महिलाओं ने हाथ में ली ज़िन्दगी की स्टेयरिंग

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लखनऊ। वर्षों तक घरेलू हिंसा का शिकार रही महिलाओं ने हिम्मत दिखाते हुए अपनी जिंदगी की गाड़ी की स्टेयरिंग अपने हाथों में ले ली है। अब ये महिलाएं ई-रिक्शा चलाएंगी और उसकी कमाई से अपने और अपने बच्चों के सपने पूरे करेंगी।

महिलाओं की घरेलू हिंसा पर काम करने वाली गैर सरकारी संस्था ‘हमसफर’ ने सात महिलाओं को ई रिक्शा चलाने का प्रशिक्षण दिया है, जिससे वे अपने रोजगार के साथ ही शहर की महिलाओं को सुरक्षित व प्रदूष्रण रहित सवारी देने जा रही है। इन सभी महिलाओं ने अपने जीवन में हिंसा का सामना किया है। घरेलू हिंसा का शिकार हुई लखनऊ के मवैया में रहने वाली ललिता गौतम (36 वर्ष) बताती हैं, ”बड़े अरमानों के साथ मैं भी अपने ससुराल पहुंची लेकिन पहली रात को ही मेरे पति ने मुझे शराब पीकर इतना मारा कि रात को ही डॉक्टर को बुलाना पड़ा। उसके बाद से तो ये गाली गलौच और मारपीट रोज का हो गया।” वो आगे बताती हैं, ”दो बेटियों के जन्म देने के बाद ससुराल वालों ने मुझे जिंदा जलाने की कोशिश की और तब मैं अपने बेटियों को लेकर वहां से भाग आई। हमसफर की मदद से मैनें अपनी लड़ाई लड़ी और फिर ई-रिक्शा चलाना सीखा जिससे अपनी पहचान बना सकूं।”

ललिता की तरह बाकी छह महिलाएं भी घरेलू हिंसा का शिकार बनीं, किसी का पति शराब पीकर उसे मारता था तो किसी के ससुराल वालों ने खाने-पानी के लिए तरसा डाला। इन महिलाओं ने अपने हौसले और हिम्मत से अपनी लड़ाई लड़ी और आज अन्य महिलाओं के लिए मिसाल बन रही हैं।

अपनी ये मंजिल तय करने पर इन महिलाओं को कई तरह के संघर्ष करने पड़े। बिना कागजों के इनकी कोई पहचान नहीं थी और इन्हें जुटानें में 5 से 6 महीने लग गए क्योंकि सरकारी दफ्तरों के दरवाजे बंद थे। इनके पास पहचान पत्र तक नहीं थे ऐसे में लाइसेंस कैसे बनता। इसके बाद जब गाड़ी लेकर ये सड़कों पर उतरीं तो लोगों की छींटाकशी का भी सामना करना पड़ा। ‘अब लेडीज ऑटो चलाएगी और मर्द बरतन मांजेगें।’ इन सबके बावजूद भी इन महिलाओं ने हार नहीं मानी और अपनी लड़ाई लड़ी। 

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 15 फरवरी को लखनऊ में ऐसी सात महिलाओं की हौंसला आफजाई की। मुख्यमंत्री ने कहा, ”मैं इन महिलाओं के हौसलें और साहस के लिए उन्हें बधाई देता हूं। इसके साथ ही उन्हें भरोसा दिलाता हूं कि कुछ ही दिनों में उनको समाजवादी सरकार उनका खुद का रिक्शा दिलाएगी।” फिलहाल इन महिलाओं को हमसफर की ओर से किराए पर दिए गए हैं।

नेशनल क्राइम ब्यूरो की वर्ष 2014 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में साढ़े 28 लाख से अधिक महिलाएं उत्पीडऩ का शिकार हुई हैं। उत्तर प्रदेश महिला उत्पीडऩ के मामलों में सबसे आगे रहा है। यूपी में वर्ष 2014 में 38467 मामले ऐसे सामने आए जिनमें महिलाओं का उत्पीडऩ हुआ।

हमसफर ने पांच रिक्शे लोन लेकर खरीदे और इन महिलाओं की ट्रेंनिग शुरू की हमसफर की ट्रस्टी अरुंधति बताती हैं, ”हमारी कोशिश थी कि महिलाओं को प्रदूषण रहित और सुरक्षित यातायात मिल सके। हमें उम्मीद है कि अभी ये सात महिलाएं निकली हैं और आने वाले समय में 7,000 महिलाएं आगे आएंगी। इसमें हमारी प्रेरणा बनी दिल्ली की सखा संस्था जो वहां कि महिलाओं को कैब चलाना सिखाती है।”

आने वाले दिनों में ये महिलाएं अपने ई-रिक्शा के साथ आपको सड़कों पर दिखेगीं। आत्मविश्वास से भरी इन महिलाओं ने इसके लिए सेल्फ डिफेंस, गैराज, ट्रैफिक के नियम और कम्यूनिकेशन की ट्रेनिंग ली है। चेहरे पर मुस्कुराहट और आंखों में नमी लिए हुए पुष्पा (34वर्ष) बताती हैं, ”मेरी बेटी को वो नहीं सहना पड़ेगा जो मैनें सहा। उसे अच्छी शिक्षा और परवरिश दूंगी। अब मैं खुद कमाऊंगी और खर्च करूंगी।” कार्यक्रम में महिलाओं ने नाटक और डांस के जरिए से अपनी पूरे संघर्ष की कहानी लोगों को सुनाई।

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