कोलकाता (भाषा)। पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती जिलों में अवैध अफीम की खेती और समूचे बांग्लादेश की सीमा से लगते क्षेत्रों तथा अन्यत्र इस प्रतिबंधित वस्तु की तस्करी ने खुफिया विभाग के अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है क्योंकि यह जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश जैसे आतंकवादी संगठनों के लिए कोष जुटाने का प्रमुख जरिया बनती जा रही है।
CID के सूत्रों ने बताया कि इन जिलों की रणनीतिक स्थिति ने अफीम की अवैध खेती में मदद पहुंचाई है, जो “सैकड़ों युवाओं के बीच धन जुटाने वाला एक प्रमुख कारोबार बन गया है।” पश्चिम बंगाल के रतुआ, कालीचक और वैष्णवनगर को छोड़कर मुर्शिदाबाद जिले में नोवादा और बेलडंगा के अलावा बीरभूम जिले में डूबराजपुर, इलमबाजार और कनकरताला में कथित रूप से गुप्त तौर पर इसकी खेती की जा रही है।
सूत्रों ने बताया कि इस तरह की खेती बांकुरा में पत्रसयेर, इंदास, ओंदा और बरजोरा और वर्द्धमान में केतूग्राम, मंगोलकोटे, काकसा, पुरबस्थली, कटवा, गालसी और लाओदाहा में भी होती है।
सूत्रों ने कहा, “ऐसे पर्याप्त साक्ष्य हैं जिनसे यह पता चलता है कि इस खेती से मिलने वाला धन हवाला सहित विभिन्न मार्गों के जरिए आतंकवादी समूहों तक पहुंचता है। इस धन के जेएमबी के जरिए संदिग्ध ISIS एजेंटों तक पहुंचने की संभावना हो सकती है।”
पुलिस सूत्रों ने बताया कि जिला प्रशासन ने एनसीबी, स्थानीय पुलिस और बीएसएफ की मदद से पिछले साल करीब 4,000 एकड़ में लगाई गई अफीम की फसल को नष्ट किया था, जबकि इस साल अब तक करीब 1,000 एकड़ में लगी फसल को