लिस्ट बनी नहीं, कैसे मिलेगा निर्मल विद्यालय सम्मान

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लखनऊ। स्वच्छ भारत अभियान के तहत सरकारी स्कूलों में साफ सफाई बनाए रखने के लिए निर्मल विद्यालय का सम्मान दिया जाता है। हर जिले के तीन स्कूलों का चयन इसके लिए हर वर्ष किया जाता है। 31 मार्च तक स्कूलों को अपने जिले की रिपोर्ट राज्य परियोजना कार्यालय को देनी थी लेकिन अभी तक स्कूलों की चयन प्रक्रिया तक नहीं शुरू हो पाई है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्कूलों में भी सर्व शिक्षा अभियान निर्मल विद्यालय पुरस्कार देता है। इसके लिए सर्व शिक्षा अभियान की अपर परियोजना निदेशक राजकुमारी वर्मा ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि सभी जिले अपने यहां की चयन प्रक्रिया करके रिपोर्ट भेज दें लेकिन ऐसा नहीं हो सका है।

देशभर में शैक्षिक गणना करने वाली संस्था राष्ट्रीय शैक्षिक प्रबंधन सूचना प्रणाली डीआईएसई की रिपोर्ट 2013-14 के अनुसार उत्तर प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों की संख्या 1,53,220 है और माध्यमिक स्कूलों की संख्या 31,624 है। वहीं लखनऊ में कुल 1839 स्कूल हैं लेकिन अभी तक कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। 

स्कूलों में स्वच्छता की हकीकत दिखावा

राजधानी में भी ज्यादातर स्कूलों में स्वच्छता के नाम पर दिखावा है, जहां स्कूलों में सामने से इमारतें रंगी पुती दिखती हैं वहीं पीछे कूड़े का ढेर और शौचालयों की बदहाल हालत स्कूलों में स्वच्छता के नाम पर छल है। लखनऊ से लगभग 35 किमी दूर प्राथमिक विद्यालय बसौरा में शौचालय हमेशा बंद रहते हैं क्योंकि वो इतने गंदे हैं कि इस्तेमाल के लायक ही नहीं है। वहां की अध्यापिका कमला देवी बताती हैं, “कोई सफाई कर्मचारी नहीं है इसलिए वो बंद कर दिया गया है। स्कूल में सफाई कैसे हो जब कर्मचारी आता नहीं है तो सफाई न अध्यापक करेंगे न बच्चे। स्कूल के बाहर गाँव वालों ने ढेर लगा रखा है जिसमें वो गोबर वगैरह आकर डालते हैं जिससे और गंदगी रहती है।” 

ये है निर्मल विद्यालय योजना

स्कूलों में निर्मल विद्यालय के तहत प्रदेश से 30 प्राथमिक 100 छात्रों से ऊपर वाले 25 जूनियर और पांच कस्तूरबा स्कूलों को ये सम्मान दिया जाना है लेकिन अभी तक इसकी चयन प्रक्रिया भी नहीं शुरू हो पाई है। चयन प्रक्रिया में ऐसे स्कूलों को शामिल किया जाना था जहां पर लड़के लड़कियों के लिए अलग शौचालय, साफ पेयजल की सुविधा और स्कूल के आस पास सफाई हो। इस बारे में लखनऊ के बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण मणि त्रिपाठी ने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

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