बुद्ध की नगरी तो दर्शनीय बनाओ

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सिद्धार्थनगर। देश-विदेश में सिद्धार्थनगर जनपद की पहचान भगवान बुद्ध के नाम से है। यहां हर बात में बुद्ध की धरती होने का हवाला दिया जाता है। लेकिन इस गौरव की आड़ में जिस सच को छिपाने का प्रयास किया जाता है वह छिपाए नहीं छिप रहा। सच यह है कि जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों के नकारापन को शासन ने भी माना है और कामकाज के पैमाने में जिले की कई योजनायें बार-बार सबसे निचले पायदान में आने के कारण जिले को डी श्रेणी में रखा गया हैं।

डी श्रेणी का तमगा जिले को यूं ही नहीं मिल गया है। यहां के अधिकारियों के कामकाज का नमूना जिले के विकास की योजना बनाने वाले विभाग केन्द्र विकास भवन में ही दिख जाता है। दरअसल विकास भवन परिसर में मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय के अंतर्गत मनरेगा आदर्श जलाशय का निर्माण वर्ष 2009-10 में कराया गया था जिसकी वर्तमान हालात देखकर सरकारी योजनाओं के कार्य का अंदाजा लगाया जा सकता हैं। आदर्श जलाशय अब पूरी तरह उपेक्षा के चलते बदहाल हो चुका हैं। जब विकास भवन के तालाब का यह हाल है तो जनपद के ग्रामीण इलाकों का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। 

यही नहीं यहां के अधिकारी शासन के विशेष दिशा निर्देशों के अनुपालन में भी गंभीर नहीं है। शासन ने जब कुपोषण से लडऩे के लिए अधिकारियों द्वारा गाँव गोद लेने की पहल शुरू की तो शासन की मंशा यही थी कि कुछ आंगनबाड़ी केन्द्र शीर्ष अधिकारियों की निगरानी में मॉडल केंद्र के रूप में विकसित हो सकेंगे लेकिन इस योजना में भी जिला सुस्त निकला। खुद जिलाधिकारी द्वारा गोद लिए गए नीबीदोहनी केन्द्र पर बच्चों को टूटी नाली व गन्दे पानी के भराव से गुजरना पड़ता है। इसी तरह की हालात जनपद में बेसिक शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग जैसे महत्वपूर्ण व आम जनता से सीधे जुड़े विभागों की भी है। अधिकारियों द्वारा जमीनी स्तर पर भौतिक सत्यापन ना करने व शिकायतों पर उचित कार्यवाई ना करने से आम जनता को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा हैं। साथ ही विकास के नाम पर खर्च हो रहा करोड़ों रुपये भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहे हैं। 

योजनाओं के अनुपालन की खराब स्थिति के सन्दर्भ में अपनी राय व्यक्त करते हुए प्रधान संघ के अध्यक्ष श्याम नरायण मौर्या ने कहा, ”किसी भी सरकारी योजना के कार्य को ग्राम पंचायत को सूचित करके क्रियान्वन किए जाने का मुद्दा मैं पिछले कई वर्ष से उठा रहा हूं। पंचायती राज व्यवस्था सीधे आम जनता से जुडी हुई है। सभी योजनाओं को इससे जोडऩे से भ्रष्टाचार पर निश्चित रूप से अकुंश लगेगा।”

इस मामले में योग प्रचारक व सामजिक कार्यकर्ता डॉ. राकेश त्रिपाठी ने बताया, ”अधिकारियों को गरीबी के प्रति संवेदनशील होकर जमीनी स्तर पर उतर कर कार्य करना होगा तभी सरकारी कार्यक्रमों से जनता जुड़ पाएगी”। शासन स्तर पर जिले की खराब रैकिंग के सन्दर्भ में मुख्य विकास अधिकारी अखिलेश तिवारी ने बताया, ”जनपद की रैकिंग में अब काफी सुधार हो चुका है और कुछ योजनाओं की प्रगति में हम प्रदेश में शीर्ष जिलों में शामिल है।” हांलाकि नवीनतम स्पष्ट जानकारी के लिए उन्होंने अर्थ एंव संख्या अधिकारी कार्यालय से सम्पर्क के लिए कहा, जहां स्टाफ  की गैरमौजूदगी के चलते जानकारी नहीं मिल सकी।

भगवान बुद्ध की जन्मस्थली है यह धरती

विश्व में भारत को पहचान दिलाने वाले भगवान बुद्व के पिता शुद्घोधन प्राचीन कपिलवस्तु नामक राज्य के शासक थें। जिसका क्षेत्र वर्तमान में सिद्वार्थनगर जनपद सीमा में आता है। इस जिले का नाम भी भगवान बुद्व के बचपन के नाम ”सिद्वार्थ” के नाम पर ही रखा गया हैं। भगवान बुद्व का जन्म लुम्बिनी वन क्षेत्र में हुआ था जो जनपद से मात्र 25 किमी की दूरी पर स्थित है।”

रिपोर्टर- दीनानाथ/अमित श्रीवास्तव

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