डिप्रेशन को मानती हैं भूत-प्रेत का साया

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रनैलगंज (गोडा)। शांति देवी (52 वर्ष) पिछले पांच महीनों से लोगों से कम बातचीत करती हैं, पड़ोसियों के घर जाना भी कम कर दिया है। परिवार वाले इसे बहुत दिनों तक भूतप्रेत का साया मानते रहे, जबकि शांति देवी डिप्रेशन (अवसाद) की शिकार थीं। 

गोण्डा से लगभग 35 किलोमीटर दूर उत्तर में करनैलगंज की रहने वाली शांति देवी बताती हैं, ‘‘मेरे घर में काफी दिक्कतें हैं। बेटा बेरोजगार, बेटी की शादी करनी है, घर का खर्चा भी मुश्किल से चल पाता है। यही सोचकर मुझे रात भर नींद नहीं आती थी और मैं बहुत परेशान रहने लगी।’’

‘‘पहले सबको लगा मेरे ऊपर कोई भूत-प्रेत सवार है। एक रिश्तेदार की सलाह पर जब डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि ज्यादा तनाव और सोचने के कारण मैं बीमार हो गई हूं। अभी मेरा इलाज चल रहा है।’’

इंटरनेट पर उपलब्ध वर्ष-2011 के विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक सर्वे के आंकड़ों के अनुसार हर तीसरा भारतीय अवसाद का शिकार है।  

केजीएमयू के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. विवेक अग्रवाल बताते हैं,‘‘महिलाओं में अवसाद के केस पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा होते हैं ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में महिलाओं के डिप्रेशन का कारण उनकी पारिवारिक स्थिति और उनका बायोलॉजिकल साइकिल (जैविक चक्र) होता है।’’

डॉ. अग्रवाल आगे बताते हैं, ‘‘ग्रामीण क्षेत्रों में लोग इसे जागरूकता की कमी में भूत-प्रेत और जि़न आदि का साया समझकर झाड़-फूंक कराते रहते हैं। मेरे पास कई ऐसे केस आ चुके हैं। समय पर डॉक्टर से इलाज न लेने के कारण ये समस्या बढ़ती जाती है।’’

परिवार में एक सदस्य के अवसाद में आने पर इसका असर पूरे परिवार पर दिखता है। लखनऊ के मोहनलालगंज से लगभग 15 किलोमीटर दूर सोंठा गाँव की रहने वाली तारादेवी (54 वर्ष) ने अभी हाल में ही अपनी बेटी की शादी की है लेकिन उनकी बेटी कंचन (19 वर्ष) अपने ससुराल में खुश नहीं है और जबसे मायके लौटी है काफी उदास रहती है। 

तारादेवी बताती हैं, ‘‘मेरी बेटी अब बहुत कम बात करती है, हमेशा अकेले ही कमरे में बैठी रहती है। उसके ससुराल वाले उसे बहुत तंग करते थे, उसे बदसूरत बताते थे। पति भी शराबी है।’’ वो आगे बताती हैं, ‘‘हम सब अपनी बेटी की हालत देखकर परेशान हो जाते हैं। उसका इलाज चल रहा है, बस भगवान उसे सही कर दे।’’

डिप्रेशन का कारण कुछ दवाओं का लंबे समय तक सेवन करना भी हो सकता है। इसके बारे में मनोवैज्ञानिक डॉ. नेहा आंनद बताती हैं, ‘‘ब्लड प्रेशर, टीबी, एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल भी डिप्रेशन को जन्म दे सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं घर के बाहर ज्यादा नहीं निकलतीं इसलिए सही काउंसिलिंग न मिलने के कारण इसका इलाज सही समय पर नहीं हो पाता।’’

डॉ. आनन्द आगे बताती हैं, ‘‘ये बीमारी जब हावी हो जाती है तो रोगी आत्महत्या की ओर बढ़ता है। ’’

क्या है डिप्रेशन 

‘‘यह एक प्रकार की बीमारी है, जिसका कोई एक कारण नहीं हो सकता। जि़ंदगी में तनाव भरे बदलाव जैसे तलाक, नौकरी गंवाना, अपने करीबी इंसान को खो देना और कोई गंभीर बीमारी का शिकार हो जाना भी डिप्रेशन या अवसाद की स्थिति ला सकता है।’’ मनोचिकित्सक डॉ. नम्रता सिंह बताती हैं। डॉ. नम्रता आगे बताती हैं, ‘‘इसमें इंसान उदास रहने लगता है, उसका आत्मविश्वास कम हो जाता है और उसे जीवन बेकार लगने लगता है।’’

कैसे पहचानें डिप्रेशन के लक्षण

महिलाओं में अवसाद के कारण पुरुषों से अलग होते हैं। इनमें प्रमुख कारण पारिवारिक तनाव, शादी के बाद तालमेल न होना, तलाक, आर्थिक तंगी, असंतुलित आहार और रहन-सहन है। शारीरिक विकार भी अवसाद का एक कारण हो सकता है। 

कैसे करें बचाव

किसी भी व्यक्ति को अवसाद से निकालने के लिए उसके परिवार के सदस्य और मित्र इसमें अहम भूमिका निभा सकते हैं। उससे ज्यादा से ज्यादा बात करें, जिससे उसके अवसाद का कारण सामने आ सके और जब वो थोड़ा अवसाद से बाहर आये तो उसे अपने रहन-सहन को व्यवस्थित रखना चाहिए। महत्वाकांक्षा को उतना ही रखें, जितना हासिल करना संभव हो। परिवार के साथ जुड़े रहें, अपनी समस्या को किसी करीबी से बांटें, जहां तक संभव हो खुद को व्यस्त रखें।

रिपोर्टर – श्रृंखला पाण्डेय

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