम्प बनाए गए, लेकिन अब क्षेत्र में शांति आई है। कैम्प खाली हो चुका है। स्कूल का अपना भवन नहीं था। बच्चे यात्री प्रतीक्षालय और पंचायत भवन में बैठ कर पढ़ाई करते थे।”

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