सरकारी योजनाओं से वंचित हैं महिलाएं 

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स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। लोगों के सामाजिक और आर्थिक तरक्की के लिए संचालित योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल पा रही है। गाँवों में ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं, जिनको न तो वृद्धावस्था पेंशन मिल रही है और न ही विधवा पेंशन। यहां तक नसबंदी के एवज में मिलने वाला लाभ भी समय पर नहीं मिल पा रहा है। कई ऐसे पात्र परिवार हैं, जिनके अब तक राशनकार्ड तक नहीं बने हैं।

बख्शी का तालाब में रहने वाली राजरानी (45 वर्ष) बताती हैं, “हमारे पास एक बीघा खेत तक नहीं है। दूसरे के खेत में मजदूरी करते हैं। हमारे पास राशन कार्ड तक नहीं है। कई बार प्रधान को राशन कार्ड बनाने के लिए कागज दिया, लेकिन कार्ड नहीं बना। हमारे पति शहर में पुताई का काम करते हैं। जैसे-तैसे घर की रोटी चलती है।” राजरानी जैसे यहां पर बहुत-सी महिलाएं हैं, जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं। पुरवा गाँव में महिलाएं राशन कार्ड बनवाने के लिए प्रधान के पास जाती हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती।

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हजारी (70 वर्ष) बताते हैं, “हमारे पास रहने के लिए घर नहीं है। मेरी पत्नी की दिमागी हालत ठीक नहीं है। उसको शौचालय जाने के लिए सहारा देना पड़ता है। मेरा एक पैर टूटा हुआ है। पूरे गाँव में लाइट है, लेकिन मेरे घर में एक बल्ब तक नहीं है। शौचालय के लिए कागज दिया, वो नहीं हुआ।

गैस के लिए भी आवेदन किया, लेकिन प्रधान ने सूची में नाम नहीं डाला। इस बुढ़ापे में मेरे बच्चों ने भी मेरा साथ छोड़ दिया।” पुरवा गाँव की रहने वाली नीलम कश्यप (32 वर्ष) बताती हैं, “हमारे गाँव में विधवा पेंशन और वृद्धावस्था पेंशन का लाभ उन्हीं महिलाओं को मिलता है, जो प्रधान और अधिकारियों को पैसा देती हैं। जिन्होंने पैसा दिया उनको लाभ मिल रहा है, बाकी लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है।” गदेला गाँव की रहने वाली फूलमती (34 वर्ष) बताती हैं, “हमारे पास कोई कार्ड नहीं है। राशन हम लोगों को नहीं मिलता है। सिर्फ आधार कार्ड है।

हमारे गाँव में किसी भी सरकारी योजना का लाभ महिलाओं को नहीं मिलता है।” इसी गाँव की रहने वाली शकुन्तला (32 वर्ष) बताती हैं, “तीन महीने पहले सरकारी अस्पताल में नसबंदी कराई थी, अभी तक पैसा नहीं मिला है। कई बार अस्पताल में इसके बारे में पता किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला है। यहां पर कभी आशाबहू नहीं आती है।”

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खाद्य एवं रसद विभाग आयुक्त अजय चौहान नेबताया, जिन गाँवों में राशन न मिलने व राशन कार्ड के न होने की समस्या है। वहां से लिखित में शिकायत मिलने पर उस पर कार्रवाई की जाएगी, जो पात्र हैं उन तक ये सुविधा पहुंचाई जाएगी।

मुख्य विकास अधिकारी प्रशान्त शर्मा बतातेहैं, आशाबहू अगर काम नहीं कर रही तो उसे आशा के पद से हटाया जाएगा। जिन लोगों को पेंशन नहीं मिल रही, वो ऑनलाइन आवेदन करें। काम न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।”

एनआरएचएम निदेशक आलोक कुमार ने बताया, नसबंदी और बच्चों के जन्म का पैसा तुरन्त दिया जाता है। अगर महिला का बैंक में खाता नहीं होता तभी समस्या होती है। लेकिन, उसका पैसा भी बहुत आसानी से दिया जाता है। आशा की जिम्मेदारी होती है कि महिला का खाता खुलवाएं और उसे योजना की जानकारी दें। जो आशा काम में लापरवाही कर रही हैं उनकी शिकायत करें, जिससे उनके खिलाफ एक्शन लिया जाए।

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