धारणा, बालोतरा (राजस्थान)। हर सुबह 6:30 बजे के करीब धारणा गाँव की भावना को किसी चीज का बेसब्री से इंतज़ार रहता है, थोड़ी-थोड़ी देर पर दरवाजे पर खड़े होकर बाहर देखती हैं और उनका इंतज़ार तब खत्म होता है जब दूर से उन्हें स्कूल बस का हॉर्न सुनाई देता है।
भावना जैसे बच्चों की खुशी का कारण उनके स्कूल की बस है, जिससे इनकी मुश्किलें कम हुई हैं। 14 साल की भावना आठवीं कक्षा में पढ़ती हैं, वो गाँव कनेक्शन से बताती हैं, “हमारे लिए गाँव के स्कूल तक पैदल जाना बड़ा कठिन था, जिससे कई बार लगता था कि हमें पढ़ाई न छोड़नी पड़े, क्योंकि कई बार पैदल जाने में देरी हो जाती थी, लेकिन अब तो मैं बस से ही स्कूल जाती हूँ।
धारणा गाँव में भावना के घर से राजस्थान पब्लिक स्कूल उच्च प्राथमिक विद्यालय तीन किलोमीटर दूर है। भावना की तरह ही पब्लिक स्कूल के आसपास के गाँवों के बच्चे अब बस से ही स्कूल जाते हैं। क्योंकि यहाँ के बच्चों के माता-पिता खेतों में काम करते हैं, इसलिए बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते।
और इसका श्रेय स्कूल के संचालक सह शिक्षक भभूता राम को जाता है, जिन्होंने बस खरीदने के लिए अपने पास से 16 लाख रुपए खर्च किए।
“हमने भावना जैसे छात्रों की मदद के लिए 2019 में एक बस सेवा शुरू की। इनमें से कई छात्र स्कूल से लगभग बारह किलोमीटर दूर रहते हैं। खेतों में रहने वाले विद्यार्थियों के लिए स्कूल जाना कठिनाई भरा सफर है, क्योंकि उन्हें गाँव और स्कूल के बीच पड़ने वाला लंबा रास्ता और ऊबड़ खाबड़, रेत के टीलों को पार करते हुए आना जाना पड़ता है।, ”भभूता राम ने बताया।
उन्होंने कहा, “अब ऐसे छात्र आसानी से बस में स्कूल आ सकते हैं और उन्हें पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आएगी।”
बस के आ जाने से अब तो स्कूल में बच्चों की संख्या भी बढ़ गई है। भभूता राम बताते हैं, “2019 में हमारे पास सिर्फ 30 छात्र थे। 2020 में यह संख्या बढ़कर 80 हो गई और आज मुझे अपने स्कूल में 225 से अधिक छात्रों को देखकर गर्व हो रहा है।”
धारणा गाँव के किसान चम्मा राम सुथार के दो बच्चे, सात साल का राजू और पाँच साल की पिंकी भी इसी स्कूल में पढ़ते हैं। वो कहते हैं, “मेरे पास कोई गाड़ी नहीं है। अपने बच्चो को शिक्षा से जोड़ने की बड़ी चिंता थी लेकिन जब से स्कूल में दाखिला लिया है तब से स्कूल की ओर से एक बस हमारे खेत तक आती है जिसके माध्यम से मेरे बच्चे आसानी से स्कूल आ जा सकते हैं।”
स्कूल के शिक्षक भी खुश हैं क्योंकि छात्र नियमित रूप से स्कूल आते हैं और पढ़ाई में रुचि दिखाते हैं। “मुझे ख़ुशी है कि छात्रों को अब कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा। बस बारी-बारी से बच्चों को स्कूल ले आती है और फिर उन्हें घर छोड़ती है, ”स्कूल के शिक्षक देवा राम, जो लगभग पाँच किलोमीटर दूर पादरू गाँव में रहते हैं ने गाँव कनेक्शन को बताया।