लखनऊ। उत्तर प्रदेश के गाँवों में प्रैक्टिस करने वाले एमबीबीएस डाक्टरों को भारतीय उच्चतम न्यायालय के बड़ा तोहफा दिया है। एमडी और एमएस के पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में दाखिला पाने कोे लिए गाँवों में प्रेक्टिस कर रहे डॉक्टरों को 30 फीसदी अंक दिए जाने के फैसले को मंजूरी दे दी है।
उच्चतम न्यायालय के इस आदेश को ग्रामीण चिकित्सा सेवा में सुधार लाने का कदम बताते हुए डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. दीपक मालवीय ने कहा,” यूपी के गाँवों में अभी भी स्पेसलिस्ट डॉक्टरों की कमी है। ऐसे में यह आदेश गाँव में प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टरों के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।” उच्च न्यायालय के इस आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई और सात अप्रैल को हाईकोर्ट ने आदेश को रद्द कर दिया। हाईकोर्ट के इस आदेश को यूपी सरकार और कुछ डाक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके बाद उच्चतम न्यायालय ने 30 फीसदी आरक्षण के बजाए 30 नंबर दिए जाने की अनुमति दे दी है।
हाल ही में प्रदेश सरकार ने अपने एक आदेश में कहा था कि जिन डाक्टरों ने ग्रामीण क्षेत्रों में काम किया है उनको मेडिकल पोस्ट ग्रेजुएट में 30 फीसदी आरक्षण दिलवाया जाएगा। “ग्रामीण डॉक्टरों को 30 प्रतिशत आरक्षण मिलने से जहां एक ओर गाँवों में प्रैक्टिस कर रहे चिकित्सकों को एमडी और एमएस डिग्री आसानी से मिल सकेगी वहीं दूसरी तरफ गाँवों में स्पेश्लिट डॉक्टरों की कमी को दूर किया जा सकेगा।’’ डॉ. दीपक मालवीय बताते हैं।