लखनऊ। उत्तर प्रदेश की अदालतों में करीब 50 लाख मुकदमे लटके पड़े हैं। इनमें से महिलाओं से जुड़े करीब सवा चार लाख मुकदमों पर भी अभी फैसला आना बाकी है। छह लाख ऐसे मामले हैं जिनको दस साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है।
नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड की रिपोर्ट के मुताबिक दीवानी और फौजदारी के कुल 49 लाख 68 हज़ार 190 मामलों पर अभी तक कोर्ट से कोई फैसला नहीं आया है। इनमें दीवानी के 12 लाख 57 हज़ार 348 मामले और फौजदारी के 37 लाख 10 हज़ार 842 मामले हैं।
उन्नाव के दोस्तीनगर गाँव के निवासी रामअधर तिवारी (40 साल) करीब दस साल से मकान के विवाद में दायर मुकदमे के प्रतिवादी हैं। वो बताते हैं ”दस बरस बीत गए हैं, दो-चार महीने में पेशी पर जाओ तो कभी मुकदमा दायर करने वाला नहीं आता तो कभी तबीयत खराब है का प्रार्थना पत्र मिलता है। कभी हड़ताल हो गई तो कभी साहब नहीं आए”
हाल ही में सभी अधिवक्ता संगठनों ने अधिवक्ता श्रवण कुमार वर्मा हत्याकांड के विरोध में प्रदर्शन कर रहे वकीलों पर हुए लाठी चार्ज को लेकर न्यायिक कार्य का बहिष्कार किया था। वकील मारे गए अधिवक्ता के परिजनों को 50 लाख क्षतिपूर्ति देने की मांग कर रहे थे।
हाईकोर्ट के वकील केके शुक्ला बताते हैं, ”हाईकोर्ट बेंच में न्यायाधीशों के पद तो 160 हैं लेकिन जजों की संख्या केवल 72, इस वजह से मुकदमे लंबित हैं। प्रदेश की कई निचली अदालतों में काम भी अभी मैन्युल है, इस कारण मुकदमों की कार्यवाही तेजी से नहीं हो पाती। इन रुके हुए मुकदमों में 4 लाख 24 हज़ार 718 ऐसे मामले भी कोर्ट में हैं जो महिलाओं से जुड़े हैं।
50 लाख मुकदमे लंबित:
कुल लंबित मामले-49,68,190
फौजदारी-37,10,842
दीवानी-12,57,348
महिलाओं से जुड़े मामले- 4,24,718