लखनऊ। राजधानी के सड़कों पर घूम रही आवारा गाय शहर के लोगों की सबसे बड़ी परेशानी बनी हुई है। लगातार इनकी संख्या बढ़ रही है जिसको रोकने के लिए नगर-निगम के अधिकारी भी सक्रिय नहीं हैं।
शहर की पॉश काॅलोनी हो या फिर कोई इलाका और इलाके गायों के झुंड देखने को मिल ही जाएंगे। इस कारण न केवल लोगों को आने-जाने में दिक्कत होती है बल्कि सड़कों पर गंदगी फैलती है। इन पशुओं से एक्सीडेंट की भी समस्या बढ़ रही है। तेलीबाग इलाके में रहने वाली ऊषा सिंह बताती हैं, रात में मोहल्ले में गायों की लाइन लग जाती है और सुबह रोज गंदगी फैली रहती है जिसको साफ करने में घंटों समय लगता है।
गोमती नगर इलाके के सिद्धार्थ शर्मा (21 वर्ष) बताते हैं, बाबू बनारसी दास एकेडमी के समाने वाले मोड़ पर रखे हुए ट्रांसफार्मर के पास में बहुत सारा कूड़ा पड़ा रहता है और दिन में तो एक दो रहती है लेकिन रात तक यहां पर दस से भी ज्यादा गाय आ जाती हैं। एक बार गाय को बचाने के चक्कर में मेरे दोस्त को चोट भी लग चुकी है। क्षेत्र में कूड़ा का सही समय पर उठाव नहीं होना भी एक बड़ी समस्या है। लखनऊ के गणेश गंज इलाके में रहने वाले विकास तिवारी बताते हैं, घर के आगे ही सब्जी मंडी है लोग सब्जियों को बाहर फेंक देते हैं जिसको खाने के लिए झुंड का झुंड खड़ा रहता है समस्या इतनी है कि इनकी वजह से जाम भी लग जाता है क्योंकि इस इलाके की सड़के भी चौड़ी नहीं हैं। लखनऊ के नगर आयुक्त पीके श्रीवास्तव का कहना है कि, “शहर में आवारा पशुओं की जो संख्या बढ़ रही है इनको हटाने के लिए हमारे पास पर्याप्त कर्मचारी नहीं है। दूसरी समस्या यह है कि जिन गौशालाओं में इनको रखा जाता है वो पहले से ही भरे हुए है। विभाग शहर में लोगों को गाय से परेशानी न हो इसके लिए लगातार प्रयास कर रहा है।”
अपनी बात को जारी रखते हुए श्रीवास्तव बताते हैं, आवारा पशुओं की संख्या कम हो सकती है लेकिन इसके लिए शहर की जनता ही सहयोग नहीं कर रही है। आधे से ज्यादा आबादी कूड़ेवाले को कूड़ा नहीं देती जिससे कूड़ा जगह-जगह फैला रहता है और खाने के चक्कर में एक ही जगह गायों का झुंड इकट्ठा हो जाता है। हमारे पास संसाधनों की कमी है, इसलिए कुछ क्षेत्रों में समस्या बढ़ रही है। अगर जनता सहयोग करे तो इस समस्या को खत्म किया जा सकता है।” गाँव कनेक्शन के संवाददाता ने कई बार फोन करके भी लखनऊ के मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी को इस समस्या से अवगत भी कराया है पर उन्होंने इस समस्या को टाल दिया और अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की।
लखनऊ के मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी डॉ. अरविंद राव ने बताया कि इसके लिए रोज अभियान चलाते हैं फिर भी समस्या बनी है। पिछले साल दस लाख रुपए का जुर्माना किया गया था और इस बार दो लाख रुपए का जुर्माना कर चुके हैं। इसके लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।
पशुओं के लिए भी खतरा
पशुओं के पेट में चार भाग होते हैं। प्रथम तीन भाग में पॉलीथिन और प्लास्टिक फंसने से सिर्फ तबीयत बिगड़ती है, लेकिन अंतिम भाग में फंसने से पेट में पानी भरने के कारण रूमेनल रूटेसिस बीमारी हो जाती है, जिससे पशु की मौत हो जाती है।
आवारा पशुओं पर चलता है अभियान
इसके लिए रोज अभियान चलाते हैं फिर भी समस्या बनी है। पिछले साल दस लाख रुपए का जुर्माना किया गया था और इस बार दो लाख रुपए का जुर्माना कर चुके हैं। इसके लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।
कहां जाए ये पशु
आवारा मवेशी जाए भी तो कहां? मालिकों द्वारा रोज सुबह दूध निकालने के बाद उन्हें छोड़ दिया जाता है। ऐसे में ये मवेशी जगह की तलाश में भटकते रहते हैं और जिन गौशालाओं में आवारा पशुओं को रखा जाता है, उनमें जगह ही नहीं बची है। लखनऊ में सात कांजी हाउस हैं, जिनमें से दो में काम चल रहा है। इन कांजी हाउस में 150 से अधिक पशु बंद हैं।