लखनऊ। कभी बीपीएल कार्डधारक रहे गायत्री प्रजापति कैसे करोड़ों के मालिक बन गए, इसको लेकर कई बार शिकायत लोकायुक्त और विभिन्न अदालतों में की गई थीं। अवैध खनन की कई शिकायतों के बाद वो सरकार से बाहर भी किए गए थे।
साल 2002 तक गायत्री प्रसाद प्रजापति और उनके परिवार का नाम गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों की सूची में था। इसके बाद गायत्री ने प्रापर्टी डीलरों के साथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया। वर्ष 2010 में यूपी के विधानसभा चुनावों से दो साल पहले उसने अमेठी जिले के एक बड़े सपा नेता का दामन थाम लिया और अमेठी से टिकट भी पा लिया। चुनाव में अमेठी के राजा संजय सिंह की पत्नी अमिता सिंह को मात देकर वह सपा के तत्कालीन अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की नजरों में चढ़ गए।
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मुलायम से नजदीकियां बढ़ने के एक साल बाद ही फरवरी 2013 में उसे सिंचाई राज्यमंत्री का पद दिया गया, लेकिन गायत्री की किस्मत पलटी खनन विभाग में स्वतंत्र प्रभार मंत्री बनाए जाने के बाद। यहां उसे जल्द ही इसी विभाग का कैबिनेट मंत्री बना दिया गया। गायत्री के खिलाफ लोकायुक्त से लेकर कोर्ट तक लगातार शिकायतें करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर आरोप लगाती हैं कि खनन के धंधे से ही गायत्री ने एक हजार करोड़ से भी ज्यादा की संपत्ति इकट्ठा कर ली है।
प्रजापति ने जितना पैसा भी कमाया वो खनन और जमीन के धंधे से कमाया। उनकी तमाम कंपनियां उस दौरान बनीं जब वो खनन मंत्री थे। इसकी मैंने लोकायुक्त से शिकायत भी की थीय़
नूतन ठाकुर, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता
वकील और सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर कहती हैं, “गायत्री प्रजापति ने जितना पैसा भी कमाया वो खनन और जमीन के धंधे से कमाया। उनकी तमाम कंपनियां उस दौरान बनीं जब वो खनन मंत्री थे। मैंने इस संबंध में लोकायुक्त में भी शिकायत की थी लेकिन जांच करने से तत्कालीन लोकायुक्त ने मना कर दिया था।”
वो आगे बताती हैं, “इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अभी भी मामला चल रहा है। रही बात गायत्री की गिरफ्तारी की तो अगर उस समय ही पुलिस ने सख्ती दिखाई होती तो सुप्रीम कोर्ट तक पीड़िता को एफआईआर के लिए भटकना नहीं पड़ता। ये यूपी पुलिस के लिए शर्म की बात है।” नूतन ठाकुर यूपी पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाती हैं उनका कहना है कि पुलिस को राजनीतिक दबाव में नहीं काम करना चाहिए।
नूतन ठाकुर, सामाजिक कार्यकर्ता
कौन है गायत्री प्रजापति
फ़ैजाबाद के अवध विश्वविद्यालय से कला में स्नातक करने वाले गायत्री पहली बार 2012 में विधायक बने और फिर आगे बढ़ते चले गए। गायत्री प्रजापति ठेके पर पुताई का कारोबार करते थे। साथ में वो प्रॉपर्टी का भी काम करते थे। गायत्री प्रजापति के पिता सुकई राम कृषक समाज से जुड़े थे।
किन आरोपों में पहुंचे जेल
बलात्कार के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश जारी किया था, लेकिन 27 फरवरी अमेठी में अपना वोट डालने के बाद से ही वह फरार थे। चित्रकूट की एक महिला ने प्रजापति पर सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाया है। महिला का कहना है कि 3 साल पहले जब वह प्रजापति से मिली थी, उस समय उन्होंने चाय में नशीला पदार्थ मिलाकर उसे बेहोश कर दिया और बेहोशी की हालत में उसके साथ दुष्कर्म किया और उसकी आपत्तिजनक तस्वीरें भी ले लीं। महिला का कहना है कि प्रजापति ने उन तस्वीरें को दिखाकर उसे ब्लैकमेल किया और उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया। महिला का आरोप है कि प्रजापति ने उसकी नाबालिग बेटी से भी दुष्कर्म का प्रयास किया।
सरकार और यादव परिवार में कलह का कारण
पूर्व मंत्री प्रजापति पर भ्रष्टाचार के भी कई आरोप हैं। उन्हें मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इन्हीं आरोपों के मद्देनजर अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त भी कर दिया था। अखिलेश का अपने पिता मुलायम सिंह यादव और चाचा शिवपाल यादव के साथ जो विवाद शुरू हुआ, उसमें प्रजापति को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाना एक बड़ा मुद्दा था। प्रजापति की बर्खास्तगी पर मुलायम नाराज हो गए थे। उनके दबाव पर अखिलेश ने बाद में प्रजापति को दोबारा मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया।
ऐसे बने करोड़पति
कुछ वर्ष पहले तक बीपीएल कार्ड धारक रहे गायत्री ने 1993 में बहुजन क्रान्ति दल से अमेठी से चुनाव लड़ कर 1500 वोट पाए थे। 1996 के बाद 2002 में चुनाव लड़ते वक्त उन्होंने जो हलफनामा भरा था उसमें उनकी कुल सम्पत्ति 91436 रुपये बताई गई थी। 2012 के हलफनामे में उन्होंने यह सम्पत्ति 1.81 करोड़ बताई और अब यह 1000 करोड़ से अधिक बतायी जाती है। अब बताया जाता है वो मुलायम के छोटे बेटे प्रतीक यादव के साथ रियल स्टेट बिजनेस भी करते हैं।
इन्होंने की थी सबसे पहले शिकायत
दैनिक समाचार पत्र हिंद बचाओ के संस्थापक और संपादक ओम प्रकाश द्विवेदी ने सबसे पहले लोकायुक्त में प्रजापति के परिवार के सदस्यों के पास कथित कई सौ करोड़ की संपत्ति होने की शिकायत दर्ज करवाई थी। उन्होंने आरटीआई की मदद से गायत्री प्रजापति की संपत्ति पर जानकारी जुटाई और लोकायुक्त को दे दी लेकिन जल्द ही उन्होंने अपनी शिकायत वापस ले ली।
कैसे आए मुलायम के करीब
कई लोग गायत्री प्रजापति के राजनीति में आगे बढ़ने का श्रेय एक अन्य प्रजापति नेता और दो बार समाजवादी पार्टी के एमएलसी रहे दयाराम प्रजापति को देते हैं। इटावा के रहने वाले दयाराम के परिवार के मुलायम सिंह से घनिष्ठ संबंध थे। समाजवादी पार्टी कभी अमेठी से चुनाव नहीं जीती थी। पहली बार गायत्री जीते थे। कांग्रेस के गढ़ को तोड़ने के कारण वो नेताजी के करीब आ गए।