बुंदेलखंड में अवैध बालू खनन पर एनजीटी सख्त़

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हमीरपुर/नई दिल्ली। बुंदेलखंड में हो रहे अंधाधुंध खनन पर कोर्ट के बाद अब राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कड़ा रुख अपनाया है। एनजीटी ने जालौन और हमीरपुर जिलों में बेतवा नदी पर अवैध खनन के जांच के लिए एक समिति का गठन कर दिया है।

बुंदेलखंड के बांदा, महोबा और चित्रकूट में पत्थर का खनन होता है तो हमीरपुर, जालौन, झांसी और बांदा की नदियों से लाल रेता (मौरंग) निकाली जाती है। प्राकृतिक रूप सपन्न इस इलाकों के लिए इन्हीं चीजों का अतिदोहन हो रहा है, जिसके लिए पर्यावरण प्रेमी और सामाजिक संस्थाएं आवाज उठाती रही हैं। हाईकोर्ट के निर्देश पर तमाम जगहों पर अवैध खनन पर रोक लगाई गई थी। खनन को लेकर गैर सरकारी संगठन जन सशक्तिकरण की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति यूडी साल्वी की अध्यक्षता वाली पीठ ने अदालत आयुक्त के रूप में अवकाश प्राप्त वन अधिकारी अनमोल कुमार और अधिवक्ता शरद चौहान की नियुक्ति की। 

अधिकरण ने इन दोनों को हर उस स्थान का निरीक्षण करने का निर्देश दिया जहां कथित तौर पर बालू खनन होता है और खसरा संख्या और जमीन से जुड़ी अन्य जानकारियां एकत्रित करने के लिए भी कहा। पीठ ने समिति से कहा, “कथित भूखंड के मालिकों से संपर्क कीजिए और बालू खनन करने वाले लोगों के नामों को एकत्रित कीजिए। अगर किसी ने खनन के लिए पर्यावरण संबंधी मंजूरी ली हो तो उससे जुड़ी जानकारी भी इकट्ठा कीजिए।” अधिकरण ने समिति से राजमार्गों को जोड़ने वाले सड़कों के टोल नाके पर जाकर वहां से बालू ले जा रहे ट्रकों की जानकारी इकट्ठा करने को भी कहा।

आरटीआई कार्यकर्ता दिनेश पाल बताते हैं, “बुंदेलखंड के यूपी वाले हिस्से से रोजाना एक हजार से ज्यादा मौरंग और बालू बाहर भेजी जाती है। इसमें से अधिकांश गैरकानूनी होती है। ऊपर से नीचे तक सब सेटिंग का खेल है।” बांदा के सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार आशीष सागर बताते हैं, “बांदा के आरटीआई कार्यकर्ता आशीष सागर बताते हैं, “जिनता खनन वैद्य तरीके से होता उससे कई गुना ज्यादा अवैध तरीकों से होता है। सरकार को एक नंबर से ही 500 करोड़ का राजस्व पिछली बार मिला था। पत्थर से ज्यादा घालमेल मौरंग में होता है। केन और बेतवा नदियों में नियमों को ताक पर रखकर दोहन हो रहा है। जहां कोर्ट के आदेश के बाद पाबंदी लगी लगी वहां दूसरे रवन्ना दिखाकर काम हो रहा है।”

पूरे उत्तर प्रदेश में वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिए भूतत्व और खनिकर्म निदेशालय ने 1500 करोड़ रुपए का लक्ष्य पूरे प्रदेश से रखा था, जिसमें से 1222 करोड़ रुपए का राजस्व मिला था। इसका बड़ा हिस्सा बुंदेलखंड से आता है। निदेशक संतोष यादव बताते हैं, “नियमों के अनदेखी और कोर्ट के निर्देशों के चलते कई जगह खनन पूरी बंद हो गया है। अब तो नए पट्टे ही जारी नहीं होते। जो हैं उनके पास एनओसी है।”

सोनभद्र में भी अवैध खनन जोरों पर

भीम कुमार

दुद्धी (सोनभद्र)। मानसून को देखते हुए अवैध खनन तेज हो गया है बरसात से पहले खनन माफिया नदियों से ज्यादा से ज्यादा बालू निकालने में जुटे हैं। कनहर ठेमा लौआ नदियों से इन दिनों दिनरात अवैध बालू खनन हो रहा है। बालू रातों-रात झारखंड पहुंचाई जाती है। कनहर नदी के कोरगी पिपरडीह नगवां अमवार ठेमा नदी के जाबर खजुरी टेड़ा दिघुल पकरी धनौरा मल्देवा लौआ दुमहान सहित कई स्थानों से खनन माफिया खनन कर रहे हैं।  एसडीएम डॉ. विश्राम सिंह यादव ने कहा, “अगर कहीं अवैध तरीके से नदियों में खनन हो रहा है तो ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

    

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