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सोनभद्र (दुद्धी)। महाछठ पूजा के आज दूसरे दिन ठाढ़ उपासी के बाद नदियों ,जलाशयों के किनारे थाला पर पहुंची और थाला बनाकर डूबते सूरज को अर्घ्य दिया।
छठ व्रत करने वाली महिलाएं सूर्यास्त से पहले नदियों, पोखरा जलाशयों पर पहुंच कर थाला बनाया और छठी मैया की पूजा अर्चना करते हुए मन्नते मांगी। दुद्धी के प्राचीन छत्रपति शिवाजी तालाब, धनौरा में लकड़ा बांध पर, मल्देवा में कैलाश कुंज द्वार, खजुरी में शिवमंदिर, दिघुल में ठेमा नदी घाट, टेढ़ा में कनहर सहित अन्य आस पास के नदियों के किनारे थाला बनाकर छठी मईया की गीत भजन कीर्तन करती हुई देर शाम अपने अपने घर पहुचीं और प्रसाद के रूप में मीठा व्यंजन ग्रहण किया।
गुरूवार को खरना के बाद शाम को रातभर नदियों ,जलाशयों के किनारे छठ व्रती महिलाएं उपासना करेंगे और शुक्रवार को सुबह पारन के साथ छठ पूजा की समाप्ति होगी ।
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क्या है छठ पूजा
श्रद्धा, आस्था, समर्पण, शक्ति और सेवा भाव से जुड़ा चार दिवसीय पर्व छठ पूजा मंगलवार से नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी की तिथि तक भगवान सूर्यदेव की अटल आस्था का पर्व छठ पूजा मनाया जाता है। नहाय खाय के साथ ही लोक आस्था का महापर्व छठ की शुरुआत हो जाती है। चार दिन तक चलने वाले इस आस्था के महापर्व को मन्नतों का पर्व भी कहा जाता है। इसके महत्व का इसी बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इसमें किसी गलती के लिए कोई जगह नहीं होती इसलिए शुद्धता और सफाई के साथ तन और मन से भी इस पर्व में जबरदस्त शुद्धता का ख्याल रखा जाता है।
34 साल बाद बन रहा है महासंयोग
छठ महापर्व मंगलवार 24 अक्टूबर से शुरू हो गया है। पहले दिन मंगलवार की गणेश चतुर्थी है। पहले दिन सूर्य का रवियोग भी है। ऐसा महासंयोग 34 साल बाद बन रहा है। रवियोग में छठ की विधि विधान शुरू करने से सूर्य हर कठिन मनोकामना भी पूरी करते हैं। चाहे कुंडली में कितनी भी बुरी दशा चल रही हो, चाहे शनि-राहु कितना भी भारी क्यों ना हों, सूर्य के पूजन से सभी परेशानियों का नाश हो जाएगा। ऐसे महासंयोग में यदि सूर्य को अर्घ्य देने के साथ हवन किया जाए तो आयु बढ़ती है।
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इस साल छठ की तिथियां
- 24 अक्टूबर 2017 (चतुर्थी) : नहाय-खाय
- 25 अक्टूबर 2017 (पंचमी) : खरना
- 26 अक्टूबर 2017 (षष्ठी) : शाम का अर्घ्य
- 27 अक्टूबर 2017(सप्तमी) : सुबह का अर्घ्य, सूर्य छठ व्रत का समापन
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