स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
मेरठ। आलू की फसल बोने वाले किसानों के लिए खुशखबरी है। अब आलू किसानों को घाटे का सौदा नहीं रहेगा, क्योंकि केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) मोदीपुरम ने आलू की कुफरी लीमा प्रजाति तैयार की है। वैज्ञानिकों के मुताबिक कम समय में तैयार होने वाली इस फसल में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होगी, जो किसानों के लिए लाभदायक साबित होगी। काफी शोध के बाद यह नई प्रजाति तैयार की गई है। इस प्रजाति को भारत सरकार ने भी सहमति दे दी है। यूपी में किसान आलू की अगेती प्रजाति को लगाकर फिर गन्ने की बुवाई करते हैं।
समय से पहले आलू की इस प्रजाति में फसल का आकार अच्छा होगा और अन्य प्रजाति की अपेक्षा किसानों के लिए यह काफी लाभकारी होगी। आगामी सीजन में इस प्रजाति को किसानों को मुहैया कराया जाएगा।
ये भी पढ़ें- कन्नौज के किसानों को इस बार 40 फीसदी कम रेट पर मिल रहा आलू का बीज
मैदानी क्षेत्र के लिए अनुकूल
सीपीआरआई के संयुक्त निदेशक मनोज कुमार बताते हैं कि शोध के बाद तैयार की गई कुफरी लीमा प्रजाति अन्य प्रजातियों की अपेक्षा बहुत अच्छी है। यह प्रजाति मैदानी क्षे़त्र के मौसम के लिए अनुकूल है। वो बताते हैं कि किसानों का इसका बीज शीघ्र ही उपलब्ध कराया जाएगा। वैज्ञानिक किसान हित में नई प्रजातियों का विकास कर रहे हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार कम समय में तैयार होने वाली अक्सर ज्यादा लाभ देती है। इस प्रजाति का प्रदर्शन हाल ही में कृषि विवि में हुए मेले में किया गया था। उस समय भी काफी किसानों ने इस प्रजाति का बीज लेने की इच्छा जताई थी। यह प्रजाति किसानों के लिए काफी लाभकारी होगी।
अशोक चौहान, सहायक मुख्य तकनीकि अधिकरी सीपीआरआई
ये भी पढ़ें- आलू बुवाई के लिए करें उन्नत किस्मों का चयन
प्रजाति की खासियत
- उपज 200 से 250 कुंतल प्रति हेक्टेयर
- अवधि 80 से 90 दिन में तैयार
- भंडारण गुणवत्ता- अच्छी
- रोग प्रतिरोधी क्षमता- हॉपर एवं माइट से प्रतिरोधी है
- आलू कंद-सफेद क्रीम, अंडाकरण, उथली आंखें, गूदा सफेद क्रीमी
- शुश्क पदार्थ-18 प्रतिशत
- विषेश गुण- अगेती फसल के लिए सबसे उपयुक्त
ये भी पढ़ें- आलू की खेती के लिए उपयुक्त समय, जानिये कौन-कौन सी हैं किस्में
ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।