बाराबंकी। कोतवाली राम सनेहीघाट क्षेत्र के ग्राम करौंधिया में मंगलवार करीब दो बजे गाँव की एक महिला शौच के लिए खेतों में जा रही थी कि अचानक उसे झाड़ी के पास बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी। उसने नवजात बच्ची को कीड़े और चीटों से घिरे हुए देखा। वो उसे घर ले आई लेकिन परिजनों ने बच्ची पालने से इनकार कर दिया। इसके बाद महिला ने करौंधिया गाँव के प्रधान सोमनाथ को बच्ची के बारे में जानकारी दी। प्रधान ने 1098 चाइल्ड लाइन पर बच्ची की जानकारी दी।
चाइल्ड लाइन जिला उप केन्द्र के निदेशक रत्नेश कुमार के निर्देशन में टीम के सदस्य अंजली जायसवाल, शांती देवी, अवधेश कुमार व रामकैलाश ने मौके पर जाकर बालिका को बरामद किया। बच्ची की तबीयत खराब देख सदस्य उसे लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बनीकोडर पहुंचे जहां से बालिका को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।
जिला अस्पताल पहुंचते-पहुंचते टीम के सदस्यों को रात का नौ बज गया लेकिन वहां उसे भर्ती करने से मना किया। निदेशक रत्नेश कुमार बताते है, ”वहां पर तैनात डॉ. एसके सिंह ने बच्ची को भर्ती करने से मना कर दिया। वे नशे की हालत में थे।” जब उनसे कई बार बच्ची को भर्ती करने का निवेदन किया तो डॉक्टर ने मुझे भगा दिया। इसके बाद हम लोग बच्ची को लेकर रात में 11 बजे लखनऊ स्थित मेडिकल कॉलेज पहुंचे। यहां पर मौजूद डिप्टी सीएमएस डॉक्टर प्रसाद ने बेड न खाली होने की बात कहकर बच्ची को दोबारा जिला अस्पताल रेफर कर दिया।” दोबारा जिला अस्पताल पहुंचने पर डॉ. एसके सिंह फिर टीम को मिले। रत्नेश बताते है, ”डॉक्टर ने बहुत ज्यादा अभद्रता करते हुए हमसे मारपीट की। इस बीच उन्होंने सदस्य अंजली जायसवाल से बच्ची को छीनने की कोशिश की जिससे बच्ची को चोट भी लगी। फिर किसी तरह हम वहां से निकलकर अस्पताल के रैन बसेरा में पहुंचे। इसके बाद कोतवाली प्रभारी अनिरुद्घ कुमार सिंह को मैंने फोन किया, जिस पर उन्होंने रैन बसेरे में आकर हम लोगों के साथ जिला अस्पताल गए और बच्ची को भर्ती कराने की कोशिश की, लेकिन डॉक्टर ने बच्ची को नहीं भर्ती होने दिया।” इस पूरे प्रकरण से अवगत कराते हुए रत्नेश कुमार ने बाल न्यायपीठ के न्याययिक सदस्य डॉ. सुरेश चन्द्र शर्मा को हस्तक्षेप करने को कहा। इस पर बाल न्यायपीठ ने महिला अस्पताल की इमरजेंसी में बच्ची को भर्ती करने के लिए कहा। कोतवाली प्रभारी अनिरुद्घ कुमार सिंह बताते है, ”रात के एक दो बजे फोन आया तब हम अस्पताल गए वहां पर बच्ची को भर्ती कराने के लिए बेड खाली करवाया तब बच्ची भर्ती हो पाई।”
सीडब्ल्यूसी ने अपनाया कड़ा रुख, होगी कठोर कार्रवाई
बाराबंकी चाइल्ड लाइन टीम के साथ डा एसके सिंह द्वारा की गई मारपीट व महिला कार्यकर्ताओं के साथ अभद्रता व नवजात को फेंकने के प्रयास की इस घटना को बाल न्यायपीठ ने गम्भीरता से लिया है। पीठ ने डाक्टर के विरूद्ध कठोर कार्रवाई किये जाने की कार्रवाही कर रही है। पीठ के बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष व न्यापीठ के प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट श्री अंगद कुमार सिंह ने घटना की निंदा की और कहा कि ”यह घटना मानवाधिकार के उल्लंघन के साथ ही नवजात बालिका के संरक्षण न करने व सरकारी ड्यूटी का निर्वहन नही किया है। इसकी कठोर कार्यवाही होगी।”