लखनऊ। एक अप्रैल से नया सत्र शुरू हो रहा है और जिले के ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्रों के पास न तो साफ पानी है और न ही शौचालय।ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनबाड़ी केन्द्र ही बच्चों की शिक्षा की पहली सीढ़ी होते हैं, यहां से उन्हें स्वच्छता के तौर तरीके बताए जाते हैं, लेकिन ज़्यादातर आंगनबाड़ी केन्द्रों में शौचालय न होने के कारण बच्चों में न ही ये आदत बन पाती है वहीं कार्यकर्त्रियां को भी इसकी वजह से परेशानी उठानी पड़ती है।
लखनऊ जिला मुख्यालय से लगभग 34 किमी दूर कुर्सीरोड के मुबारकपुर पंचायत के आंगनबाड़ी केन्द्र के पास न कोई शौचालय हैं और न हैंडपंप। कार्यकर्त्री ऊषा देवी बताती हैं, बड़ी दिक्कत होती है , शौचालय न होने के कारण खुद को ही बाहर जाना पड़ता है, बच्चों में क्या आदत डाल पाएंगें।
बाल विकास मंत्रालय के अनुसार भारत में लगभग 13 लाख आंगनबाडी केन्द्र हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा लगभग एक लाख 87 हजार केन्द्र हैं। अलग अलग जिलों में कराए गए सर्वे के अनुसार ये सामने आया कि लगभग 50 हजार केन्द्रों के पास शौचालय नहीं हैं। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘‘केन्द्रों पर शौचालय और पेयजल की सुविधा की जिम्मेदारी पंचायती राज को दी गई थी। यहां से लिस्ट जानी है जहां पर शौचालय नहीं है उन केन्द्रों की, लेकिन वो भी अभी तक न जा पाई है।’’
केन्द्र व राज्य सरकार की चल रही 14वीं वित्त योजना के धन से केन्द्रों के शौचालय की मरम्मत व निर्माण होना था लेकिन अभी भी ज्यादातर केन्द्र बिना शौचालय के हैं। आंगनबाडी केन्द्र के मानक में ये है कि शौचालय निर्माण भी साथ ही कराया जाए लेकिन ज्यादातर केन्द्रों के भवन के साथ शौचालय नहीं बनाए गए।
पंचायती राज विभाग के निदेशक उदयवीर सिंह इस बारे में बताते हैं, ‘‘स्वच्छ भारत मिशन के तहत ये कार्य पंचायती राज को सौंपा गया है और काम चल रहा है, उन केन्द्रों को चिहिनत किया जा रहा है जिनके पास पेयजल और शौचालय की सुविधा नहीं है उन्हें जल्द ही ये सुविधा दी जाएगी।’’
आंगनबाडी केन्द्रों पर सहायिका और कार्यकर्त्री दोनों ही महिलाएं होती हैं ऐसे में शौचालय को होना कितना जरूरी है सब सोच सकते हैं। ‘‘सड़क के किनारे केन्द्र तो बना दिए गए लेकिन उसके साथ शौचालय नहीं बनाया गया अब महिलाएं खुद कहां जाएं और बच्चों को क्या सिखाएं।’’
आंगनबाड़ी सुपरवाइजर ममता दूबे बताती हैं, “जो मुबारकपुर से लगभग 5 किमी दूर चौरसिया गाँव के केन्द्र पर उपस्थित मिली। ‘‘जो केन्द्र प्राथमिक स्कूलों के पास बने होते हैं वो उन्हें इस्तेमाल कर लेते हैं लेकिन कुछ केन्द्र तो गाँव से दूर बने हैं, उनपर कार्यकर्त्रीयों को दिक्कत होती है।’’
उत्तर प्रदेश 2016-17 के बजट में दो हजार केन्द्रों के उच्चीकरण के लिए 13 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित किया गया है। उम्मीद है इससे केन्द्रों की स्थिति बदलेगी।
केन्द्रों पर शौचालय की व्यवस्था न होने के बारे में बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के निदेशक आनन्द कुमार सिंह से जब गाँव कनेक्शन ने बात करने की कोशिश की तो शहर से बाहर होने के कारण उन्होनें बात करने से मना कर दिया।