मोहित कुमार रॉय अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के मैंग्रोव वनों के बारे में सब कुछ जानते हैं। 15 साल के मोहित के पिता प्लंबर का काम करते हैं, मोहित को यहाँ की सारी नदियों के नाम याद हैं।
“चंचल सर हमें जैव विविधता, प्रकृति और वन्यजीव संरक्षण पर नए-नए प्रोजेक्ट देते रहते हैं। वह स्कूल में नाटक कराते हैं, जिससे हमें कोई विषय आसानी से समझ में आ सकें, ”उत्तर और मध्य अंडमान के रंगत तहसील के कदमतला गाँव में सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय के छात्र ने गाँव कनेक्शन को बताया। यह गाँव पोर्ट ब्लेयर से 77 किलोमीटर दूर स्थित है।
चंचल सिंघा रॉय, स्कूल में एक सामान्य विज्ञान शिक्षक हैं जो लगातार अपने छात्रों को, जिनमें से अधिकांश आर्थिक रूप से कमजोर और हाशिए पर रहने वाले समुदायों से आते हैं। इन्हें द्वीपों पर अपने स्थानीय वातावरण जंगलों, नदी प्रणालियों और वन्य जीवन से जोड़ने के तरीके खोजते हैं। द्वीपों की समृद्ध जैव विविधता का संरक्षण 53 वर्षीय शिक्षक की प्राथमिकता है।
“अंडमान और निकोबार द्वीप समूह जैव विविधता में समृद्ध हैं, लेकिन यहाँ रहने वाले लोगों को इनके संरक्षण पर ध्यान देने की ज़रूरत है। हमारे स्कूल में पढ़ने वाले अधिकांश छात्र मछुआरे परिवारों से हैं। मैं यहाँ की चीजों को ध्यान रखते हुए कोई चीज समझाता हूँ और इन्हीं पर प्रोजेक्ट बनवाता हूँ, जो उन्हें अपने पर्यावरण को बेहतर तरीके से समझने में मदद करती हैं, ”रॉय ने गाँव कनेक्शन को बताया।
तीन पीढ़ियों से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में रहने के बाद रॉय भारत के सबसे दूरस्थ केंद्र शासित प्रदेश के एक ग्रामीण स्कूल में पढ़ाकर खुद को धन्य महसूस करते हैं।
“मेरे पिता भी शिक्षक थे और मेरी पत्नी भी। मेरे परिवार में हमेशा शैक्षणिक माहौल रहा है, ”रॉय ने बताया।
जिस स्कूल में वह पढ़ाते हैं, वहाँ नर्सरी से 12वीं तक की क्लास चलती हैं, जिसमें अनुमानित छात्र संख्या 500 है। रॉय कक्षा छह से दसवीं तक विज्ञान पढ़ाते हैं। स्कूल की स्थापना 1979 में हुई थी और रॉय 2018 से यहाँ पढ़ा रहे हैं।
रॉय ने छात्रों को अपने गाँवों का नक्शा बनाना, पारिस्थितिक हॉटस्पॉट की पहचान करना और उन क्षेत्रों को चिह्नित करना सिखाया है जिन्हें पर्यावरणीय देखभाल और सुरक्षा की ज़रूरत है।
रॉय ने कहा, “इस तरह मैं अपने छात्रों के साथ एक रिश्ता बनाकर कक्षा को इंटरैक्टिव भी बनाता हूँ।”
रॉय का प्रयास है कि दूर-दराज के गाँवों के बच्चे भी स्कूल आएँ। उदाहरण के तौर पर, पाँचवीं कक्षा का छात्र 12 वर्षीय आदित्य राम रोजाना जंगल से होकर पाँच किलोमीटर पैदल चलकर पढ़ाई के लिए स्कूल आता है।
“मैं भी रोज़ एक छोटी सी धारा पार करता हूँ, जिसका पुल टूटा हुआ है। यह कभी-कभी डर भी लगता है, लेकिन मैं स्कूल में जो सीखता हूँ, वह मुझे स्कूल तक पहुंचने के लिए इस रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करता है, ”आदित्य राम ने गाँव कनेक्शन को बताया। उन्होंने कहा, “मैं बड़ा होकर रॉय सर जैसा टीचर बनना चाहता हूँ।”
10वीं कक्षा का 15 वर्षीय छात्र मोहित कुमार स्कूल से लगभग दो किलोमीटर दूर कदमतला गाँव में रहते हैं। “हमने अपने स्कूल के विज्ञान केंद्र का एक बड़ा नक्शा बनाया है। मानचित्रण से हमें गाँव के विभिन्न क्षेत्रों को समझने में भी मदद मिलती है। हमने मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र और हमारे केंद्र शासित प्रदेश में स्थित नदियों के विभिन्न नामों के बारे में भी सीखा है।
इस बीच, शिक्षक रॉय ने पढ़ाई को केवल कक्षा तक ही सीमित नहीं रखा है। वह नियमित रूप से बाहरी गतिविधियों का संचालन करते हैं। “मैं प्रकृति, वन संरक्षण और विविधता के आधार पर इन गतिविधियों और खेलों का आयोजन करता हूँ। मैं उन्हें अपने कौशल का पता लगाने और फोटोग्राफी सीखने का मौका भी देता हूँ ताकि उनकी पढ़ाई उन्हें उबाऊ न लगे, ”उन्होंने आगे बताया।
रविवार और अन्य छुट्टियों पर, रॉय अधिक बच्चों तक पहुँचने और उन्हें विज्ञान में रुचि विकसित करने में मदद करने के लिए गाँव में खुली हवा में क्लास आयोजित करते हैं।
“मैं कुछ अन्य शिक्षकों के साथ रविवार को विज्ञान व्याख्यान और प्रस्तुतियाँ आयोजित करने के लिए छात्रों के दूरदराज के गाँवों में जाता हूँ। हम वीडियो दिखाते हैं और उन्हें जैव विविधता के बारे में सिखाते हैं और अपने प्राकृतिक संसाधनों की मैपिंग कैसे करते हैं, ”रॉय ने कहा।
13 साल की लड़की और आठवीं कक्षा की छात्रा बिथिका बैरागी को अंग्रेजी पढ़ना पसंद है और वह उत्तरी और मध्य अंडमान के रंगत ब्लॉक के उत्तरा गाँव में रहती हैं। “मुझे अंग्रेजी कविताएँ और कहानियाँ पढ़ना अच्छा लगता है। मुझे अंग्रेजी में नए शब्द सीखना पसंद है, ”उन्होंने गाँव कनेक्शन को बताया।
बैरागी के पिता बरुण बैरागी, 36 वर्षीय मछुआरे, दैनिक आधार पर 300 रुपये से 500 रुपये कमाते हैं।
बैरागी ने गाँव कनेक्शन को बताया, “हम बढ़ती महँगाई और बार-बार आने वाले चक्रवातों का खामियाजा भुगत रहे हैं, जिसके कारण मैं मछली पकड़ने नहीं जा सकता और कोई कमाई नहीं हो रही है।”
“मेरे दो बच्चे हैं, लेकिन मैं उन्हें पढ़ाई से नहीं रोकूंगा। मैं उन्हें स्कूल भेजता रहूँगा क्योंकि रॉय सर हर संभव तरीके से उनका मार्गदर्शन करते हैं और स्कूल के सभी बच्चों के लिए एक बड़ा काम कर रहे हैं, ”पिता ने कहा।